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कोविड-19: 'अभूतपूर्व आर्थिक आघात' से विकास की आशाओं पर मँडराता ख़तरा

बांग्लादेश में सामुदायिक कर्मचारी ज़मीनी स्तर पर साफ-सफ़ाई बरतने के लिए ज़रूरी सामग्री का वितरण कर रहे हैं.
UNDP/Fahad Kaizer
बांग्लादेश में सामुदायिक कर्मचारी ज़मीनी स्तर पर साफ-सफ़ाई बरतने के लिए ज़रूरी सामग्री का वितरण कर रहे हैं.

कोविड-19: 'अभूतपूर्व आर्थिक आघात' से विकास की आशाओं पर मँडराता ख़तरा

आर्थिक विकास

ऐसे समय जब वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकट से दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों में गम्भीर दुष्प्रभाव महसूस किए जा रहे हैं, अभूतपूर्व आर्थिक झटकों ने विकास पथ पर अब तक हुई प्रगति के समक्ष एक बड़ा जोखिम पैदा कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को व्यवसाय क्षेत्र से जुड़ी बड़ी हस्तियों के साथ एक बैठक में यह बात कही है.  

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने टिकाऊ विकास के लिए वैश्विक निवेशकर्ताओं के समूह (GISD) की एक वर्चुअल बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा, “बेरोज़गारी में भारी बढ़ोत्तरी हुई है. व्यवसायों का अस्थाई रूप से बन्द होना अब स्थाई होता जा रहा है. स्वास्थ्य संकट शुरू होने से पहले के रोज़गार और उत्पादन के स्तरों तक पहुँच पाने में कई साल का समय लग सकता है.” 

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उन्होंने निर्धनतम और निर्बलतम समुदायों के सामने दरपेश चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन्हें रोज़गार ख़त्म हो जाने, बीमारी, बोझ तले दबने और अक्षम स्वास्थ्य प्रणालियों व सामाजिक संरक्षा के दायरे से बाहर होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. 

महासचिव गुटेरेश ने अफ़सोस जताया कि मौजूदा हालात में दुनिया में टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रयास अपना रास्ता भटक रहे हैं. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी के संकट के बाद पुनर्बहाली की प्रक्रिया में विश्व अर्थव्यवस्था को न्यायसंगत, हरित और पहले से कहीं अधिक सहनशील बनाना होगा ताकि कोई भी पीछे ना छूटने पाए. 

“ऐसे सकारात्मक संकेत मिले हैं कि यह लम्हा उन रूपान्तकारी बदलावों को जगह दे सकता है जिनके लिए पहले से प्रयास होते रहे हैं, लेकिन जिन्हें शायद एक जान फूँकने वाले धक्के की ज़रूरत थी.”

उन्होंने टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा को एक ऐसा फ़्रेमवर्क बताया जिस पर दुनिया भर में सहमति है, ‘अदीस अबाबा एक्शन एजेण्डा’ इस दिशा में प्रयासों के लिए संसाधन जुटाने का ज़रिया है, जबकि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता ग्रीनहाउस गैसों में कटौती का मार्ग प्रशस्त कर सकता है. 

बदलाव की बयार ज़रूरी

लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आर्थिक और सामाजिक मूल्यों में समरूपता लाना अहम होगा. इसका अर्थ यह है कि व्यवसायों को पक्षकारों के हितों को ध्यान में रखकर काम करना होगा और अपने कामकाज में टिकाऊशीलता को शामिल करना होगा.

यूएन प्रमुख के मुताबिक वित्तीय फ़ैसले लेते समय ध्यान रखना होगा कि उनका पर्यावरण और समाज पर किस तरह से असर होगा. 

उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में वित्तीय संसाधनों को टिकाऊ विकास से जुड़े सैक्टरों, नैट शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर मोड़े जाने और पूँजी का रुख़ विकासशील व उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर करने से मौजूदा संकट के असर को कम किया जा सकता है, और बेहतर भविष्य की दिशा में बढ़ा सकता है. 

उन्होंने माना कि कोविड-19 महामारी के कारण अनेक रणनीतियाँ अपनी पटरी से उतर गई हैं और दीर्घकालीन योजना के बजाय अब ध्यान तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा करने पर केन्द्रित है. 

लेकिन यह सँकट दीर्घकालीन रणनीतियों और सुदृढ़ प्रणालियों के निर्माण की ज़रूरत को रेखांकित करता है ताकि भविष्य में ऐसी चुनौतियों के दंश को कम किया जा सके. 

सम्बोधन का समापन करते हुए उन्होंने कहा कि अब संकट पहले से कहीं ज़्यादा जटिल हो रहे हैं और उनमें जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करने वाली परते हैं." 

इसके कारण पहले से ही सीमित मात्रा में उपलब्ध संसाधनों पर भार बढ़ रहा है और मानव पीड़ा और ज़्यादा व्यापक स्तर पर फैल रही है. 

इन हालात के मद्देनज़र उन्होंने निवेशकर्ताओं से एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए संकट के इस क्षण का इस्तेमाल करने का आहवान किया है.