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'माली में शांति समझौता लागू करना ही स्थिरता का एक मात्र रास्ता'

माली के मोपती क्षेत्र में संयुक्त राष्ट् का शांतिरक्षा मिशन.
MINUSMA/Harandane Dicko
माली के मोपती क्षेत्र में संयुक्त राष्ट् का शांतिरक्षा मिशन.

'माली में शांति समझौता लागू करना ही स्थिरता का एक मात्र रास्ता'

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा विभाग के प्रमुख ज्याँ पियर लैक्रोइ ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को बताया कि माली में 2015 के शांति समझौते को लागू करना ही देश में स्थिरता स्थापित करने का एक मात्र प्रशस्त करता है. ज्याँ पियर लैक्रोइ ने पश्चिम अफ्रीकी देश माली में ताज़ा स्थिति के बारे में सुरक्षा परिषद को अवगत कराया.

माली में संयुक्त राष्ट्र का स्थिरता मिशन - MINUSMA देश में असुरक्षा, सांप्रदायिक हिंसा और बढ़ते विस्थापन के मद्देनज़व वहाँ राजनैतिक प्रक्रिया और राज्यसत्ता की बहाली में मदद करता है.

यूएन शांतिरक्षा विभाग के प्रमुख ज्याँ पियर लैक्रोई सुरक्षा परिषद में माली की ताज़ा स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए (15 जनवरी 2020)

जनवरी 2012 में माली के सरकारी बलों और टुआरेग विद्रोहियों के बीच लड़ाई भड़क जाने के बाद माली में संयुक्त राष्ट्र शांति व स्थिरता मिशन - मिनुस्मा शुरू किया गया था.

उस लड़ाई के बाद माली के उत्तरी हिस्से में इस्लामी विद्रोहियों का क़ब्ज़ा हो गया था.

तीन साल बाद वर्ष 2015 में माली की सरकार और दो विभिन्न प्रथकतावादी गुटों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. 

ज्याँ पियर लैक्रोइ ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए कहा, "शांति समझौते को जल्द और पूरी तरह से लागू करके ही माली में स्थिरता का टिकाऊ रास्ता निकल सकता है. ये समझौते देश में वांछित राजनैतिक और संस्थागत सुधारों का प्रावधान करता है जिनके ज़रिए एक विकेंद्रीकृत राज्यसत्ता स्थापित हो सकती है. इसके ज़रिए माली में एक ऐसी सरकार स्थापित हो सकती है जो देश के तमाम नागरिकों के हितों और विविधता का प्रतिनिधित्व करे."

"शांति समझौता माली के उन नागरिकों की शिकायतों को दूर करने की व्यवस्था भी मुहैया कराता है जो ये समझते हैं कि उन्हें देश के राजनैतिक जीवन और आर्थिक विकास से अलग-थलग कर दिया गया है.  ये ऐसे लोग हैं जिन्हें अपने भविष्य के लिए बहुत कम उम्मीद नज़र आती है."

राष्ट्रीय बातचीत समाप्त

यूएन के शांतिरक्षा प्रमुख ने बताया कि माली में विभिन्न पक्षों में मतभेदों और बातचीत की धीमी शुरुआत के बावजूद उल्लेखनीय प्रगति हासिल की गई है. इसमें राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी बातचीत हुई जिसमें विभिन्न पक्षों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की और ये बातचीत दिसंबर 2019 में समाप्त हुई. 

माली के विदेश मंत्री तियबिले ड्रामे ने इस बातचीत को देश के लिए एक मील का पत्थर क़रार दिया.

वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिए बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय संवाद देश के जीवन में एक महत्वपूर्ण पड़ा था. एक ऐसा पड़ा जहाँ असल राष्ट्रीय सहमति बनी जिसमें ठोस मज़बूती भी नज़र आई."

विदेश मंत्री ने बताया, "माली के राष्ट्रपति ने भी राष्ट्रीय संवाद की तमाम सिफ़ारिशें और प्रस्ताव मौजूदा क़ानून के दायरे में लागू करना सुनिश्चित करने के लिए अपने स्तर से अपने सत्ताधिकार में सबकुछ करने का संकल्प व्यक्त किया है."

क्षेत्रीय योजनाएँ

स्थिरता की दिशा में अगला क़दम ये रहा है कि पूर्व लड़ाकों को निरस्त्र करके उन्हें राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों में शामिल किया गया है. 

ज्याँ पियर लैक्रोइ ने बताया कि पुनर्गठित सैन्य यूनिटों को देश के उत्तरी हिस्से में तैनात करना तात्कालिक प्राथमिकता है.

क्षेत्र में प्रथम बटालियन के जनवरी के अंत तक तैनात हो जाने की उम्मीद जताई गई है. माली के पूरे हिस्से में राज्यसत्ता को स्थापित करने के प्रयासों में ये तैनाती एक महत्वपूर्ण पड़ाव है.

इस के साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने माली के केंद्रीय इलाक़े - मोपती में अपनी मौजूदगी और गतिविधियाँ बढ़ा दी हैं.

यूएन की इस सक्रियता की बदौलत उस इलाक़े में सांप्रदायिक हिंसा और जनसंहार को कम करने में मदद मिली है.   

सेनेगल के शांतिरक्षक जो माली में यूएन स्थिरता मिशन में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं. माली के संवेदनशील केंद्रीय इलाक़े में एक गश्क के दौरान. (4 जुलाई 2019)
UN Photo/Gema Cortes
सेनेगल के शांतिरक्षक जो माली में यूएन स्थिरता मिशन में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं. माली के संवेदनशील केंद्रीय इलाक़े में एक गश्क के दौरान. (4 जुलाई 2019)

अलबत्ता, इसके लिए देश के उत्तरी हिस्से से संसाधनों का स्थान बदलना पड़ा है जिसकी वजह से, ज्याँ पियर लैक्रोइ के शब्दों में - अनेक स्थानों पर "ख़तरनाक अन्तर" पैदा हो गया है.

इस चुनौती का सामना करने के लिए यूएन शांति स्थिरता मिशन अपने क्षेत्राधिकार में सुरक्षा बलों की संख्या में कुछ फेरबदल करेगा. 

ज्याँ पियर लैक्रोइ ने बताया, "योजना के अंतर्गत एक सचल टास्क फ़ोर्स गठित करने का प्रावधान है, जो यूएन स्थिरता मिशन की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ मैंडेट लागू करने और आम नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने में मदद करेगा."

सहेल को मदद

ज्याँ पियर लैक्रोई ने सुरक्षा परिषद को अपना संबोधन ना सिर्फ़ माली में बल्कि वृहत्तर सहेल में बिगड़ते सुरक्षा हालात के बारे में चेतावनी देने के अंदाज़ के साथ किया. 

सिर्फ़ पिछले सप्ताह ही दो अलग-अलग हमलों में निजेर के 89 सैनिक मारे गए थे और 18 शांतिरक्षक घायल हुए थे.  यूएन क़ाफ़िलों पर हाल के समय में संवर्धित विस्फोटक यंत्रों (IEDs) के ज़रिए हमलों में बढ़ोत्तरी हुई है. 

उन्होंने बताया, "आतंकवाद सांप्रदायिक हिंसा को और ज़्यादा भड़काने का काम कर रहा है. मोपती क्षेत्र में अब पहले से कहीं ज़्यादा विस्थापित लोगों को भोजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है."

संयुक्त राष्ट्र सहेल के क्षेत्रीय संगठन-जी5 को समर्थन दे रहा है जिसमें बुर्किना फ़ासो, चाड, माली, मौरितानिया और निजेर शामिल हैं. ये सभी देश अतिविदी हिंसा में बढ़ोत्तरी की चुनौती का सामना कर रहे हैं.

फ्रेंच राजदूत निकोला दे रीवियर ने सुरक्षा परिषद को बताया कि माली में हाल ही में हुए एक सम्मेलन के बाद जी-5 संगठन और उसके अंतरराष्ट्रीय साझीदारों ने सहेल के लिए एक गठबंधन बनाया है.

उन्होंने कहा, "इस गठबंधन का उद्देश्य जी-5 सहेल के देशों को मदद मुहैया कराने में तेज़ी लाना है, लेकिन उसके भी आगे उन देशों को सुधार आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित भी करना है. इनमें स्वभाविक रूप से सुरक्षा सुधार तो शामिल हैं साथ ही सरकार में और मानवाधिकारों के क्षेत्र में सुधार लाना भी शामिल है." 

"ऐसे हालात पैदा करके आतंकवाद का ख़ात्मा किया जा सकता है."