अफ़ग़ानिस्तान: शान्ति वार्ता से पहले हिंसा पर रोक व आम लोगों की रक्षा का आहवान

अफ़ग़ान सरकार और तालिबान वार्ताकारों में शान्ति वार्ता की सम्भावनाओ के बीच अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने सभी पक्षों से आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयास दोगुना करने का आग्रह किया है. यूएन मिशन ने कहा है कि इससे लोगों की ज़िन्दगियों की रक्षा करने और शान्ति वार्ता के लिए मददगार माहौल बनाना सम्भव होगा. यह शान्ति वार्ता क़तर की राजधानी दोहा में होनी है.
संयुक्त राष्ट्र ने हाल के दिनों में हिंसक घटनाओं में तेज़ी आने पर चिन्ता जताई है जिनमें अफ़ग़ानिस्तान के नागरिक समाज के सदस्यों को निशाना बनाया गया है.
“It’s taken enormous work and some brave decisions for Afghans to reach the point of being on the eve of unprecedented intra-Afghan negotiations.” – UN envoy @DeborahLyonsUN urging de-escalation of #Afghanistan conflict ahead of Doha talks. More: https://t.co/15EaAZweg2 pic.twitter.com/AS7iqh5JTO
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मिशन ने कहा है कि धार्मिक नेताओं, स्वास्थ्यकर्मियों, न्यायपालिका सदस्यों, नागरिक समाज कार्यकर्ताओं, ग़ैरसरकारी संगठनों और पत्रकारों पर जानबूझकर किये गए हमले स्तब्धकारी और आपराधिक हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ान सरकार से हमलों के लिए ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने की माँग करते हुए देश में फल-फूल रहे नागरिक समाज सैक्टर को अपना समर्थन जारी रखने का भरोसा दिलाया है.
अफ़ग़ानिस्तान में यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि डेबराह लियोन्स ने कहा, “कड़े परिश्रम और अफ़ग़ान लोगों द्वारा लिये गए साहसिक फ़ैसलों के बाद ही हम अफ़ग़ानिस्तान में विभिन्न पक्षों के बीच वार्ता की पूर्वसंध्या के इस मुक़ाम पर पहुँचे हैं.”
“मैं सभी पक्षों को प्रोत्साहित करना चाहूँगी कि वार्ता के लिए ज़रूरी नींव तैयार करने के लिए हिंसा कम करने और आम लोगों की रक्षा करने के लिए तत्काल व ठोस कार्रवाई के ज़रिये शान्ति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया जाए.”
विशेष प्रतिनिधि और यूएन मिशन की प्रमुख डेबराह लियोन्स ने स्वीकार किया कि कुछ ऐसे तत्व हैं जो इस युद्ध को ख़त्म होते नहीं देखना चाहते हैं लेकिन शान्ति प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए वे चाहे कोई भी तिकड़मबाज़ी करें, उन्हें सफल नहीं होने दिया जा सकता.
वर्ष 2020 के पहले छह महीनों के आरम्भिक शुरुआती आँकड़ों के मुताबिक आम लोगों पर सोच-समझकर किये गए हमलों में 800 से ज़्यादा नागरिकों की मौत हुई है या फिर वे घायल हुए हैं.
इनमें आधे से ज़्यादा हताहतों के लिए यूएन मिशन ने तालिबान को ज़िम्मेदार ठहराया है.
इस वर्ष धार्मिक नेताओं को निशाना बनाए जाने की 18 घटनाओं की पुष्टि हुई है जिनमें से छह घटनाएँ जून महीने में ही हुई हैं.
स्वास्थ्यकर्मियों को निशाना बनाने की 13 घटनाएँ, न्यायपालिका सदस्यों पर हमले की 11 घटनाएँ और नागरिक समाज कार्यकर्ताओं को निशाना बनाए जाने की अब तक 6 घटनाएँ हुई हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने दोहराया है कि अफ़गानिस्तान में आम नागरिकों को सोचे-समझे ढँग से निशाना बनाए जाने की घटनाएँ अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का हनन हैं और उन्हें युद्धापराधों की श्रेणी में रखा जा सकता है.
अफ़ग़ानिस्तान में विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के फैलाव के ख़तरे के मद्देनज़र यूएन मिशन ने सभी पक्षों से हिंसा पर तत्काल रोक लगाने की पुकार लगाई है ताकि ज़रूरी ध्यान और संसाधन बीमारी से निपटने के प्रयासों पर केन्द्रित किये जा सकें.