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गरिमा और मानवाधिकार के पलड़े में सभी मनुष्य ‘स्वतंत्र और बराबर'

यू एन ग्लोब द्वार 2019 के दौरान एलजीबीटीक्यूआई के समर्थन में विश्व सम्मेन परेड के आयोजन किए गए
UN-GLOBE
यू एन ग्लोब द्वार 2019 के दौरान एलजीबीटीक्यूआई के समर्थन में विश्व सम्मेन परेड के आयोजन किए गए

गरिमा और मानवाधिकार के पलड़े में सभी मनुष्य ‘स्वतंत्र और बराबर'

मानवाधिकार

"सभी लोग स्वतंत्र और समान हैं और उन्हें गरिमा और मानव अधिकारों के साथ जीने का अधिकार है” – न्यूयॉर्क की विश्व प्राइड परेड में भाग लेने वाले संयुक्त राष्ट्र-ग्लोब (GLOBE) के सदस्यों ने रविवार को मानव अधिकारों के सार्वभौमिक घोषणापत्र (UDHR) के इस सशक्त संदेश को एक बार फिर दोहराया. 

परेड के बैनरों में संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र यानी यूडीएचआर (UDHR) के झकझोरने वाले शब्द मानो फिर से जीवंत हो उठे थे - "हर किसी को जीवन जीने, स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार है" या फिर "एक दूसरे के प्रति सदैव भाईचारे का व्यवहार करें."

अन्य मुद्दों के अलावा, संयुक्त राष्ट्र का अंतर-एजेंसी समूह, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में होमोफोबिया (समलैंगिकों से नफ़रत), बायफोबिया (उभयलिंगियों से घृणा) और ट्रांसफोबिया (ट्रांसजेडर लोगों से  नफ़रत) का भी विरोध करता है.

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यूएन-ग्लोब के सचिव गेबे स्कैल्टा का कहना था कि इस साल का जश्न इसलिए भी "विशेष रूप से महत्वपूर्ण है" क्योंकि इस बार स्टोनवॉल में हुए दंगों की 50 वीं वर्षगांठ है, जो बहुत से लोगों के लिए समानता और समलैंगिकता की लड़ाई का प्रतिरूप है. आज भी एलजीबीटी समुदाय के प्रति भेदभाव हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है.

उन्होंने कहा, "एक ट्रांसजैंडर के रूप में संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले मार्च करने का मतलब है कि दुनिया भर में भेदभाव का सामना कर रहे हमारे एलजीबीटीक्यूआई (LGBTQI) परिवार के सदस्य, अपने जैसे दूसरे लोगों, मसलन मेरे जैसे किसी व्यक्ति को खुले तौर पर ख़ुशी से जीते हुए देखकर, अपने लिए भी उज्जवल भविष्य की कामना कर सकते हैं."

गैबे स्कैल्टा ने ज़ोर देते हुए कहा, "दुनिया भर में हमारे समुदाय को बड़े पैमाने पर भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है – ख़ासतौर पर रंग के आधार पर - कालों और लातीनी ट्रांस महिलाओं को."

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक होने के दवाब के कारण ख़ासतौर पर युवाओं के बीच अवसाद और आत्महत्या की घटनाऐं बढ़ रही हैं और उनके समाज में "महामारी का रूप ले रहीं हैं."

"हम जैसे लोगों को प्रेम से, दोस्तों - सहयोगियों के समर्थन से, ख़ुशहाल जीवन जीते देखना, उनके लिए एक उम्मीद की किरण हो सकती है."

विश्व गौरव के उत्सव में, संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी संघ और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) सहित न्यूयॉर्क में सभी कर्मचारियों को संयुक्त राष्ट्र-ग्लोब के साथ मार्च करने के लिए आमंत्रित किया गया था.

अगले सप्ताह जिनीवा में होने वाली UN-GLOBE परेड में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के कार्यालय के उप उच्चायुक्त, केट गिलमोर और अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र (आईटीसी) के उप कार्यकारी निदेशक डोरोथी टैम्बो भी भाग लेंगे.

 ये उत्सव सबका नहीं

हालांकि पूरा माहौल उत्साह और गर्व की भावना से ओतप्रोत था लेकिन विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक पिछले दो दशकों में हुई प्रगति के बावजूद, एलजीबीटीआई (LGBTI) समुदाय को अब भी दुनियाभर में व्यापक बहिष्कार, भेदभाव और कई बार तो हिंसा का भी सामना करना पड़ता है.

विश्व बैंक के मुताबिक आज तक संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में से एक तिहाई में समलैंगिकता पर आधारित अपराध जारी हैं और इनके प्रति ग़हरी नफ़रत है - जो न केवल एलजीबीटीआई लोगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है - बल्कि उन समुदायों और अर्थव्यवस्थाओं को भी, जिनमें वो रहते हैं.

इस दुर्दशा से निपटना विशेष रूप से कठिन है क्योंकि क़ानूनी सुरक्षा की कमी की वजह से संघर्ष को और बढ़ावा मिलता है.

इसके अलावा एलजीबीटीआई लोगों के बारे में आंकड़ों का भी अभाव है जिससे सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धियां ख़तरे में पड़ जाती हैं.

साथ ही इससे ‘ग़रीबी और असमानता’ दूर करने के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत के प्रति देशों के प्रयासों पर भी असर पड़ता है.