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कोविड-19 संकट ने दर्शाई 'संयुक्त राष्ट्र की अहम भूमिका'

तुर्की के राजदूत वोल्कान बोज़किर और यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश में जनवरी 2020 में मुलाक़ात हुई थी.
UN Photo/Manuel Elias
तुर्की के राजदूत वोल्कान बोज़किर और यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश में जनवरी 2020 में मुलाक़ात हुई थी.

कोविड-19 संकट ने दर्शाई 'संयुक्त राष्ट्र की अहम भूमिका'

यूएन मामले

तुर्की के वरिष्ठ राजदूत और सांसद वोल्कान बोज़किर ने वैश्विक महामारी कोविड-19 का मुक़ाबला करने में संयुक्त राष्ट्र और यूएन एजेंसियों की अहम भूमिका की सराहना की है. यूएन महासभा के अध्यक्ष पद के लिए वह एकमात्र आवेदक हैं और यह तय है कि सितम्बर 2020 में आरम्भ होने वाला संयुक्त राष्ट्र का ऐतिहासिक 75वाँ सत्र उनके नेतृत्व में होगा.

राजूदत वोल्कान बोज़किर ने विश्व के अहम बहुपक्षीय मंच के प्रमुख के तौर पर अपनी प्राथमिकताएँ शुक्रवार को एक वर्चुअल संवाद के ज़रिए सदस्य देशों के सामने रखीं. 

“यह महामारी संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ पर फैली है. यह दौर प्रभावी बहुपक्षवाद और यूएन व उसकी एजेंसियों की अहम भूमिका पर पूर्ण रूप से ध्यान दिलाता है.”

उन्होंने कहा कि जिस तरह कोरोनावायरस सीमाओं को नहीं देखता और ना ही भेदभाव करता है, इसके ख़िलाफ़ लड़ाई का नतीजा कलंकित किए जाने, असमानता या अन्याय के रूप में नहीं होना चाहिए.  

“कोविड-19 से मुक्त दुनिया को दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक पुनर्बहाली के विस्तृत प्रयास की ज़रूरत होगी. बेहतर ढंग से पुनर्निर्माण ही हमारा सिद्धान्त होना चाहिए.”

तुर्की के राजदूत ने इस संकट के मुक़ाबले में यूएन की ओर से तत्काल उठाए गए क़दमों की प्रशंसा की है.

उनमें संयुक्त राष्ट्र महासभा में अनेक प्रस्ताव पारित किए गए हैं जिनमें एकजुटता और सहयोग को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है. 

“मेरा वास्तव में यह विश्वास है कि अपनी सार्वभौमिक सदस्यता, सभी सदस्यों को बराबरी के दर्जे और लोकतान्त्रिक प्रमाणिकता की वजह से इस महामारी के दौरान राजनैतिक दिशा दिखाने में महासभा सबसे उपयुक्त मंच है.”

वोल्कान बोज़किर ने तुर्की के विदेश मंत्रालय को लगभग 40 वर्षों तक अपनी सेवाएँ दी हैं और 193 सदस्य देशों वाली यूएन महासभा में अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार थे. 

उन्होंने देशों, समूहों और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों में भरोसा और समरसता मज़बूत करने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया है. साथ ही वह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि विश्व के सबसे निर्बलों की आवाज़ सुनी जा सके. 

टिकाऊ विकास एजेन्डा के तहत सदस्य देश ‘कार्रवाई के दशक’ की ओर क़दम बढ़ा रहे हैं और उन्होंने स्पष्ट किया है कि सबसे कम विकसित देश, भूमिबद्ध देश और लघु द्वीपीय देश उनके लिए प्राथमिकता हैं. 

इसके अलावा उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और रहन-सहन को बेहतर बनाने को भी अपनी प्राथमिकता बताया है. “समाज में दर्जे को मज़बूत बनाकर जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की पूर्ण और बराबर भागीदारी हमारे सभी प्रयासों का एक अहम हिस्सा होगा.”

कोविड-19 से कामकाज पर असर

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष के रूप में वह दक्षता, कारगरता, जवाबदेही और बिना किसी भेदभाव के सिद्धान्तों को साथ लेकर कार्य करेंगे. साथ ही सदस्य देशों में आम सहमति का निर्माण और यूएन के निर्णय निर्धारक अंगों में बेहतर तालमेल उनके प्रयासों के केन्द्र में होगा. 

कोविड-19 की अभूतपूर्व चुनौती के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा के कामकाज के तौर-तरीक़ों पर असर पड़ा है.

शारीरिक दूरी बरते जाने और घर तक सीमित होने की पाबन्दियों के कारण प्रतिनिधि अब निजी तौर पर नहीं मिल सके जिससे प्रस्तावों पर वोटिंग प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है. 

अब प्रस्तावों को ‘मौन प्रक्रिया’ (Silent procedure) के तहत देशों को भेजा जाता है और राजदूतों के पास अपने देशों में चर्चा के लिए 72 घंटे का समय दिया जाता है. 

अगर सभी राजदूत एक प्रस्ताव पर राज़ी हो जाते हैं तो प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो मौन भंग हुआ माना जाता है और प्रस्ताव पारित नहीं होता

यूएन महासभा के मौजूदा अध्यक्ष नाइजीरिया के तिजानी मोहम्मद-बांडे हैं और उन्होंने इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग की दिशा में क़दम उठाए हैं. इस प्रक्रिया में विचार-विमर्श के लिए उन्होंने जमैका के राजदूत कर्टनी राट्रे को सदस्य देशों से बातचीत के लिए नियुक्त किया है.