दक्षिण सूडान में भोजन की भारी कमी, अकाल जैसे हालात

दक्षिण सूडान में लगभग 70 लाख लोगों के पास रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं बचा है और 20 हज़ार से ज़्यादा लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम ने शुक्रवार को ये चेतावनी जारी की है.
ग़ौरतलब है कि दक्षिण सूडान में कई वर्षों से हिंसक अशांति चल रही है. इन हालात में बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं और उनके बुनियादी अधिकार तहस-नहस हो गए हैं. भोजन की भारी कमी है और अनेक स्थानों पर कई तरह की बीमारियाँ फैल गई हैं.
इन्हीं हालात में देश में भोजन के संकट का सामना कर रहे लोगों की कुल संख्या के बारे में ताज़ा आँकड़े जारी किए गए हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रवक्ता हार्वी हरहूसेल का कहना था कि दक्षिण सूडान के ये हालात अकाल जैसे हैं मगर इस स्थिति को अभी अकाल नहीं कहा जा सकता क्योंकि अकाल की स्थिति परिभाषित करने के लिए कुछ निर्धारित मानकों का होना ज़रूरी है.
"हम अभी उस स्थिति और संख्या में नहीं पहुँचे हैं कि दक्षिण सूडान के इन हालात को अकाल कहा जा सके."
शुक्रवार को जारी की गई आहार सुरक्षा रिपोर्ट के आँकड़े बताते हैं कि दक्षिण सूडान के लगभग 21 हज़ार लोगों के पास जुलाई के अंत तक भोजन की भारी कमी हो जाएगी. ये समय वहाँ बारिश के मौसम का भी होता है.
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अगर यही हालात रहे तो लगभग 18 लाख लोगों के पास भोजन की इतनी कमी हो जाएगी कि उनके लिए आपात स्थिति जैसे हालात बन जाएंगे.
उनके अलावा लगभग 50 लाख लोग भोजन की कमी के संकट का सामना कर रहे होंगे.
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा है कि जनवरी 2019 में दक्षिण सूडान में भोजन की उपलब्धता की स्थिति के बारे में अनुमान पेश किए गए थे.
उसकी तुलना में भोजन की कमी का सामना कर रहे लोगों की संख्या में 81 हज़ार की वृद्धि और हो गई है. ख़ासतौर पर जोंगलेई लेक्स और यूनिटी स्टेट्स में भोजन की भारी कमी हो गई है.
संयुक्त राष्ट्र की इस खाद्य एजेंसी ने ध्यान दिलाया है कि इन हालात की वजह से देश में खाने-पीने के सामान की क़ीमतें आसमान छू रही हैं.
स्थानीय कारोबार धीमा पड़ गया है और बाज़ारों में ख़रीद-फ़रोख़्त कम हो गई है.
इस वजह से देश में मौजूद खाद्य पदार्थों का भंडार भी ख़त्म होता जा रहा है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम फिलहाल दक्षिण सूडान में लगभग 27 लाख लोगों को सहायता पहुँचाता है, लेकिन दिसंबर 2019 तक ये सहायता बढ़ाकर लगभग 51 लाख लोगों तक पहुँचाने का इरादा किया गया है.
ऐसा बदलते मौसम की ज़रूरतों के मद्देनज़र किया गया है. इस योजना के तहत खाने-पीने का सामान और नक़दी उपलब्ध कराए जाएंगे.
खाद्य एजेंसी ने बारिश वाले मौसम की कठिनाइयों को देखते हुए पहल से ही लगभग एक लाख 73 हज़ार टन भोजन सामग्री 60 इलाक़ों में एकत्र करके रख ली है.
इस सामग्री को ज़रूरतमंद लोगों तक समय पर पहुँचाने का लक्ष्य रख गया है.
वर्ष 2018 में इसी समय भोजन सामग्री की ये मात्रा लगभग 66 हज़ार टन थी.
संगठन के प्रवक्ता का कहना था कि पहले से ही भोजन सामग्री समुचित मात्रा में एकत्र करने से प्रभावित लोगों की जान बचाने में मदद मिलती है.
साथ ही, भोजन सामग्री के परिवहन पर आने वाली लागत भी कम होती है क्योंकि समय रहते सामग्री सड़क मार्ग से ज़रूरत वाले इलाक़ों में भेजी जा सकती है.
ऐसा बारिश का मौसम शुरू होने से पहले कर लेने से बहुत सुविधा होती है.
प्रवक्ता का ये भी कहना था कि इन सहायता अभियानों की कामयाबी दक्षिण सूडान में राजनैतिक स्थिरता के लिए होने वाले शांति समझौतों को असरदार तरीक़े से लागू करने पर निर्भर होगी.
अगर शांति स्थापित होती है तो देश में मानवीय सहायता के कार्यों को तेज़ करने, खेतीबाड़ी का उत्पादन भी बढ़ाने और प्रभावित लोगों का जीवन बचाने में आसानी होगी.