कोविड-19: शहरी जगत को नया आकार देने व मज़बूत बनाने की ज़रूरत

स्वास्थ्य प्रणालियों पर बढ़ते बोझ, अपर्याप्त जल उपलब्धता, स्वच्छता और अन्य चुनौतियों से जूझते शहरों के लिये विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 एक अभूतपूर्व संकट के रूप में उभरी है – महामारी के लगभग 90 फ़ीसदी मामले शहरी क्षेत्रों में ही दर्ज किये गए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को एक नया नीतिपत्र जारी करते हुए ध्यान दिलाया है कि बेहतर पुनर्बहाली के लिये शहरी जगत को नई सोच व नए आकार के साथ विकसित करना होगा.
वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 80 फ़ीसदी शहरी अर्थव्यवस्थाओं से मिलता है लेकिन विश्व की 24 प्रतिशत शहरी आबादी झुग्गी-बस्तियों में रहने के लिये मजबूर है.
Urban areas are ground zero for the #COVID19 pandemic, with 90% of reported cases.Yet, cities are also home to extraordinary solidarity & ingenuity.Now is the time to rethink and reset how we live, interact and rebuild our cities. https://t.co/sB7Y0fY5fv
antonioguterres
महासचिव गुटेरेश ने नीतिपत्र पेश करते समय अपने वीडियो सन्देश में कहा कि यह समय मौजूदा और भावी महामारियों की वास्तविकता का सामना करने के लिये कमर कसने का है.
“और बेहतर ढँग से उबरने के प्रयासों में यह हमारे लिये अवसर है – ज़्यादा सुदृढ़, समावेशी और टिकाऊ शहरों के निर्माण के ज़रिये.”
यूएन प्रमुख ने बताया कि कोरोनावायरस संकट ने शहरों के निर्धनतम क्षेत्रों में व्याप्त गहरी विषमताओं को उजागर कर दिया है.
महामारी से पहले भी शहर जल सुलभता व सफ़ाई व्यवस्था के अभाव और कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणालियों सहित अन्य अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे थे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरों में घनी आबादी का सीधा अर्थ वायरस का ज़्यादा फैलाव नहीं है बल्कि यह मुख्यत: लोगों के रहन-सहन, कामकाज और आवाजाही के तरीक़ों पर निर्भर करता है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि शहरों में अभूतपूर्व एकजुटता और सहनक्षमता भी देखने को मिलती है.
उन्होंने अजनबी लोगों द्वारा एक दूसरे की मदद किये जाने के अनेक उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि लोग अतिआवश्यक सेवाओं वाले कर्मचारियों और जीवनदायी वस्तुओं की आपूर्ति कर रहे स्थानीय व्यवसायों का अभिनन्दन करके उन्हें समर्थन देते रहे हैं.
“हमने मानवीय भावना का सर्वश्रेष्ठ रूप देखा है. इस महामारी पर जवाबी कार्रवाई और इससे उबरने के दौरान हम अपने शहरों को सामुदायिक, मानवीय नवाचार (इनोवेशन) और विद्वता के केन्द्रों के रूप में देख रहे हैं.”
लोगों के रहन-सहन, आपस में सम्पर्क व बातचीत करने और शहरों के पुनर्निर्माण के लिये संयुक्त राष्ट्र ने नए दिशानिर्देश जारी किये हैं.
वैश्विक महामारी के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई में पहला क़दम विषमताओं का ख़ात्मा और सामाजिक जुड़ाव की रक्षा करना है.
“हमें अपने शहरों में सबसे निर्बल लोगों को प्राथमिकता देनी होगी, सभी के लिये सुरक्षित शरण की गारण्टी और बेघर लोगों को आपात आवास उपलब्ध कराने होंगे.”
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि विश्व की लगभग एक चौथाई आबादी झुग्गियों में रहती है और इन इलाक़ों में सार्वजनिक सेवाएँ पहुँचाए जाने की तत्काल ज़रूरत है.
जल और साफ़-सफ़ाई की सुलभता बेहद अहम है जिसे ध्यान में रखते हुए यूएन प्रमुख ने स्थानीय निकायों से प्रयास तेज़ करने की पुकार लगाई है.
उन्होंने कहा कि संकट के दौरान घरों से निकाले जाने की कार्रवाई पर रोक लगानी होगी और सबसे सम्वेदनशील इलाक़ों में नए जल स्टेशन स्थापित करने होंगे.
महासचिव ने कहा कि स्थानीय निकायों को मज़बूत बनाने के लिये राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर प्रशासन में नज़दीकी सहयोग की ज़रूरत है.
“प्रोत्साहन पैकेज और अन्य राहत उपायों के लिये ज़रूरत-आधारित कार्रवाई को सहारा देना चाहिए और स्थानीय निकायों की क्षमता को बढ़ाना होगा.”
नीतिपत्र में शहरों की आर्थिक पुनर्बहाली के लिये हरित, सुदृढ़ और समावेशी रणनीति अपनाने की सिफ़ारिशें पेश की गई हैं.
इस पृष्ठभूमिक में साइकिल चालन के लिये नए मार्गों का निर्माण करने, पैदल यात्रियों के लिये अलग रास्तों की व्यवस्था करने के साथ-साथ शहरों में सुरक्षा व वायु गुणवत्ता को बेहतर करने के प्रयास करने होंगे.