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कोविड-19: तत्काल कार्रवाई के अभाव में 'अकल्पनीय तबाही' का ख़तरा

चाड में खाद्य सहायता कार्यक्रमों में टिकाऊ कृषि और आय व आजीविका को बढ़ावा दिया जाता है.
WFP/Giulio d'Adamo
चाड में खाद्य सहायता कार्यक्रमों में टिकाऊ कृषि और आय व आजीविका को बढ़ावा दिया जाता है.

कोविड-19: तत्काल कार्रवाई के अभाव में 'अकल्पनीय तबाही' का ख़तरा

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के ख़िलाफ़ देशों ने साथ मिलकर अगर अभी प्रयास नहीं किए तो यह संकट दुनिया भर में अकल्पनीय तबाही और पीड़ा का कारण बन जाएगा. यूएन प्रमुख ने टिकाऊ विकास के लिए वित्तीय पोषण पर गुरुवार को आयोजित एक वर्चुअल उच्चस्तरीय कार्यक्रम में छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तत्काल सामूहिक कार्रवाई की पुकार लगाई है.

महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया कि मौजूदा हालात में छह करोड़ लोगो के चरम ग़रीबी के गर्त में धँसने, अभूतपूर्व अकाल का साया मँडराने, डेढ़ अरब से ज़्यादा लोगों की आजीविका के साधन ख़त्म हो जाने और वैश्विक उत्पादन में साढ़े आठ ट्रिलियन की कमी आने का ख़तरा है.

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वर्ष 1930 में आर्थिक महामन्दी (Great Depression) के बाद पहली बार इतने व्यापक स्तर पर विश्व अर्थव्यवस्था मन्दी के जोखिम का सामना कर रही है. इन परिस्थितियों में जवाबी कार्रवाई के केन्द्र में एकता और एकजुटता को रखा जाना होगा.

विश्व में नक़दी के संकट का ज़िक्र करते हुए उन्होंने आगाह किया कि यही वो विषय है जहाँ स्वास्थ्य और आर्थिक संकट आपस में मिलते हैं. “यह एक ऐसा ख़तरनाक सम्बन्ध है जो दोनों को लम्बा और गहरा बना सकता है.”

उन्होंने कहा कि इस महामारी के कारण बहुत से देशों पर भारी आर्थिक असर हुआ है और इस वजह से अनेक विकासशील देश क़र्ज़ नहीं चुका पाएँगे और टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा को पूरा करने के प्रयासों पर भी असर पड़ेगा.

यूएन प्रमुख ने कहा कि इसीलिए क़र्ज़ अदायगी के स्थगन के सम्बन्ध में तत्काल टिकाऊ समाधान की आवश्यकता है जिससे पुनर्बहाली और टिकाऊ विकास लक्ष्यों में निवेश के लिए जगह बनाई जा सके.

उन्होंने विकासशील देशों पर चढ़े हुए क़र्ज़ में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले निजी ऋृणदाताओं के साथ रचनात्मक संवाद का आग्रह किया ताकि क़र्ज़ से राहत प्रदान करने के प्रयासों में मदद मिल सके.

यूएन प्रमुख ने धन के ग़ैरक़ानूनी लेन-देन, टैक्स चोरी और हवाला का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन कमज़ोरियों से विकासशील देश हर वर्ष सैकड़ों अरब डॉलर से वंचित रह जाते हैं. इस पर पार पाने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय प्रणालियों और अन्तरराष्ट्रीय ढाँचे में यथोचित बदलाव लाने की पैरवी की है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोरोनावायरस से हुई तबाही के बाद अब बेहतर ढँग से पुनर्बहाली को सम्भव बनाना होगा.

उनके मुताबिक कोविड-19 ने गहरी विषमताएँ और अन्याय उजागर कर दिये हैं जिन्हें दूर किये जाने की आवश्यकता है. इन्हीं असमानताओं के कारण महिलाओं की बचत और आय कम होती है और पुरुषों की तुलना में उन पर आर्थिक असर ज़्यादा होता है.

“हमारे सभी प्रयास टिकाऊ और सहनशील मार्गों के निर्माण पर केन्द्रित होने चाहिएँ जिनसे ना सिर्फ़ कोविड-19 को हराने में बल्कि जलवायु संकट, विषमताओं और ग़रीबी व भुखमरी से निपटने में भी मदद मिले.”

उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों और उनमें समाहित ख़तरों का पूरी गम्भीरता और ज़िम्मेदारी से सामना किया जाना होगा.

“कोविड पर क़ाबू पाने और बेहतर ढंग से उबरने में धन की आवश्यकता होगी लेकिन उसका विकल्प कहीं ज़्यादा ख़र्चीला है. यह एक वैश्विक संकट है और इसका समाधान ढूँढना हम सभी की ज़िम्मेदारी है.”

इस कार्यक्रम की पहल संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, कैनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और जमैका के प्रधानमन्त्री एण्ड्रयू होलेनेस की ओर से की गई थी. इसका उद्देश्य विश्व नेताओं और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों को एकजुट कर वैश्विक कार्रवाई के ठोस समाधानों में तेज़ी लाना था.

छह महत्वपूर्ण क्षेत्र

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में नक़दी का विस्तार करने और विकास लाभ की सुरक्षा के लिए वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता
  • दुनिया भर के अरबों लोगों के जीवन और आजीविका को बचाने के लिए सभी विकासशील देशों की ऋृण संवेदनशीलता के उपायों की आवश्यकता
  • एक ऐसा ढाँचा बनाने की आवश्यकता, जिसमें निजी क्षेत्र के लेनदार - प्रभावी और सामयिक समाधान देने में हिस्सा ले सकें
  • बाहरी वित्तपोषण बढ़ाने और समावेशी विकास के लिए प्रेषण व रोज़गार सृजन के लिए आवश्यक उपाय
  • अवैध वित्तीय प्रवाह की रोकथाम और राजकोषीय विस्तार और घरेलू संसाधन जुटाने को बढ़ावा देने के उपाय
  • सतत विकास लक्ष्यों को पुनर्बहाली की नीतियों से जोड़कर एक टिकाऊ और समावेशी पुनर्निर्माण सुनिश्चित करना