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वैक्सीन में भरोसा बहाल करने के लिए फ़ेसबुक की नई पहल

सोशल मीडिया पर टीकाकरण संबंधी सटीक जानकारी मुहैया कराने के लिए प्रयास.
UN Photo/Manuel Elias
सोशल मीडिया पर टीकाकरण संबंधी सटीक जानकारी मुहैया कराने के लिए प्रयास.

वैक्सीन में भरोसा बहाल करने के लिए फ़ेसबुक की नई पहल

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘फ़ेसबुक’ की उस पहल का स्वागत किया है जिसके ज़रिए वैक्सीन से जुड़ी भ्रांतियों और ग़लत जानकारियों के बजाय तथ्य आधारिक सूचना उपलब्ध कराई जाएगी. इसके तहत फ़ेसबुक सर्च परिणामों, ग्रुप, पेज और फॉरम पर सही जानकारी तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी.

टीकाकरण संबंधी ग़लत जानकारियाँ फैलने की वजह से यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और फ़ेसबुक के बीच इस संबंध में महीनों से विचार-विमर्श हो रहा था.

अब फ़ेसबुक ने आश्वासन दिया है कि लाखों-करोड़ों लोगों तक सटीक और विश्वसनीय सूचना कई भाषाओं में पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे ताकि ज़रूरी जानकारी उन लोगों तक पहुंच सके जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है.  

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने सचेत किया है कि, “वैक्सीन के बारे में ग़लत जानकारी वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा ख़तरा है जिससे रोकथाम करने योग्य बीमारियों के क्षेत्र में अब तक हासिल हुई प्रगति रुक सकती है.”

डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस, पोलियो और ख़सरा जैसी घातक बीमारियों की टीकों के ज़रिए रोकथाम की जा सकती है.

टीके लगवाने में हिचकिचाहट या अनिच्छा को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2019 में वैश्विक स्वास्थ्य के लिए 10 बड़े ख़तरों में शामिल किया है.

इस संबंध में ख़सरा के मामले बढ़ने का हवाला दिया है और अब तक विश्व भर में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

ऑनलाइन माध्यमों पर वैक्सीन न लगवाने की मुहिम ज़ोर पकड़ रही है जिससे प्रतिरक्षण दरों (immunization rates) में गिरावट दर्ज की गई है.

ऐसे रुझान विकसित और विकासशील दोनों देशों में देखने को मिल रहे हैं.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कैलीफ़ोर्निया के लॉस एंजेलिस में टीकाकरण के आंकड़े अफ़्रीका में चाड और दक्षिण सूडान जितने ही कम हैं.

स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि इम्युनाइज़ेशन से हर साल 20 से 30 लाख मौतों की टालने में मदद मिलती है और अन्य बीमारियों और शारीरिक अक्षमताओं की रोकथाम होती है.

ऐसी 26 बीमारियां हैं जिनकी वैक्सीन के ज़रिए रोकथाम की जा सकती है.

विश्व स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रॉस अधानोम घेब्रेयेसस ने स्पष्ट किया है कि विशाल डिजिटल कंपनियों की अपने यूज़र्स के लिए ज़िम्मेदारी बनती है ताकि वैक्सीन और स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में उनकी सच्चाई और ज़रूरी आंकड़ों तक पहुंच हो.

उन्होंने कहा, “सोशल और सर्च प्लेटफ़ॉर्म को एक साथ आकर अपनी साझा पहुंच का लाभ उठाते देखना सुखद होगा.”

पिछले महीने ही सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पिनट्रस्ट (Pinterest) ने घोषणा की थी कि वैक्सीन से जुड़े विषयों में सर्च परिणाम सिर्फ़ बड़े स्वास्थ्य संगठनों तक ही सीमित रखे जाएंगे.

इनमें यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और यूएन सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन शामिल हैं.

यूएन एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि डिजिटल कंपनियों को और ज़्यादा प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि दुनिया को बताया जा सके कि वैक्सीन कारगर हैं (#VaccinesWork) और यही इस वर्ष ‘वर्ल्ड इम्यूनाइज़ेशन वीक’ की थीम है जो अप्रैल 2019 में मनाया गया.

इसके साथ अपील भी जारी की गई है कि फ़ेसबुक की पहल के अलावा सरकारों को भी वैक्सीन में विश्वास को बढ़ावा देना होगा और मरीज़ों की ज़रूरतों और चिंताओं को समझना होगा.