कोरोनावायरस: संक्रमण रोकने के लिए शीर्ष वैज्ञानिकों की बैठक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोनावायरस संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या एक हज़ार से ज़्यादा हो गई है. मंगलवार को जिनीवा में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक बैठक 'रीसर्च एंड इनोवेशन फ़ोरम' शुरू हुई है जिसमें इस महामारी को फैलने से रोकने के रास्तों पर विचार विमर्श हुआ. अब इस बीमारी को आधिकारिक नाम COVID-19 दिया गया है और इसके लिए वैक्सीन अगले 18 महीनों में तैयार होने की संभावना जताई गई है.
स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता फ़देला चायब ने बताया, “जिनीवा समय के मुताबिक मंगलवार सुबह 6 बजे तक चीन में कोरोनावायरस के संक्रमण के 42 हज़ार 708 मामलों की पुष्टि हुई है और यह त्रासदीपूर्ण है कि मौतों का आंकड़ा एक हज़ार को पार कर गया है.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता के मुताबिक एक हज़ार 17 लोगों की इस संक्रमण से अब तक मौत हो चुकी है. चीन के बाहर 24 अन्य देशों में इसके संक्रमण के 393 मामलों का पता चला है और एक व्यक्ति की (फ़िलीपीन्स में) मौत हुई है.
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WHO
31 दिसंबर 2019 को पहली बार चीन के वूहान शहर में कोरोनावायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी और तब से अब तक इसके संक्रमण के मामलों का लगातार बढ़ना जारी है.
बताया गया है कि संदिग्ध मरीज़ों की स्क्रीनिंग व्यवस्था पुख़्ता बनाए जाने और संक्रमण के परीक्षण का दायरा बढ़ाने के मद्देनज़र ज़्यादा संख्या में मरीज़ों का पता चल रहा है.
इस बीच यूएन एजेंसी ने 300 से ज़्यादा वैज्ञानिकों, सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों, स्वास्थ्य मंत्रालयों व रीसर्च को वित्तीय सहायता मुहैया कराने वाले संगठनों की दो दिवसीय बैठक ‘रीसर्च एंड इनोवेशन फ़ोरम ऑन नॉवल कोरोनावायरस 2019’ का आयोजन किया है ताकि वायरस और उससे निपटने के बारे में ताज़ा जानकारी साझा की जा सके.
यूएन एजेंसी के महानिदेशक टैड्रोस एडेहनॉम घेबरेयेसस ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से इस बीमारी से जुड़े कई अनुत्तरित सवालों का जवाब ढूंढने के लिए कहा है.
यह पता लगाना ज़रूरी है कि वायरस कहां पनपता है, उसके फैलने का पैटर्न किस तरह का है, उसकी संक्रामकता का स्तर कैसे निर्धारित होता है, निदान व निगरानी के लिए कौन से नमूनों का इस्तेमाल बेहतर रहता है और गंभीर मामलों में मरीज़ की जान किस तरह बचाई जा सकती है.
उन्होंने कहा, “यह बैठक राजनीति या धन के बारे में नहीं है. यह विज्ञान के बारे में है.”
“अभी हमें बहुत सी बातों के बारे में जानकारी नहीं है...हमें आपके सामूहिक ज्ञान, अंतर्दृष्टि और अनुभव की ज़रूरत है ताकि हम उन सवालों के जवाब दे सकें जिनके उत्तर हमारे पास नहीं हैं, और उन सवालों की भी शिनाख़्त कर सकें जिन्हें हमें पूछना चाहिए.”
अभी इस वायरस से बचाव के लिए कोई वैक्सीन उबलब्ध नहीं है और ना ही संक्रमण से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए उपचार पर स्पष्टता है.
संगठन प्रमुख ने कहा कि पहली वैक्सीन के पूरी तरह तैयार होने में 18 महीने तक का समय लग सकता है इसलिए मौजूदा समय में जो भी साधन उपलब्ध हैं उनसे हर संभव काम लिया जाना चाहिए.
उन्होंने सदस्य देशों से कहा है कि इस वायरस को सार्वजनिक स्वास्थ्य का दुश्मन नंबर एक माना जाना चाहिए.
पश्चिम अफ़्रीका में इबोला वायरस के फैलने के बाद यूएन एजेंसी ने भविष्य की महामारियों से लड़ाई के मद्देनज़र दवाई और वैक्सीन बनाने की एक रणनीति तैयार की है ताकि महामारियों के फैलने के दौरान शोध व वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ाई जा सके.
इसी प्रोटोकॉल के तहत यूएन एजेंसी की “आर एंड डी ब्लूप्रिंट” टीम ने जनवरी 2020 में काम शुरू कर दिया था और शुरुआती चरण में जानकारी साझा करने के लिए बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया जा रहा है.