पोलियो और ख़सरा जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिये 'तत्काल कार्रवाई' की ज़रूरत

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं और टीकाकरण में आए व्यवधान के कारण लाखों बच्चों के पोलियो और ख़सरा का जोखिम बहुत बढ़ गया है. ये दोनों बेहद घातक बीमारियाँ हैं मगर ये भी सही है कि इन्हें रोका जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की इन दोनों एजेंसियों ने कहा है कि कुछ देशों में टीकाकरण की दर में 50 प्रतिशत तक की गिरावट हुई है.
The COVID-19 pandemic is disrupting immunizations worldwide, leaving millions of children at risk of preventable diseases. UNICEF and @WHO are calling for urgent action to avert major epidemics of measles and polio.#VaccinesWork pic.twitter.com/DAluGJ687a
UNICEF
कोरोनावायरस का सामना करने के लिये लगी पाबन्दियों, और परिवहन व यातायात में आए व्यवधानों के कारण बहुत से लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बहुत कम हो गई है. या फिर बहुत से लोग कोविड-19 के संक्रमण के डर से ख़ुद ही स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं जाना चाहते.
पोलियो और ख़सरा की रोकथाम के लिये अभियान, अनिवार्य सेवाओं में खाई को भरने के लिये चलाए गए हैं लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों और समुदायों में कोविड-19 का संक्रमण फैलने की सम्भावना के बीच ये अभियान रोकने पड़े हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि दुनिया भर में कोविड-19 का स्वास्थ्य सेवाओं पर विनाशकारी प्रभाव हुआ है, ख़ासतौर से टीकाकरण सेवाएँ व्यापक रूप में प्रभावित हुई हैं.
उन्होंने कहा, “लेकिन कोविड-19 से हटकर, पोलियो और ख़सरा नामक बीमारियों की रोकथाम के लिये हमारे पास औज़ार भी हैं और विशेषज्ञता भी. हमें इन औज़ारों और विशेषज्ञता का ज़मीनी इस्तेमाल करने के लिये संसाधनों और पक्के इरादों की ज़रूरत है.”
“अगर हम ऐसा कर पाते हैं, तो बच्चों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकेंगी.”
यूनीसेफ़ और विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि मध्यम आय वाले देशों में टीकाकरण अभियानों के लिये मौजूद खाइयों को भरने के लिये लगभग 65 करोड़ 50 लाख डॉलर की रक़म की ज़रूरत है.
ये देश वैक्सीन एलायन्स (GAVI) सहायता के लिये योग्य नहीं हैं. इस रक़म में से लगभग 40 करोड़ डॉलर की राशि वर्ष 2020-2021 के दौरान पोलियो के फैलाव का मुक़ाबला करने के लिये चाहिये.
जबकि अगले तीन वर्षों के दौरान ख़सरा के फैलाव की पहले से ही रोकथाम के लिये तैयारियाँ करने और उसके फैलाव का सामना करने के लिये लगभग 25 करोड़ 50 लाख डॉलर की रक़म की दरकार है.
संयुक्त राष्ट्र की दोनों एजेंसियों ने तुरन्त कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाते हुए आगाह किया है कि अगर स्थिति को इसी तरह से छोड़ दिया गया तो इन दोनों बीमारियों का विस्फोटक फैलाव होने का डर है और पोलियो व ख़सरा का ये फैलाव सम्भवतः अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं को भी पार कर जाए.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर का कहना है कि इस बात की इजाज़त नहीं दी जा सकती कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई के कारण अन्य बीमारियों के ख़िलाफ़ अभियान पर प्रभाव पड़े.
उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करना बहुत अहम है. लेकिन ये भी सच है कि दुनिया के कुछ निर्धनतम देशों में अन्य घातक बीमारियाँ भी लाखों - करोड़ों बच्चों की ज़िन्दगियों के लिये जोखिम पैदा करती हैं. इसलिये हम आज देशों के नेताओं, दानदाताओं और साझीदारों से तत्काल वैश्विक कार्रवाई करने की पुकार लगा रहे हैं.”
“हमें टीकाकरण अभियान फिर शुरू करने, बच्चों की सुरक्षा के लिये अति महत्वपूर्ण टीकाकरण प्रणालियों की प्राथमिकता तय करने और बच्चों को कोविड-19 के अलावा अन्य घातक बीमारियों से बचाने के लिये अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की ज़रूरत है.”
यूनीसेफ़ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तमाम देशों का आहवान किया है कि वो बीमारियों के उभरते फैलाव का मुक़ाबला करने के लिये तुरन्त कार्रवाई करें, राष्ट्रीय बजटों में टीकाकरण को प्रथामिकता पर रखें और संसाधनों का सदुपयोग करने के लिये साझीदारों के साथ तालमेल और ज़्यादा मज़बूत करें.