देशों के बीच और भीतर भारी असमानता मगर राहत के संकेत भी
संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में बहुत से देशों के बीच और देशों के भीतर विभिन्न वर्गों व समाज के ग़रीब तबकों के लोगों में भारी असमानता व्याप्त है. अनेक देशों में ग़रीबी कम करने के प्रयासों में अच्छी प्रगति दर्ज की गई है. इनमें भारत, कंबोडिया और बांग्लादेश प्रमुख हैं.
गुरूवार, 11 जुलाई को जारी की गई इस रिपोर्ट को 2019 की वैश्विक बहुकोणीय ग़रीबी सूचकांक कहा गया है जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने प्रकाशित किया है.
इस रिपोर्ट में 101 देशों में अध्ययन करने के बाद आँकड़े पेश किए गए हैं. इनमें 31 देश निम्न आय वाले, 68 मध्य आमदनी वाले और दो देश उच्च आय वाले शामिल थे.
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि दुनिया भर में लगभग एक अरब 30 करोड़ लोग अनेक रूपों में ग़रीब हैं.
इसका अर्थ है कि निर्धनता या ग़रीबी को सिर्फ़ आय के नज़रिए से परिभाषित नहीं किया जा सकता है बल्कि इसके ले अनेक संकेत चिन्हों का सहारा लिया जाता है जिसमें अस्वस्थता, कामकाज के हालात का अच्छा नहीं होना और हिंसा के डर के माहौल में जीना शामिल हैं.
निर्धनता हर जगह है, देशों के भीतर असमानता विशालकाय
रिपोर्ट में तमाम विकासशील देशों में ग़रीबी के ख़िलाफ़ ठोस क़दम उठाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है. ख़ासतौर से सब सहारा अफ्रीका और दक्षिए एशिया में जहाँ दुनिया की सबसे ज़्यादा ग़रीब आबादी रहती है और इसकी संख्या लगभग 84.5 प्रतिशत है.
इन क्षेत्रों में असमानता का स्तर बहुत विशालकाय बताया गया है. सब सहारा अफ्रीका में इसका दायरा कुछ इस तरह है – दक्षिण अफ्रीका में 6.3 प्रतिशत से लेकर दक्षिण सूडान में 91.9 फ़ीसदी.
दक्षिण एशिया में ग़ैर-बराबरी की दर मालदीव में 0.8 प्रतिशत से लेकर अफ़ग़ानिस्तान में 55.9 फ़ीसदी तक है.
जिन देशों में ये अध्ययन किए गए हैं उनके भीतर असमानता के बहुत व्यापक स्तर नज़र आए हैं. मसलन, यूगांडा में अनेक प्रांतों में बहुकोणीय ग़रीबी के स्तर में बहुत बड़ा अंतर देखा गया – कंपाला में ग़रीबी की दर 6 प्रतिशत थी तो करामोजा में ये दर 96.3 फ़ीसदी.
सबसे ज़्यादा असर बच्चों पर
जिन लगभग एक अरब 30 करोड़ लोगों को ग़रीब पाया गया है उनमें से लगभग आधी से भी ज़्यादा यानी 66 करोड़ 30 लाख 18 वर्ष से कम उम्र की आबादी है. लगभग एक तिहाई संख्या, लगभग 42 करोड़ 80 लाख दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों की है.
इन बच्चों की बहुत बड़ी आबादी यानी लगभग 85 फ़ीसदी दक्षिण एशिया और सब सहारा अफ्रीका क्षेत्र में बसती है.
दोनों क्षेत्रों में ये संख्य लगभग बराबर है. ख़ासतौर से बुर्किना फासो, चैड, इथियोपिया, निजेर और दक्षिण सूडान में परिस्थितियाँ बहुत ख़राब हैं.
इन देशों में 10 वर्ष से कम उम्र के 90 प्रतिशत या उससे भी ज़्यादा बच्चों को बहुकोणीय रूप में ग़रीब समझा गया है.
ग़रीबी कम करने में प्रगति के संकेत
रिपोर्ट के एक हिस्से में दुनिया भर में ग़रीबी कम करने के प्रयासों में हुई प्रगति का आकलन भी किया गया है.
ये 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा के लक्ष्य सख्या-1 के अनुरूप है जिसमें ग़रीबी को सभी जगह और सभी रूपों में ख़त्म करने का लक्ष्य रखा गया है.
रिपोर्ट में ग़रीबी कम करने के स्तर के लिए दस देशों की पहचान की गई है जिनकी कुल आबादी लगभग 2 अरब है.
इन सभी देशों में ग़रीबी कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की गई है. सबसे तेज़ प्रगति भारत, कंबोडिया और बांग्लादेश में दर्ज की गई है.