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यमन: हिंसा में कमी और सहायता राशि में वृद्धि से उम्मीदें बंधी

यमन में करीब एक करोड़ लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
OCHA/Giles Clark
यमन में करीब एक करोड़ लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

यमन: हिंसा में कमी और सहायता राशि में वृद्धि से उम्मीदें बंधी

शान्ति और सुरक्षा

यमन में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा है कि देश में हिंसा में कमी आने के बाद वहां बदहाल हालात में जीवन गुज़ार रहे आम लोगों के लिए आशा बंधने के संकेत मिले हैं. ज़रूरतमंदों के लिए सहायता राशि में 20 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है जिसके बाद बंद पड़े मानवीय राहत कार्यक्रम फिर से शुरू कर दिए गए हैं लेकिन हिंसा पर पूर्ण विराम लगाने के लिए अभी और ज़्यादा प्रयास करने होंगे.

यूएन के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स और मानवीय सहायता कार्यों के प्रमुख मार्क लोकॉक ने बताया कि भविष्य के प्रति आशावान रहने के कुछ कारण मौजूद हैं लेकिन चार साल से चली आ रही लड़ाई को समाप्त करने के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय करना है.

यमन में हूती लड़ाकों का राजधानी सना और अन्य प्रमुख इलाक़ों पर नियंत्रण है जबकि अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार को सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन से सहायता प्राप्त है.

ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि अभी तक के संकेत नाज़ुक हालात की ओर इशारा करते हैं जिसे संभालने के लिए देखरेख करने और ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है.

उन्होंने हूती लड़ाकों – औपचारिक नाम अंसार अल्लाह - की उस पहल का ज़िक्र किया जिसमें सऊदी अरब पर सभी ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल हमले रोक दिए गए हैं.

इस घोषणा के बाद से ही हिंसा में कमी देखी गई है. उन्होंने कहा कि यमन में हवाई बमबारी में कमी आई है जो सही दिशा में उठाया गया एक क़दम है.

बंदियों की रिहाई के मामले में भी प्रगति हुई है और बंदरगाह शहर हुदायदाह जाने वाले ईंधन से लदे जहाज़ों को रास्ता मिला है.

“अगली बार हमारी मुलाक़ात फिर होने तक, अध्यक्ष महोदय (सुरक्षा परिषद) मुझे आशा है कि हमारे पास ज़्यादा स्पष्टता, सुनिश्चितता और आशा के कारण होंगे.”

यमन में यूएन के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स सुरक्षा परिषद को वीडियो लिंक के ज़रिए संबोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
यमन में यूएन के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स सुरक्षा परिषद को वीडियो लिंक के ज़रिए संबोधित करते हुए.

आपात राहत समन्वयक मार्क लोकॉक बताया कि सितंबर का महीना इस वर्ष आम नागरिकों के लिए सबसे घातक रहा है और हर दिन क़रीब 13 लोगों की मौत हुई है. लेकिन ज़रूरतमंदों तक राहत पहुंचाने में ठोस प्रगति भी हुई है. यमन के दक्षिणी हिस्से में मानवीय राहत सामग्री पहुंचाना संभव हुआ है.

उन्होंने हिंसा से उपजी स्थिति से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र की योजना पर ध्यान आकृष्ट करते हुए सऊदी अरब से 50 करोड़ डॉलर व संयुक्त अरब अमीरात से 20 करोड़ डॉलर के योगदान का स्वागत किया.

हाल ही में कुवैत ने 8 करोड़ 80 लाख डॉलर की सहायता राशि के संकल्प की घोषणा की थी.

“पिछले छह हफ़्तों में करोड़ों डॉलर की नई फंडिंग हुई है जिससे योजना में प्रस्तावित राशि का इंतज़ाम सितंबर की शुरुआत में 45 फ़ीसदी से बढ़कर 65 फ़ीसदी हो गया.”

आपात राहत प्रमुख के मुताबिक़ सहायता राशि का अभाव अब भी है लेकिन जो राहत कार्यक्रम निलंबित किए गए थे उन्हें फिर से शुरू कर दिया गया है.

इसके तहत स्वास्थ्य केंद्रों, कुपोषण के इलाज के लिए बनाए गए केंद्रों और टीकाकरण अभियान को सहायता शामिल है.

उन्होंने बताया कि ऐसे संकेत मिले हैं कि यमन की बदहाल अर्थव्यवस्था देश को व्यापक अकाल की ओर धकेल रही है.

सरकारी नीतियों के प्रति चिंता बनी हुई है जिनके तहत व्यवसायिक तौर पर ईंधन के आयात पर रोक लगाई हुई है जिससे देश में ईंधन की किल्लत पैदा हो रही है.

“ईंधन की क़ीमतें बढ़ने का अर्थ है कि परिवारों को तब मदद नहीं मिल पाएगी जब उन्हें उसकी ज़रूरत हो क्योंकि परिवहन ख़र्चीला या अनुपलब्ध हो जाता है. कुछ क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचने वाले लोगों की संख्या में 50 फ़ीसदी तक की कमी आई क्योंकि लोग वहां तक पहुंच नहीं सके.”

यूएन आपात राहत प्रमुख के अनुसार सहायता योजना के लिए धनराशि मिलने से मानवीय राहत एजेंसियों को अपना काम जारी रखने और लाखों लोगों के जीवन की रक्षा करने में मदद मिलेगी.

लेकिन लोगों की पीड़ा कम करने के बजाय उसे पूरी तरह दूर करने का एक ही रास्ता है कि युद्ध समाप्त किया जाए.