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जलवायु कार्रवाई के लिए सूझबूझ भरे निर्णयों की आवश्यकता पर बल

पैसिफ़िक द्वीपीय देशों की यात्रा के अंतिम पड़ाव में महासचिव गुटेरेश वानुआतु पहुंचे.
UN Photo/Mark Garten
पैसिफ़िक द्वीपीय देशों की यात्रा के अंतिम पड़ाव में महासचिव गुटेरेश वानुआतु पहुंचे.

जलवायु कार्रवाई के लिए सूझबूझ भरे निर्णयों की आवश्यकता पर बल

जलवायु और पर्यावरण

दक्षिण प्रशांत क्षेत्र के देशों की यात्रा को समाप्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि जलवायु कार्रवाई के लिए समझदारी भरे निर्णयों की ज़रूरत हैं क्योंकि पूरे ग्रह का भविष्य दांव पर लगा है. 

यात्रा के समापन पर जारी अपने बयान में उन्होंने कहा कि “पिछले हफ़्ते, मैंने प्रशांत द्वीपीय देशों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को प्रत्यक्ष तौर पर देखा है. जलवायु परिवर्तन में उनका योगदान बहुत कम है लेकिन वे सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं.” उन्होंने सचेत किया कि कुछ देशों के लिए तो जलवायु परिवर्तन अब अस्तित्व का संकट बन गई है. 

पूरे गांवों को विस्थापित होना पड़ रहा है, आजीविका के साधन बर्बाद हो रहे हैं और लोग जलवायु संबंधी रोगों से पीड़ित हो रहे हैं. “ये सब जोखिम बहुत वास्तविक हैं.” उन्होंने तुवालु की ओर ध्यान आकृष्ट किया जहां पूरे देश को अस्तित्व बनाए रखने के लिए जूझना पड़ रहा है. 

उन्होंने प्रशंसा भरे शब्दों में कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद ये देश समाधान ढूंढने के लिए संकल्पित हैं और हिम्मत नहीं हार रहे हैं. 

पैसिफ़िक द्वीपीय देशों ने जलवायु सहनशीलता बढ़ाने और अनुकूलन के लिए तरीकों को विकसित किया है. “कार्बन उत्सर्जन घटाने में वे अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं और एक मिसाल कायम कर रहे हैं जिसका अनुसरण बाक़ी दुनिया को करना चाहिए.”  

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहना है कि सिर्फ़ लघु द्वीपीय देश जलवायु परिवर्तन को नहीं रोक सकते, इसके लिए पूरी दुनिया को मिलकर प्रयास करने होंगे जिसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और कायापलट कर देने वाली नीतियों की ज़रूरत है. 

जलवायु कार्रवाई में महत्वाकांक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से ही इस साल सितंबर में यूएन प्रमुख न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में जलवायु शिखर वार्ता का आयोजन कर रहे हैं. बैठक से पहले उन्होंने वैश्विक नेताओं से आग्रह किया है कि उन्हें भाषण के साथ नहीं बल्कि ठोस कार्ययोजना के साथ आना होगा.