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कोविड-19: किफ़ायती, सुलभ वैक्सीन के लिए वैश्विक एकजुटता की दरकार

कोरोनावायरस की वैक्सीन पर रिसर्च का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.
UN Photo/Loey Felipe
कोरोनावायरस की वैक्सीन पर रिसर्च का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.

कोविड-19: किफ़ायती, सुलभ वैक्सीन के लिए वैश्विक एकजुटता की दरकार

स्वास्थ्य

वैश्विक महामारी कोविड-19 मौजूदा पीढ़ी के लिए अब तक का सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है और इस चुनौती पर पार पाने के लिए एक वैक्सीन का होना अपने आप में पर्याप्त नहीं है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरुवार को एक वर्चुअल बैठक को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया कि वैश्विक एकजुटता की भावना के साथ वैक्सीन को हर जगह हर व्यक्ति के लिए उपलब्ध कराना होगा.

यूएन प्रमुख ने वीडियो सन्देश द्वारा ‘ग्लोबल वैक्सीन सम्मेलन’ को सम्बोधित करते हुए कहा, “हर जगह हर व्यक्ति के लिए सुलभता सुनिश्चित करने के लिए हमें वैश्विक एकजुटता की ज़रूरत है.”

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इस शिखर बैठक के आयोजन का उद्देश्य कोविड-19 की रोकथाम व इलाज करने वाली दवाइयों के लिए सामूहिक रूप से वित्तीय इन्तज़ाम करने, नियमित रूप से होने वाले टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए सन्कल्पों को मज़बूत बनाने और ऐसी अन्य बीमारियों के लिए संसाधन जुटाना था जिनकी रोकथाम की जा सकती है. 

उन्होंने कहा कि कोविड-19 इस पीढ़ी के लिए अब तक का सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है और इसने दवाइयों (वैक्सीनों) को वैश्विक एजेण्डा के शीर्ष पर पहुँचा दिया है. 

यूएन प्रमुख ने वैक्सीनों को मानवीय इतिहास में सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अहम मंज़िल बताया जिससे हर साल लाखों-करोड़ों लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने में सफलता मिली है. इनके ज़रिये चेचक का उन्मूलन करने और ख़सरा, रुबेला और टिटनैस जैसी बीमारियों के फैलाव की रोकथाम करने में मदद मिली है.  

महासचिव ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के लिए वैक्सीन को ‘जनता वैक्सीन’ के रूप में देखा जाना होगा – एक ऐसी वैक्सीन जो सभी के लिए काम आए. 

उन्होंने GAVI नामक ‘वैक्सीन एलायन्स’ और उसके साझीदार संगठनों की ओर से किये जा रहे प्रयासों की सराहना की है जिनकी बदौलत सभी आयु व आय वर्गों में लोगों की वैक्सीनों तक पहुँच सुनिश्चित हुई है.  “सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में इस प्रयास का हिस्सा बनने पर संयुक्त राष्ट्र को गर्व है.”

साथ ही उन्होंने दोहराया कि अभी बहुत कुछ हासिल किया जाना बाक़ी है और अगले चरण का हिस्सा बनने के लिए यूएन संकल्पित है. 

दुनिया भर में क़रीब दो करोड़ से ज़्यादा बच्चों को वैक्सीनों की पूरी खुराक़ नहीं मिल पाई है जबकि हर पाँच में से एक बच्चे को वैक्सीन बिलकुल भी नहीं मिल पाई है.

यूएन प्रमुख ने टीकाकरण कार्यक्रमों और वैश्विक स्तर पर वैक्सीन के वितरण में आए व्यवधानों पर चिन्ता जताते हुए ध्यान दिलाया कि कोविड-19 की छाया में उनकी व्यथा और भी गहरी हुई है. 

वैश्विक एकजुटता

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने तीन संकल्पों को पूरा करने की अपील की है जिसमें कोविड-19 के फैलाव की स्थिति में भी सुरक्षित ढँग से वैक्सीन के वितरण को सुनिश्चित करना अहम बताया गया है. 

दूसरा, उन्होंने कहा कि वैक्सीन वितरण के नैटवर्क के ज़रिये अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ भी पहुँचाई जा सकती हैं. 

साथ ही उन्होंने कहा कि वैक्सीन की उपलब्धता के बाद यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हर किसी के लिये ये उपलब्ध हो.

“बीमारी सीमाओं को नहीं जानती. इसलिए टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति जारी रखने के लिए पूर्ण रूप से वित्त-पोषित GAVI ज़रूरी है.”

ब्रिटेन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में दुनिया भर से नेता शामिल हुए और उन्होंने वैक्सीन की समान उपलब्धता के लिए अपनी योजना का ख़ाका सामने रखा. 

कैनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बताया कि वैक्सीनें असरदार काम करती हैं और नियमित टीकाकरण कार्यक्रम अब 86 फ़ीसदी बच्चों के लिए उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान इस चुनौती से निपटने के लिए क्षमता निर्माण और वैक्सीन वितरण के लिए संगठनों के साथ काम करना बेहद ज़रूरी है. 

जॉर्डन के शाह अब्दुल्लाह बिन अल हुसैन ने ज़ोर देकर कहा कि समान सुलभता की गारण्टी का होना ना सिर्फ़ नैतिक और न्यायसंगत है बल्कि सम्पूर्ण अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के हित में भी है. 

मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़ताह अल-सीसी के मुताबिक यह ज़रूरी होगा कि इस महामारी के कारण अन्य संक्रामक बीमारियों के फैलाव को रोकने के प्रयासों पर कोई असर ना हो और ऐसी बीमारियों से लड़ा जा सके जिनकी वैक्सीन द्वारा रोकथाम की जा सकती है. 

इथियोपिया की राष्ट्रपति साहले-वोर्क ज़्वेदे ने टीकाकरण कार्यक्रमों की अहमियत को रेखांकित करते हुए बताया कि नियमित टीकाकरण का दायरा वर्ष 2000 में 30 फ़ीसदी से बढ़ाकर 72 फ़ीसदी तक किया गया है. 

जर्मनी की चाँसलर एंगेला मैर्केल ने हरसम्भव मदद का आश्वासन देते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि 30 करोड़ युवा स्वस्थ जीवन जिएँ और यह 30 करोड़ व्यक्तियों की बात है, महज़ कोई आँकड़ा भर नहीं है.