सीरिया में हिंसक संघर्ष को तत्काल रोके जाने की अपील

पश्चिमोत्तर सीरिया में हिंसक संघर्ष में तेज़ी आने से गहराती चिंता के बीच यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सभी पक्षों से भीषण लड़ाई के कगार से वापस लौट आने की पुरज़ोर अपील की है. सीरिया के इदलिब प्रांत में तुर्की और रुस का समर्थन प्राप्त सीरियाई सुरक्षा बलों में लड़ाई तेज़ होने से हालात ख़तरनाक मोड़ पर पहुंच गए हैं.
महासचिव गुटेरेश ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क में मीडिया से बात करते हुए कहा कि हालात को पूरी तरह बेक़ाबू ना होने देने के लिए इस समय सबसे ज़्यादा ज़रूरत तत्काल युद्धविराम की है.
"As of today, 84 health facilities have been forced to suspend operations since 1 December 2019," -- @WHO "We now have 950,000 displacements going in absolutely horrifying conditions. People have nothing and they have no place to go," -- @UNOCHA #Idlib #Syria pic.twitter.com/B012LyA32G
UNGeneva
“सीरिया में हिंसक संघर्ष की अवधि में यह सबसे चिंताजनक लम्हों में एक है. बिना ज़रूरी कार्रवाई के हिंसा और भड़कने का ख़तरा बढ़ रहा है. और हमेशा की तरह इसकी सबसे कड़ी क़ीमत आम नागरिक चुका रहे हैं.”
यूएन प्रमुख ने क्षोभ जताया कि बम के गोलों से उन कैंपों और स्थलों को भी निशाना बनाया जा रहा है जहां विस्थापित परिवारों ने शरण ले रखी है.
सीरिया में लड़ाई तेज़ होने के बाद हालात पर चर्चा के लिए शुक्रवार को सुरक्षा परिषद का आपात सत्र बुलाया गया है. यूएन प्रमुख ने दोहराया है कि यह समय कूटनीति को अवसर देने का है और लड़ाई का रुकना ज़रूरी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि हिंसा की जद में आए इलाक़ों में स्वास्थ्य प्रणाली में अफ़रा-तफ़री का माहौल व्याप्त है. जिनीवा में प्रैस से बातचीत में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता क्रिस्टियान लिन्डमीयर ने बताया कि स्वास्थ्यकर्मी को बेहद मुश्किल हालात का सामना करना पड़ रहा है.
इदलिब प्रांत में एक लाख 70 हज़ार से ज़्यादा नए विस्थापितों को खुले में सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इदलिब प्रांत सीरिया के उन अंतिम इलाक़ों में शामिल है जो विद्रोहियों का गढ़ है और सीरिया सरकार वहाँ फिर से अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर अभियान चला रही है.
यूएन मानवीय राहतकर्मियों का कहना है कि सीरिया में वर्ष 2011 में हिंसक संघर्ष शुरू होने के बाद पश्चिमोत्तर हिस्सों में पहली बार लोगों को इतने बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है.
एक दिसंबर 2019 से अब तक क़रीब दस लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं. मानवीय मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय के प्रवक्ता येन्स लार्क ने परिस्थितियों को ‘भयावह’ बताया है.
“साढ़े 9 लाख से ज़्यादा विस्थापित भयावह परिस्थितियों में हैं. लोगों के पास कुछ नहीं है और वो कहीं जा भी नहीं सके. एक के बाद एक मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं और यह सब देखना असल में त्रासदीपूर्ण है.”
एक दिसंबर 2019 से अब तक 11 स्वास्थ्य केंद्रों पर हमले हो चुके हैं, जिनमें 10 की मौत हुई है और 37 लोग घायल हुए हैं.