अफ़ग़ानिस्तान: नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और शान्ति वार्ता शुरू करने का आग्रह

अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा में हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या में वर्ष 2020 के पहले छह महीनों में 2019 की तुलना में 13 फ़ीसदी की कमी आई है, इसके बावजूद स्थानीय लोगों के लिये देश में परिस्थितियाँ अब भी घातक बनी हुई हैं जिनके मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र मिशन ने सभी पक्षों से आम लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और शान्ति स्थापना के लिये बातचीत की मेज़ पर लौटने की पुकार लगाई है. यूएन की नई रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के प्रथम छह महीनों के दौरान लगभग साढ़े तीन हज़ार आम लोग हताहत हुए हैं. इनमें एक हज़ार 282 की मौत हुई है ौर दो हज़ार 176 घायल हुए हैं.
सोमवार को जारी रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि तालेबान और अफ़ग़ान सुरक्षा बलों द्वारा की गई हिंसा के कारण हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या में कमी नहीं आई है.
अफ़ग़ानिस्तान में यूएन मिशन की रिपोर्ट के अनुसार हताहतों की संख्या में कमी का मुख्य कारण अन्तरराष्ट्रीय सैन्य बलों के अभियानों व इस्लामिक स्टेट (दाएश) द्वारा हिंसा में कमी आना है.
“At a time when the #Afghanistan govt & Taliban have a historic opportunity to come together at the negotiating table for peace talks, the tragic reality is that the fighting continues inflicting terrible harm to civilians every day,” @DeborahLyonsUN. Read https://t.co/ZjkuD4CsiT pic.twitter.com/6CEqNulXmA
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अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि और मिशन प्रमुख डेबराह ल्योन्स ने कहा, “ऐसे समय जब अफ़ग़ान सरकार और तालेबान के पास वार्ता में वापिस लौटकर शान्ति के लिये बातचीत करने का ऐतिहासिक अवसर मौजूद है, त्रासदीपूर्ण सच्चाई यह है कि लड़ाई अब भी हर दिन आम लोगों को भयावह नुक़सान पहुँचा रही है.”
“मैं पक्षों से आग्रह करती हूँ कि वे ठहरें और भयभीत कर देने वाली घटनाओं और उनसे अफ़ग़ान नागरिकों को हो रहे नुक़सान पर मनन करें, जैसाकि रिपोर्ट में बताया गया है. साथ ही संहार को रोकने के लिये निर्णायक कार्रवाई करें और वार्ता की मेज़ पर आएँ.”
रिपोर्ट दर्शाती है कि 58 फ़ीसदी लोगों के हताहत होने के लिये सरकार विरोधी तत्व ज़िम्मेदार हैं – तालेबान के हमलों में एक हज़ार 473 लोग हताहत हुए हैं जिनमें 580 की मौत हुई है और 893 घायल हताहत हुए हैं.
अफ़ग़ान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के अभियान – मुख्यत: हवाई कार्रवाई और ज़मीनी कार्रवाई के दौरान परोक्ष गोलीबारी - में हताहत होने वाले आम लोगों की संख्या में 9 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
अफ़ग़ान सुरक्षा बलों के अभियानों में 789 आम लोग हताहत हुए जिनमें 281 की मौत हुई और 508 घायल हुए. हिंसा में बच्चों की मौतों के लिये सरकार समर्थक सुरक्षा बलों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.
रिपोर्ट बताती है कि ज़मीनी कार्रवाई व हमलों, जैसेकि घनी आबादी वाले इलाक़ों में अन्धाधुन्ध गोलीबारी, के दौरान सबसे बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं. संवर्धित विस्फोटक उपकरण यानि (IED) के इस्तेमाल से किये गये विस्फ़ोटों के कारण भी बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई और वे घायल हुए. इनमें आत्मघाती व ग़ैर-आत्मघाती विस्फोट दोनों शामिल थे.
संयुक्त राष्ट्र मिशन ने धार्मिक गुरुओं, स्वास्थ्यकर्मियों, न्यायपालिक सदस्यों, पत्रकारों व नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं सहित आम नागरिकों को जानबूझकर निशाना बनाए जाने पर चिन्ता ज़ाहिर की है.
सशस्त्र संघर्ष से सर्वाधिक प्रभावितों में महिलाएँ और बच्चे हैं और कुल हताहतों में उनकी संख्या लगभग 40 फ़ीसदी है. साल के पहले छह महीनों में हिंसा में 397 महिलाएँ हताहत हुईं जिनमें 138 की मौत हुई और 259 घायल हुईं. एक हज़ार 67 बच्चे भी हताहत हुए जिनमें 340 की मौत हुई और 727 घायल हुए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के दौरान अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों की सैनिकों के रूप में भर्ती किये जाने और युद्धरत पक्षों द्वारा इस्तेमाल कियेए जाने का भी ख़तरा है.
रिपोर्ट में चिन्ता ज़ाहिर की गई है कि हिंसा का आम लोगों पर भारी असर हो रहा है जो लम्बे समय तक जारी रह सकता है.
पीड़ितों को असहनीय शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है जिससे उनके मानवाधिकारों पर भी असर पड़ता है.
कोविड-19 महामारी के कारण पीड़ितों के जल्द उबरने की क्षमता भी प्रभावित हुई है.
रिपोर्ट कहती है कि इस परिदृश्य में हिंसा के स्तर में कमी लाने, पीड़ितों की ज़रूरतों का ख़याल करने और शान्ति के लिये वार्ता की मेज़ पर लौटने की अहमियत और ज़्यादा बढ़ गई है.