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जलवायु संकट: "गर्त में खड़े रहकर खुदाई रोकनी होगी, नहीं तो..."

स्पेन की राजधानी मैड्रिड में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप25 शुरू होने से एक दिन पहले पत्रकारों को संबोधित करते हुए एंतोनियो गुटेरेश. (1 दिसंबर 2019)
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स्पेन की राजधानी मैड्रिड में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप25 शुरू होने से एक दिन पहले पत्रकारों को संबोधित करते हुए एंतोनियो गुटेरेश. (1 दिसंबर 2019)

जलवायु संकट: "गर्त में खड़े रहकर खुदाई रोकनी होगी, नहीं तो..."

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा है कि विश्व स्तर पर मौजूद जलवायु संकट का मुक़ाबला करने के लिए दुनिया को ज़्यादा जवाबदेही, ज़िम्मेदारी और प्रभावशाली नेतृत्व की ज़रूरत है. इसके लिए उन्होंने सोमवार को मैड्रिड में शुरू हो रहे जलवायु सम्मेलन कॉप-25 में तमाम देशों से और ज़्यादा महत्वाकांक्षाएँ व संकल्पों का भी आहवान किया है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सम्मेलन शुरू होने से एक दिन पहले रविवार को स्पेन की राजधानी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जलवायु सम्बन्धी प्राकृतिक आपदाएँ अब बहुत जल्दी-जल्दी आ रही हैं, ज़्यादा विनाशकारी और जानलेवा हो रही हैं जिनसे जानमाल का नुक़सान भी बढ़ता जा रहा है.

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“कहने का मतलब है कि जलवायु परिवर्तन अब कोई भविष्य की समस्या नहीं है, बल्कि हम वैश्विक स्तर पर जलवायु संकट का सामना अभी कर रहे हैं.”

महासचिव का कहना था “मेरा आज संदेश है – मायूस ना हों, उम्मीद बनाए रखें.”

इस मौक़े पर उन्होंने विश्व मौसम संगठन द्वारा जलवायु की स्थिति पर आई ताज़ा रिपोर्ट के मुख्य बिन्दुओं का भी ज़िक्र किया जो कॉप-25 के दौरान प्रकाशित होने वाली है. 

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “पिछले पाँच वर्ष रिकॉर्ड पर मौजूद अभी तक के सबसे गर्म साल रहे हैं. समुद्री जल स्तर मानव इतिहास में सबसे ऊँचे स्तर पर है.”

“रास्ता ख़त्म होने का मुक़ाम अब क्षितिज पर नहीं बचा है, बल्कि ये अब हमें साफ़-साफ़ नज़र आ रहा है और ये हमारी तरफ़ बढ़ रहा है.”

लेकिन वैज्ञानिकों ने उस मुक़ाम से दूरी बनाए रखने का रोडमैप भी मुहैया कराया है जिसके ज़रिए वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखी जा सकती है.

साथ ही यह रोडमैप वर्ष 2050 तक कार्बन शून्यता और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को वर्ष 2010 के स्तर से कटौती करके वर्ष 2030 तक 45 प्रतिशत पर लाने में मददगार साबित होगा.

1.5 डिग्री का लक्ष्य पहुँच में

यूएन प्रमुख ने कहा कि अभी तक पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए हैं, और पेरिस समझौते के तहत किए गए संकल्प भी पूरे कर लिए जाएँ तो भी तापमान वृद्धि 3.2 डिग्री सेल्सियस तक होगी, बशर्ते कि बहुत असाधारण कार्रवाई ना की जाए. “साथ ही तापमान वृद्धि को 1.5 तक सीमित रखना अभी पहुँच के दायरे में है.”

एंतोनियो गुटेरेश का कहना था, “इस लक्ष्य को संभव बनाने के लिए जिन प्रोद्योगिकियों की आवश्यकता है, वो पहले से ही मौजूद हैं. आशाओं के संकेत तेज़ी से बढ़ रहे हैं. हर जगह जनमत रफ़्तार पकड़ रहा है. युवा लोग कमाल का नेतृत्व व सक्रियता दिखा रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि सबसे ज़्यादा कारक जो ग़ायब नज़र आता है, वो है राजनैतिक इच्छाशक्ति, “कार्बन की क़ीमत निर्धारित करने के लिए राजनैतिक इच्चाशक्ति. जीवाश्म ईंधन पर दी जाने वाली वित्तीय सहायता को रोकने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति.”

या फिर आमदनी पर टैक्स लगाने से हटकर कार्बन पर टैक्स लगाया जाए यानी “लोगों पर टैक्स लगाने के बजाय प्रदूषण पर टैक्स लगे.”

रोकनी होगी खुदाई व ड्रिलिंग

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का कहना था कि जलवायु परिवर्तन की रफ़्तार को धीमा करने के लिए खनन व ड्रिलिंग को रोकना होगा और उनके स्थान पर नवीकृत ऊर्जा व प्रकृति आधारित समाधानों का विकल्प अपनाना होगा.

“आगे आने वाले 12 महीनों के दौरान ये बहुत ज़रूरी होगा कि राष्ट्रीय स्तरों पर और भी ज़्यादा महत्वाकांक्षी संकल्प निर्धारित किए जाएँ – मुख्य रूप से वहाँ जहाँ कार्बन उत्सर्जन बहुत ज़्यादा होता है.”

“साथ ही कार्बन उत्सर्जन में इस स्थाई गति से कटौती की जाए जिससे 2050 तक कार्बन शून्यता कि स्थिति हासिल की जा सके.” 

एंतोनियो गुटेरेश का कहना था कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने और आपदाओं का सामना करने व राहत कार्यों के मामले में सहनशक्ति बढ़ाने के लिए समुचित अपेक्षाएँ रखने के वास्ते विकासशील देशों को कम से कम 100 अरब डॉलर की रक़म की व्यवस्था करने की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन के सामाजिक पहलू पर भी गहरी नज़र रहनी चाहिए ताकि राष्ट्रीय स्तर पर तमाम सरकारें ऐसे इरादों पर काम करें जिनमें जलवायु परिवर्तन से प्रभावित क्षेत्रों में रोज़गार कमाने वाले लोगों को हरित अर्थव्यवस्था की तरफ़ स्थानांतरित किया जा सके.” 

पत्रकारों को संबोधित करते हुए आख़िर में उन्होंने कहा: “हम पहले से ही एक गहरे गड्ढे में पहुँच चुके हैं लेकिन फिर भी खुदाई किए जा रहे हैं. जल्दी ही ये गड्ढा इतना गहरा हो जाएगा कि उससे बाहर निकलना असंभव हो जाएगा.”

मार्क कार्नी - जलवायु कार्रवाई के लिए नए विशेष दूत

महासचिव ने रविवार को ये भी घोषणा की कि बैंक ऑफ़ इंग्लैंड के मौजूदा गवर्नर मार्क कार्नी जलवायु कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र के नए विशेष दूत होंगे.

कनाडा मूल के मार्क कार्नी को वित्तीय क्षेत्र को जलवायु पर ठोस उपाय करने के लिए बाध्य करने में असाधारण भूमिका निभाने वाले अदभुत नेता बताते हुए महासचिव ने कहा कि नए दूत जलवायु कार्रवाई को अमल में लाने के लिए महत्वाकांक्षी क़दम उठाएंगे.

इनमें ख़ासतौर से वैश्विक तापमान बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए बाज़ारों में बड़े बदलाव वाना और निजी वित्ती क्षेत्र को सक्रिय बनाना शामिल होगा.  

मार्क कार्नी जलवायु कार्रवाई के मौजूदा अध्यक्ष और न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर माइकल ब्लूमबर्ग का स्थान लेंगे. अरबपति और समाज सेवी माइकल ब्लूमबर्ग अब अमरीकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी दौड़ में हैं.

यूएन महासचिव के प्रवक्ता द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि  मार्क कार्नी के मुख्य काम होंगे - जलवायु परिवर्तन  के प्रभावों के मद्देनज़र निजी वित्तीय क्षेत्रों में निर्णय प्रक्रिया में प्रमुख जगह दिलाने के लिए वित्तीय रिपोर्टिंग, आपदा प्रबंधन व फ़ायदों का फ़्रेमवर्क तैयार करना होगा. साथ ही शून्य कार्बन वाली अर्थव्यवस्था  की तरफ़ बढ़ने के प्रयासों में मददगार ढाँचा भी मुहैया कराना. 

बैंक ऑफ़ इंग्लैंड के गवर्नर वित्तीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं जिनमें निजी व सरकारी दोनों क्षेत्र शामिल हैं. इस पद पर नियुक्ति घोषित होने के बाद जब वो बैंक ऑफ़ इंग्लैंड के गवर्नर का पद छोड़ देंगे तो संयुक्त राष्ट्र के स्टाफ़ बन जाएंगे.

मार्क कार्नी 2011 से 2018 तक कनाडा में वित्तीय स्थिरता बोर्ड के चैयरमैन और 2008 से 2013 तक बैंक ऑफ़ कनाडा के गवर्नर भी रहे हैं.