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ईबोला प्रभावित इलाक़े में ख़सरा टीकाकरण अभियान

देश का उत्तरपूर्वी हिस्सा ईबोला और खसरा की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है.
UNICEF/MADJIANGAR
देश का उत्तरपूर्वी हिस्सा ईबोला और खसरा की दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है.

ईबोला प्रभावित इलाक़े में ख़सरा टीकाकरण अभियान

स्वास्थ्य

कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वोत्तर हिस्से में स्वास्थ्यकर्मियों ने बड़े पैमाने पर ख़सरा टीकाकरण अभियान शुरू किया है. यह वही क्षेत्र है जिसे घातक ईबोला वायरस ने अपनी जकड़ में ले रखा है और दूसरी बार इतने बड़े पैमाने पर यह बीमारी फैलने से अब तक डेढ़ हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 2019 में बड़ी संख्या में ख़सरा के मामले भी सामने आए हैं. 

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने गुरुवार को बताया कि इस अभियान के तहत इतुरी प्रांत में 67 हज़ार बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

इस इलाक़े में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं लेकिन सरकारी सुरक्षा बलों और हथियारबंद गुटों के बीच लड़ाई और सामुदायिक हिंसा बढ़ने से अब तक चार लाख लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में विस्थापित हो चुके हैं.

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यूनीसेफ़ के मुताबिक इस साल कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य में ख़सरा फैलने से अब तक दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है – इनमें दो तिहाई पांच साल से कम उम्र के बच्चे हैं.

स्वास्थ्य संबंधी नए आँकड़ों के अनुसार देश भर में ख़सरा के एक लाख 15 हज़ार से ज़्यादा मामलों का अनुमान लगाया है जो वर्ष 2018 के 65 हज़ार मामलों से कहीं ज़्यादा है.

ईबोला फैलने से स्थिति जटिल

ख़सरा बीमारी को फैलने से रोकने और उसके उपचार में सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि इसके लक्षण – बुखार, आंखों में लाली, हैज़ा – ईबोला से पीड़ित मरीज़ों में भी देखने को मिलते हैं.

बुधवार को स्थानीय प्रशासन ने बताया कि अगस्त 2018 से ईबोला के नए सिरे से फैलने से अब तक एक हज़ार 646 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 683 लोगों का इलाज सफल रहा है.

इस बीमारी का असर सबसे अधिक इतुरी और उत्तरी कीवु प्रांत में देखने को मिला है.

ईबोला वायरस से बचाव के लिए ख़सरा टीकाकरण अभियान में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सर्जिकल गाउन पहनना आवश्यक है ताकि किसी भी तरह से संक्रमण की रोकथाम हो सके.

इतुरी में ख़सरा बीमारी के लिए वैक्सीन अभियान शुरू किए जाने के बाद यूएन एजेंसी ने बताया कि शुरुआती चरण में उन 27 हज़ार बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है जो बुनिया में और उसके आसपास के इलाक़ों में स्थित भीड़ भरे शिविरों में रहते हैं.

बुनिया इतुरी प्रांत का सबसे बड़ा क़स्बा है.

हाल के महीनों में हेमा गडरियों और लेन्डु किसानों के समुदायों के बीच संघर्ष हुआ है, साथ ही सरकारी सुरक्षा बलों और हथियारबंद गुटों के बीच भी झड़पें हो रही है.

यूनीसेफ़ के प्रतिनिधि एडुअर्ड बाइगबेडर ने बताया, “भीड़ भरे और स्वच्छता के अभाव वाले शिविरों में रह रहे हज़ारों परिवारों के लिए ईबोला और ख़सरा से अभूतपूर्व ख़तरा पैदा हो गया है.”

पूरे इतुरी प्रांत में लोगों के रहने के लिए 35 शिविर बनाए गए हैं.

इन शिविरों में रह रहे अधिकांश लोग उपचार केंद्रों से बहुत दूर हैं और इसी क्षेत्र में हथियारबंद गुटों ने आधे से ज़्यादा स्वास्थ्य केंद्रों ध्वस्त कर दिए हैं.

असुरक्षा की वजह से इस इलाक़े में पहुंच पाना बेहद मुश्किल हो गया है.

एडुअर्ड बाइगबेडर का कहना था, “कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य का पूर्वोत्तर हिस्सा सबसे ख़राब मानवीय संकटों में घिरा हुआ है. चाहे ये ख़सरा हो, ईबोला हो या फिर एक विस्थापन केंद्र में रहने की वास्तविकता, बच्चे गंभीर ख़तरों का सामना कर रहे हैं. उनके संरक्षण के लिए हमें हरसंभव प्रयास करने होंगे.”

इतुरी प्रांत के अन्य हिस्सों में भी टीकाकरण अभियान की योजना पर काम चल रहा है.