वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कोविड-19: क़ानून-व्यवस्था और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए प्रयासरत है यूएन पुलिस

काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में यूएन मिशन के पुलिसकर्मी स्थानीय पुलिसकर्मियों में निजी बचाव सामग्री जैसे फ़ेस मास्क, सैनिटाइज़र का वितरण कर रहे हैं.
Rachel Rugarabura
काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में यूएन मिशन के पुलिसकर्मी स्थानीय पुलिसकर्मियों में निजी बचाव सामग्री जैसे फ़ेस मास्क, सैनिटाइज़र का वितरण कर रहे हैं.

कोविड-19: क़ानून-व्यवस्था और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए प्रयासरत है यूएन पुलिस

शान्ति और सुरक्षा

सशस्त्र सन्घर्ष से प्रभावित कई देशों में संयुक्त राष्ट्र क़ानून-व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर सहायता प्रदान करता है और इनमें पुलिस बल भी शामिल हैं. वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान यूएन के पुलिस अधिकारियों के काम में जिस तरह चुनौतियाँ पेश आई हैं वैसा पहले कभी नहीं देखा गया. यूएन न्यूज़ के साथ एक इन्टरव्यू में यूएन की पुलिस डिविज़न के प्रमुख लुइस कैरिल्हो ने बताया कि कोरोनावायरस की वजह से शान्ति बनाए के उनके सहकर्मियों के प्रयास किस तरह प्रभावित हुए हैं.

कोविड-19 महामारी से दुनिया भर में पुलिस और अन्य क़ानून एजेंसियों के काम में अभूतपूर्व चुनौतियाँ पैदा हो गई हैं. शान्तिरक्षा के सन्दर्भ में यह चुनौती और भी ज़्यादा हैं, ख़ासकर उन क्षेत्रों में जहाँ पुलिस और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियाँ कमज़ोर हैं या वर्षों के सशस्त्र सन्घर्ष के कारण ध्वस्त हो गई हैं.

इस बातचीत में यूएन के पुलिस सलाहकार लुइस कैरिल्हो ने सबसे पहले बताया कि महामारी का उनके अधिकारियों के रोज़मर्रा के कामकाज पर किस तरह से असर हुआ है.

"मेडिकल स्टाफ़ की तरह पुलिस अधिकारी भी घर बैठकर काम नहीं कर सकते, इसलिए वे हमेशा अग्रिम मोर्चे पर डटे होते हैं. हमारी पहली ज़िम्मेदारी स्वस्थ और सुरक्षित रहना है. इसलिए अपनी रक्षा करने के लिए हमारे पास ना सिर्फ़ उपकरण होना बल्कि सही रवैया होना भी ज़रूरी है.

ऐसा इसलिए क्योंकि ख़ुद को सुरक्षित रखकर ही हम दूसरों की रक्षा कर सकते हैं. हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि हम दूसरों को संक्रमित नहीं कर रहे हैं और कि हम मेज़बान पुलिस बल के साथ सबसे निर्बलों की रक्षा कर रहे हैं.

अगर आप इस वायरस को एक तूफ़ान की तरह सोचें तो हर कई इस पर पार पाने के लिए एक जैसी नाव में नहीं बैठा है. कुछ लोगों के पास बेहतर संरक्षण और सामग्री तक पहुँच है. सबसे निर्बलों के पास नहीं है.

हमारा लक्ष्य उन लोगों की सहायता करना है – बच्चे, वृद्धजन, अपराधों के पीड़ित, जातीय समुदाय – जो हर संकट में अन्य की अपेक्षा ज़्यादा प्रभावित होते हैं. हम उन लोगों, ख़ासकर राहतकर्मियों, के लिए भी खड़े होने की कोशिश करते हैं जो ज़रूरतमंद समुदायों की मदद करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

अब यात्राओं पर पाबन्दी लग गई है, इस वजह से हमारे पुलिस अधिकारी लम्बी अवधि के लिए अपने परिवारों से दूर रहे हैं और उनकी सुरक्षा पर जोखिम भी बढ़े हैं. कुछ अधिकारी संक्रमित होने के बाद ठीक हुए और फिर अग्रिम मोर्चे पर लौट आए. यह दर्शाता है कि संयुक्त राष्ट्र के झन्डे तले सेवाएँ प्रदान करना और सबसे निर्बलों के जीवन में बदलाव लाना सम्मान की बात है.

तालाबन्दी में पाबंदियों को लागू करने में यूएन के पुलिस अधिकारी किस तरह प्रयास कर रहे हैं?

जिन देशों में हम काम करते हैं वहाँ हमारे पास सिद्धांतों का एक खाका होता है जिनका हम हमेशा पालन करते हैं और हम क़ानून का सम्मान करते हैं: क़ानून से ऊपर कोई भी नहीं है. हम समुदायों की रक्षा के लिए भी उपायों को इस्तेमाल में लाते हैं और ऐसा करते समय मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं.

यूएन पुलिस के सलाहकार लुइस कैरिल्हो गश्त के दौरान बान्गी में एक बच्चे से बात कर रहे हैं.
UN Photo/Nektarios Markogiannis
यूएन पुलिस के सलाहकार लुइस कैरिल्हो गश्त के दौरान बान्गी में एक बच्चे से बात कर रहे हैं.

हम हमेशा एक मज़बूत सामुदायिक पुलिस की भावना के साथ काम करते हैं. जिन जनसमूहों के साथ हम काम करते हैं वे समझते हैं कि सुरक्षा कारणों से ही क़दमों को उठाया जा रहा है.

उदाहरणस्वरूप, काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (डीआरसी) में यूएन पुलिस जागरूकता के प्रसार में स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर काम तो करती ही है, साथ में ज़रूरतमंदों तक मास्क और सैनिटाइज़र्स भी पहुँचाती है.

यह दुखद है कि हम पहली बार इस तरह की संक्रामक बीमारी का सामना नहीं कर रहे हैं. काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में इबोला महामारी के फैलने पर स्थानीय प्रशासन और यूएन एजेंसियों के अलावा हालात से निपटने के लिए बनाई गई टास्क फ़ोर्स का भी हम हिस्सा थे.

अक्सर पुलिस को इसलिए ज़िम्मेदारी दी जाती है क्योंकि अशान्ति पसरी होती है और हमेशा कोई ना कोई ऐसा होगा जो ख़ुश नहीं होगा. लेकिन हमारा काम इन हालात के लिए तैयार रहना है और समुदायों को उन बातों को पहुँचाना है जिनकी उन्हें ज़रूरत है.

महामारी की वजह से अफ़्रीका में हालात और ज़्यादा ख़राब होने की आशन्का जताई गई है. क्या इससे आप चिन्तित हैं?

हम सभी चिन्तित हैं क्योंकि यदि स्वास्थ्य प्रणालियाँ कमज़ोर है तो फिर ज़्यादा संख्या में लोगों के स्वास्थ्य देखरेख के घेरे से वन्चित रहने की सम्भावना होती है, ख़ासकर सबसे निर्बल समुदायों की.

इसलिए जागरूकता और रोकथाम अहम हैं: यह सुनिश्चित करना कि लोग अपने हाथ धोएँ, शारीरिक दूरी बरतें, मास्क पहनें और अन्य ऐहतियाती क़दम उठाएँ. इसलिए हमें स्थानीय प्रशासन, यूएन एजेंसियों, फ़ंड व कार्यक्रमों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों के साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है ताकि बीमारी को और फैलने से रोका जा सके.

मेरा विश्वास है कि हमारे काम से कोविड-19 के फैलने की रफ़्तार को कम करने में मदद मिल रही है. लेकिन हम हालात की निगरानी लगातार कर रहे और शान्ति अभियानों और पुलिसकर्मियों की टीमों से नियमित रूप से मुलाक़ात करते हैं."