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बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों पर बारिश का क़हर

कॉक्स बाज़ार में बारिश के बाद रिफ़्यूजी कैंप में पानी और कीचड़ भर गया है.
WFP/Gemma Snowdon
कॉक्स बाज़ार में बारिश के बाद रिफ़्यूजी कैंप में पानी और कीचड़ भर गया है.

बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों पर बारिश का क़हर

मानवीय सहायता

बांग्लादेश में भारी बारिश की वजह से कॉक्सेस बाज़ार शरणार्थी शिविर में 273 अस्थाई मकानों को व्यापक नुक़सान पहुंचा है और 11 लोग घायल हुए हैं. मॉनसून से पैदा हुए संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां राहत अभियान चला रही हैं. कॉक्सेस बाज़ार के शरणार्थी कैंप वाले इलाक़े में तीन दिन से लगातार तेज़ बारिश हो रही है और आने वाले हफ़्ते में भी भारी बारिश होने का अनुमान है.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) और उसके साझेदार संगठनों द्वारा प्रशिक्षित स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं (वॉलंटियर्स) ने बुधवार को रात भर तेज़ बारिश में काम करते हुए ज़रूरतमंद परिवारों तक राहत पहुंचाई.

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भारी बारिश के कारण भूस्खलन की 26 घटनाओं की रिपोर्टें मिली हैं जिनकी वजह से प्रभावित शरणार्थी परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.

शिविरों को नुक़सान पहुंचने के बाद एहतियाती तौर पर 2137 लोगों को अन्य जगहों पर ले जाया गया है. कैंप में जिन घरों को नुक़सान पहुंचा है उनके पुनर्निर्माण, मरम्मत और मज़बूत बनाने के लिए आपात सामग्री का वितरण किया जा रहा है.

मॉनसून के मौसम की तैयारी के लिए कॉक्सेस बाज़ार में अनेक उपाय गए: पहाड़ी इलाक़ों में इमारतों को रोके रखने वाले ढांचे बनाए गए और नालियों, सड़कों और पुलों का निर्माण किया गया.

बारिश के पानी को रोकने और जल आपूर्ति को सुचारू करने के नज़रिए से जल भंडारण की भी व्यवस्था की गई है.

जनवरी 2019 से हर महीने 21 हज़ार शरणार्थियों को संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम की ओर ‘कैश फ़ॉर वर्क’ या काम के बदले नक़दी योजना के तहत काम मिल रहा है.

इस योजना के अंतर्गत आपदा से होने वाले जोखिमों को कम करने और राहत शिविरों को सुरक्षित बनाने के लिए इंजीनियरिंग से जुड़े कामों में उनकी मदद ली जा रही है और पहाड़ी ढालों को मज़बूत बनाया जा रहा है.

जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में एक पत्रकार वार्ता के दौरान यूएन खाद्य सहायता एजेंसी के प्रवक्ता अर्वे वेरहुज़ल ने बताया कि इस साल यूएन एजेंसियां और ग़ैरसरकारी संगठन राहत शिविरों को समेटे 200 हेक्टेयर के इलाक़े में फिर से पेड़ लगाने के काम में जुटी हैं.

इससे भूमि को स्थिर बनाने और भूस्खलन के ख़तरे को कम किया जा सकेगा.

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन से तकनीकी जानकारी मिलने के बाद यूएन खाद्य सहायता एजेंसी के पास 40 फ़ीसदी वनीकरण की ज़िम्मेदारी है.

बाढ़ की वजह से कॉक्सेस बाज़ार में हज़ारों लोगों के लिए खाद्य भंडारों को भी नुक़सान पहुंचा है.

साढ़े चार हज़ार से भी ज़्यादा लोगों को ऊर्जा प्रदान करने वाले बिस्किट और गर्म भोजन दिया गया है.

आपात परिस्थितियों में यूएन एजेंसी के पास डेढ़ लाख से अधिक लोगों को भोजन मुहैया कराने का इंतज़ाम है.  

साल 2017 में म्याँमार में हिंसा भड़कने और सुरक्षा बलों की कार्रवाी के बाद सुरक्षा की तलाश में रोहिंज्या समुदाय के लाखों लोगों ने बांग्लादेश का रुख़ किया था. 

दो साल बीतने के बावजूद उन्हें मुश्किल हालात में रहना पड़ रहा है.

रोहिंज्या शरणार्थियों के सामने पर्याप्त भोजन का इंतज़ाम न हो पाने का ख़तरा मंडराता रहता है और मानवीय राहत के अभाव में स्थिति और ख़राब हो जाएगी.

यूएन एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि नौ लाख शरणार्थियों को भोजन प्रदान करने में हर महीने क़रीब 2 करोड़ 40 लाख करोड़ डॉलर ख़र्च होते हैं.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन ना मिलने की स्थिति में इन शरणार्थियों के लिए जीवन और कठिन हो जाएगा.