अफ़ग़ानिस्तान: काबुल में हुए हमले की कड़ी निंदा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व नेता अब्दुल अली मज़ारी की स्मृति में आयोजित सभा में एकत्र लोगों पर हुए हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है. प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक इस हमले में 30 से ज़्यादा आम नागरिकों की मौत हुई है और अनेक घायल हुए हैं जिनमें महिलाएं व बच्चे भी हैं.
महासचिव ने फिर दोहराया है कि आम लोगों पर हमले अस्वीकार्य हैं और इन अपराधों के दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी.
United Nations condemns #Kabul attack that initial reports indicate killed nearly 30 civilians and injured many more, among them women and children. Statement: https://t.co/Ee0cbGqaH3. #ZeroCivilianCasualtiesNow #Afghanistan pic.twitter.com/JfW0OaZG7b
UNAMAnews
यह हमला काबुल के मज़ारी चौराहा इलाक़े में शुक्रवार सुबह हुआ जब कुछ हथियारबंद हमलावरों ने एक सभा में एकत्र क़रीब एक हज़ार से ज़्यादा लोगों को निशाना बनाया.
ये लोग अफ़ग़ानिस्तान की हिज़्बे-वहदते इस्लामी राजनैतिक पार्टी के पूर्व नेता अब्दुल अली मज़ारी की स्मृति में इकठ्ठा हुए थे.
पूर्व नेता अब्दुल अली मज़ारी विशेष रूप से अफ़ग़ानिस्तान के शिया और हज़ारा मुस्लिम समुदायों में लोकप्रिय थे.
इस स्मृति सभा में अफ़ग़ानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई भी उपस्थित थे.
यूएन महासचिव ने अपने बयान में हमले के पीड़ितों व उनके परिजनों, अफग़ान सरकार और आम जनता के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है.
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने भी शुक्रवार को काबुल में हुए हमले की निंदा की है.
यूएन मिशन के प्रमुख और अफ़ग़ानिस्तान में यूएन महासचिव के विशेष प्रतिनिधि तादामिची यामामोतो ने आम लोगों को जानबूझकर निशाना बनाए जाने की कड़ी निंदा की है.
“जिन लोगों ने भी इस हमले की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया है, उन्हें न्याय के कटघरे में लाकर जवाबदेही तय करनी होगी.”
यूएन मिशन की मानवाधिकार टीम इस हमले के बारे में जानकारी जुटा रही है और इससे पहले भी इन समुदायों पर जानबूझकर किए गए हमलों के संबंध में जानकारी जुटाई है.
“संयुक्त राष्ट्र सभी अफ़ग़ान नागरिकों के साथ एकजुटता से खड़ा है और अफ़ग़ान-नेतृत्व में शांति प्रक्रिया के प्रति संकल्पित है जिससे युद्ध समाप्त हो जाए. इससे अफ़ग़ानिस्तान अपने नागरिकों की ऐसी क्रूरता से रक्षा करने के लिए ज़्यादा संसाधन आबंटित करने में सक्षम हो सकेगा.”
अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक व जातीय अल्पसंख्यकों सहित आम लोगों को हमलों में निशाना बनाया जाना अंतरराष्ट्रीय मानवीय राहत क़ानूनों का उल्लंघन है और ऐसे हमलों को युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
जब किसी आबादी पर ऐसे हमले व्यवस्थित और व्यापक रूप से किए जाएं तो यह मानवता के विरुद्ध अपराध भी हो सकता है.