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भारत: संयुक्त राष्ट्र के साथ 17 युवा जलवायु कार्यकर्ता एकजुट

‘#WeTheChangeNow कॉल टू एक्शन’ के ज़रिये, 17 युवा जलवायु चैम्पियन, अभियान वेबसाइट पर अपनी जलवायु कार्रवाई कहानियाँ साझा करके, युवा भारतीयों को आन्दोलन में शामिल होने के लिये प्रेरित करेंगे.
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‘#WeTheChangeNow कॉल टू एक्शन’ के ज़रिये, 17 युवा जलवायु चैम्पियन, अभियान वेबसाइट पर अपनी जलवायु कार्रवाई कहानियाँ साझा करके, युवा भारतीयों को आन्दोलन में शामिल होने के लिये प्रेरित करेंगे.

भारत: संयुक्त राष्ट्र के साथ 17 युवा जलवायु कार्यकर्ता एकजुट

जलवायु और पर्यावरण

भारत में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने जलवायु परिवर्तन पर स्थानीय नेतृत्व को प्रदर्शित करने के इरादे से ‘We The Change’ (‘हम ही बदलाव हैं’) नामक अपनी जलवायु मुहिम शुरू करने की घोषणा की है. इस अभियान के तहत, संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) से कुछ हफ्तों पहले,  भारत के 17 युवा जलवायु कार्यकर्ताओं द्वारा विकसित जलवायु समाधानों को रेखांकित किया जाएगा. 

ये युवा जलवायु कार्यकर्ता, साथ ही, #WeTheChangeNow अभियान के ज़रिये, अन्य युवा भारतीयों को जलवायु कार्रवाई कहानियाँ साझा करने और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में समाधान केन्द्रित, नवाचार आधारित उपाय अपनाने के लिये प्रोत्साहित करेंगे.

इस अभियान के तहत, एक नई वेबसाइट भी शुरू की गई है.

भारत में संयुक्त राष्ट्र की रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, डिएड्रे बॉयड ने इस मौक़े पर सोमवार को कहा, "भारत के युवा जलवायु नेताओं की कहानियों से प्रेरित यह अभियान - हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अधिक समाधान-आधारित, अभिनव दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देता है.” 

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“हम जानते हैं कि वर्तमान जलवायु संकट हल करने के उपाय हमारी पहुँच में हैं. हम आशा करते हैं कि #WeTheChangeNow अभियान के ज़रिये, हम लोगों, समुदायों और राष्ट्रीय व राज्य सरकारों को साहसिक जलवायु कार्रवाई के लिये प्रेरित कर सकेंगे."

यह अभियान भारत में युवाओं द्वारा शुरू किए गए अभिनव, टिकाऊ और न्यायसंगत जलवायु समाधानों व कार्यों को पहचानकर, उन्हें बढ़ावा देगा.

इसमें, जलवायु कार्रवाई के लिये अधिक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने के वास्ते, सरकारों और नागरिक समाज के बीच परस्पर मज़बूत सम्वाद स्थापित करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

युवा जलवायु कार्यकर्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के युवा सलाहकार समूह की सदस्य, अर्चना सोरेंग ने कहा, "हमें प्रभावी जलवायु कार्रवाई के लिये, सह-अध्ययन व सहयोग की आवश्यकता है.” 

“यह बहुत प्रेरणाप्रद है कि मैं एक ऐसी यात्रा का हिस्सा बन रही हूँ जो मुझे, विभिन्न नीति निर्माताओं और अन्य जलवायु हितधारकों के साथ मिलकर, जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में उत्तम काम करने वाले अन्य युवाओं से मिलने के अवसर देगा." 

अभियान के दौरान, युवाओं, नागरिक समाज, जलवायु समूहों, मीडिया व सरकारों के लिये ऑनलाइन सम्वाद, चर्चा और आमने-सामने बातचीत से सहयोग के नए रास्ते प्रशस्त होंगे.

कार्रवाई की पुकार

‘वी द चेंज’ अभियान से जुड़े ये 17 युवा जलवायु नेता, अक्षय ऊर्जा, वन प्रबन्धन, वित्तपोषण, जलवायु उद्यमिता, टिकाऊ कृषि, आपदा जोखिम में कमी, पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली, जल संरक्षण और अपशिष्ट प्रबन्धन सहित विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और कार्रवाई का प्रतिनिधित्व करेंगे.

टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिये संयुक्त राष्ट्र महासचिव की पैरोकार, भारतीय अभिनेत्री और फ़िल्म निर्माता, दीया मिर्ज़ा ने भी इस डिजिटल अभियान को अपना समर्थन दिया है. 

"हम अभी भी बदलाव ला सकते हैं, अपने ग्रह को पुनर्जीवित कर सकते हैं और प्रकृति के साथ समन्वय बना सकते हैं. ये 17 युवा जलवायु नेता, ‘वी द चेंज’ आन्दोलन के चेहरे हैं, जो हमें जलवायु न्याय व जलवायु कार्रवाई की दिशा में भविष्य का रास्ता दिखा रहे हैं.”

“उनकी कहानियों ने मुझे प्रेरित किया है और मुझे उम्मीद है कि वे हर जगह, लोगों को #WeTheChangeNow का उपयोग करके, अपने छोटे-बड़े जलवायु कार्य साझा करने के लिये प्रेरित करेंगे." 

17 युवा जलवायु कार्यकर्ता

गर्विता गुलाटी | प्रौद्योगिकी व नवाचार

गर्विता गुलाटी ने ‘Why Waste?’ (बर्बादी क्यों करें?) संस्था स्थापित की है, जिसके ज़रिये उन्होंने अब तक 5 लाख से अधिक रेस्तराँओं से सम्पर्क करके, एक करोड़ लीटर जल बर्बाद होने से बचाने में मदद की है. इससे 60 लाख लोगों की ज़िन्दगियों पर सकारात्मक असर हुआ है. 

गर्विता को ‘पृथ्वी दिवस नैटवर्क’ द्वारा 'अर्थ डे नैटवर्क राइज़िंग स्टार' का पुरस्कार मिला है. CNN और भारत के जल शक्ति मंत्रालय ने उन्हें "भारत की जल युवती" का नाम दिया है.

वैश्विक महामारी की वजह से आए व्यवधान के दौरान, उन्होंने ‘Why Waste’ नामक एक ऐप विकसित किया, जिसके ज़रिये कोई भी व्यक्ति अपने दैनिक जल पदचिन्हों की गणना कर सकता है. बताया गया है कि इससे प्रति दिन 100 लीटर जल बचाने में मदद मिली है. 

कृति तुला | सतत जीवन शैली: फ़ैशन, उपभोग, भोजन और खाद्य पदार्थों की बर्बादी

एक प्रशिक्षित परिधान डिज़ाइनर व प्रबन्धक, कृति तुला ने 10 से अधिक वर्षों से, वैश्विक परिधान उद्योग में काम किया है. लन्दन में शिक्षा हासिल करने और काम करने के बाद, वह अपने फ़ैशन लेबल ‘डूडलेज’ का विस्तार करने के लिये भारत लौट आईं. 

उनका उद्देश्य - भारत का पहला वैश्विक, टिकाऊ और किफ़ायती फैशन ब्राण्ड बनाना है, जिसमें नैतिक रूप से बनाए गए और पुन: नवीनीकृत कपड़ों को शामिल करते हुए, उन्हें फिर से बेचे जाने, मरम्मत करने और पुनर्चक्रण पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा. उनके काम को कई वैश्विक संगठनों जैसे Deutsche Welle, Brut, Apple Inc, Fashion Revolution, Sophie Australia, and Facebook India ने कवर किया है.

अखिलेश अनिल कुमार | पारिस्थितिकी तंत्र बहाली

अखिलेश, वर्ष 2019 से भारत में एक पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हैं और कई सामाजिक अभियानों के साथ जुड़े रहे हैं. उन्होंने ‘ब्रिंग बैक ग्रीन फ़ाउण्डेशन’ की स्थापना भी की है, जो कि विभिन्न पर्यावरणीय व नीति निर्माण गतिविधियों पर काम करने वाला एक ग़ैर-लाभकारी संगठन है.

उन्होंने 'सस्टेनेबिलिटी: द ग्रीन गेम' नामक एक पॉडकास्ट भी शुरू किया है, जो जलवायु परिवर्तन और सततता पर प्रासंगिक व कम ज्ञात विषयों पर जानकारी देता है. 

स्नेहा शाही | जल संरक्षण

स्नेहा पर्यावरण संरक्षणवादी हैं और संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संस्था, यूनेप के ‘प्लास्टिक टाइड टर्नर अभियान’ से जुड़ी हैं. उन्होंने जल नीतियों और जलवायु परिवर्तन पर पर्यावरण शिक्षा केंद्र (Centre for Environment Education) के साथ काम किया है.

साथ ही, मगरमच्छों समेत, शहरी नदियों की जैव-विविधता के संरक्षण के लिये जल धारा की बहाली से जुड़े कार्यक्रम’ का नेतृत्व किया है. स्नेहा वर्तमान में  में संरक्षण विज्ञान और सततता विषयों पर अध्ययन कर रही हैं. 

गणेश कुमार सुब्रमण्यम | कचरा प्रबन्धन

गणेश एक इंजीनियर, स्व-प्रशिक्षित प्रोग्रामर और ‘कबाड़ीवाला कनेक्ट’ नामक संस्था के सह-संस्थापक हैं, जिसमें अनौपचारिक क्षेत्र के कूड़ा प्रबन्धन के लिये, विकेन्द्रीकृत समाधान सुझाए जाते हैं. उनका काम है - शहरों में कचरे के संग्रह, एकत्रीकरण और प्रोसेसिंग के लिये प्रसार करने योग्य, समावेशी समाधान विकसित करना. 

बर्जिस ड्राइवर | टिकाऊ शहरी नियोजन

बर्जिस ड्राइवर एक वास्तुकार, शहरी नियोजक, भारत के इन्स्टीट्यूट ऑफ़ टाउन प्लानर्स के सदस्य, व भारतीय हरित इमारत परिषद से मान्यता प्राप्त पेशेवर हैं. उन्होंने मुम्बई और अमरावती में वैधानिक शहरी नीति और दिशानिर्देश तैयार करने में योगदान किया है, और गुजरात के काण्डला शहर में भारत के सबसे पुराने व पहले हरित विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), और मौजूदा शहरों के लिये प्रतिष्ठित IGBC ग्रीन सिटीज़ प्लेटिनम रेटिंग को सुरक्षित करने के लिये शहरी सलाहकार के रूप में काम किया है.

2020 में वो ‘Water Seeker’s Fellowship’ प्राप्त पाँच व्यक्तियों में से एक थे. वर्तमान में, वह एक ग़ैर सरकारी संगठन, ‘वातावरण’ में काम करते हैं, जहाँ वो एक ‘पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर’ तैयार करने में मदद कर रहे हैं.

हीता लखानी | पर्यावरण शिक्षा

हीता लखानी मुम्बई में एक जलवायु शिक्षिका हैं. उनकी यात्रा 2015 में पेरिस में जलवायु सम्मेलन 'COP21' में भाग लेने से शुरू हुई. इसके बाद के वर्षों में वह स्थानीय स्तर पर स्कूली विद्यार्थियों के साथ और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर UNFCCC के आधिकारिक युवजन नैटवर्क, YOUNGO के साथ जुड़ती रहीं.

हीता फ़िलहाल, YOUNGO के लिये ‘ग्लोबल साउथ’ की फोकल व्यक्ति हैं और महासचिव के ‘एनवॉय ऑन यूथ’ द्वारा आयोजित 'यूथ4क्लाइमेट: ड्राइविंग एम्बीशन'  जलवायु परिवर्तन पर पूर्व-कॉप26 युवा-केन्द्रित कार्यक्रम की प्रतिनिधि भी हैं. उन्होंने जलवायु शिक्षा पर ‘ग्रीन वॉरियर्स’ कार्यक्रम भी शुरू किया है, जो आज भी सक्रियता से चल रहा है.

संजू सोमन | जल संरक्षण

संजू को निर्बल समुदायों के साथ काम करने, युवा नेताओं को प्रशिक्षण देने, जलवायु सम्बन्धित नई कम्पनियों को सलाह देने, आर्द्रभूमि संरक्षण (wetland conservation) के लिये काम करने और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अनुसन्धान में 7 वर्षों से अधिक का अनुभव है. संजू ने अपने गृह-प्रदेश केरल में, ‘अशोक ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एण्ड द एनवायरनमेंट (एटीआरईई)’ के साथ मिलकर, पहला आदर्श आर्दभूमि गाँव बनाया है.

साथ ही, उन्होंने केरल में 30 टन कपड़े के कचरे को पुन: उपयोग में आने वाले उत्पादों में परिवर्तित करने के लिये, सबसे बड़ा प्रयास शुरू किया था. उन्हें मैक्सिको के मॉन्टेरी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सार्वजनिक उद्यमिता कार्यक्रम के लिये चुना गया था. संजू ने UN-SDSN के साथ ‘ग्लोबल स्कूल एम्बैसेडर’ के रूप में भी काम किया है और SUSTERA फाउण्डेशन के ज़रिये, केरल में पहले जलवायु नेतृत्व कार्यक्रम की स्थापना में सहायता की है.

आदित्य मुखर्जी | कचरा प्रबन्धन

आदित्य, टिकाऊ ग्रह के निर्माण के लिये 'व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्व' के सिद्धान्त में विश्वास रखते हैं. उन्होंने दिल्ली में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिये बड़े पैमाने पर काम किया है और यूएनडीपी इण्डिया के प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है.

आदित्य ने 2018 में CII-FICCI सेमिनार में "युवाओं की आवाज़" के रूप में भाग लिया था. जेएसडब्ल्यू समूह ने उन्हें केरल में अपने संयंत्र और नगर को एकल-उपयोग प्लास्टिक मुक्त बनाने में मदद करने के लिये चुना था, और संयुक्त राष्ट्र द्वारा उन्हें 2019 में ‘यूथ क्लाइमेट एक्शन समिट’ में हिस्सा लेने के लिये चुना गया था. 

हिना सैफ़ी | स्वच्छ हवा और अक्षय ऊर्जा

19 वर्षीय हिना वर्ष 2018 से, उत्तर प्रदेश के ‘100% अभियान’ और जलवायु एजेण्डा से जुड़ी हुई हैं. वह मेरठ ज़िले में स्थित, अपने गाँव के स्थानीय लोगों के बीच, जुलूस, पर्ची वितरण, सार्वजनिक बैठकों, चौपालों, घर-घर जाकर या सर्वेक्षण जैसी सार्वजनिक गतिविधियों के ज़रिये जलवायु जागरूकता का प्रसार करती हैं. फ़िलहाल, वो मेरठ स्थित एक ग़ैर-सरकारी संगठन ‘En Bloc’ से जुड़ी हुई हैं.

वर्षा रायकवार | जलवायु सम्बन्धी कहानियों के ज़रिये ज़मीनी स्तर पर कार्य

वर्षा ने, चार साल रेडियो बुन्देलखण्ड 90.4FM के लिये एक रेडियो रिपोर्टर के रूप में काम किया और उन कार्यक्रमों में योगदान दिया, जिनका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना, जलवायु परिवर्तन और स्थाई आजीविका के अवसरों पर चर्चा करना था.

अपने समुदाय और ज़मीनी कार्यों के माध्यम से, वह विरासत संरक्षण, बुन्देली क़ानून और नीति निर्माण, स्वास्थ्य व स्वच्छता से सम्बन्धित मुद्दों के साथ-साथ लड़कियों की कम उम्र में शादी रोकने, मतदान जागरूकता व कृषि के नए आयामों पर जागरूकता फैलाने का काम करती हैं.

सौम्या रंजन बिस्वाल | जैवविविधता संरक्षण

सौम्या ‘ओलिव रिडले’ प्रजाति के समुद्री कछुओं के संरक्षण पर ध्यान देने के साथ-साथ, वन्यजीव संरक्षण गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं. वो 230 समुद्र तट सफ़ाई आयोजनों की संचालक व हिस्सा रह चुकी हैं, और वन्यजीवों के संरक्षण व दीर्घकालिक वन्यजीव प्रबन्धन को प्रोत्साहित करने के लिये पूरे ओडिशा राज्य में वन विभाग, स्थानीय समुदायों और युवा स्वयंसेवकों के साथ काम करती रही हैं.

सरथ के आर | पैतृक प्रथाओं के माध्यम से स्थिरता का प्रयास

सरथ एक लोक कला उत्साही हैं और वायली लोकगीत समूह से जुड़े हुए हैं, जो कि केरल में विरासत को सहेजकर रखने के लिये प्रयासरत है. उन्होंने, दिल्ली स्थित एक ग़ैर-सरकारी संगठन, प्रवाह एवं वॉलन्टियरिंग सर्विस ओवरसीज के आईसीएस (इन्टरनेशनल सिटीजन सर्विस) कार्यक्रम में स्वेच्छाकर्मी के रूप में काम किया है.

उन्होंने ‘कम्युनिटी यूथ कलैक्टिव’ के सदस्य के रूप में काम किया है और थ्रिसूर से ‘चेन्जलूम फैलोशिप -2018-2019’ प्राप्त की है. वायली के साथ ‘फ्रैण्ड्स ऑफ भारतपूजा कार्यक्रम’ की स्थापना में भी सरथ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

नेहा शिवाजी नाइकवाडे | आजीविका और उद्यमिता

नेहा एक प्रशिक्षित मैकेनिकल इन्जीनियर हैं और शून्य-अपशिष्ट पहल की दिशा में काम करने वाली संस्था ‘परवाह’ की सह-संस्थापक. उन्होंने अपने कॉर्पोरेट कार्य के अनुभव के ज़रिये ‘यंग लीडर्स फॉर एक्टिव सिटिज़नशिप (YLAC)’ में ‘पॉलिसी इन एक्शन फैलो’ के रूप में नीति निर्माण और सीएसआर (corporate social responsibility) पहल पर व्यापक रूप से काम किया है.

नेहा को ‘ग्लोबल पॉलिसी, डिप्लोमेसी एण्ड सस्टेनेबिलिटी फ़ैलोशिप’ के लिये भी चुना गया था. वर्तमान में, वो ‘क्लाइमेट कलैक्टिव फाउण्डेशन’ नामक संस्था में काम करती हैं, जहाँ जलवायु-सम्बन्धी स्टार्टअप कम्पनियों व जलवायु-तकनीक से जुड़े नए उद्यमियों को आगे बढ़ाने में मदद प्रदान की जाती है.

सिद्धार्थ एस | वित्त पोषण और आपदा जोखिम न्यूनीकरण

सिद्धार्थ, वित्तीय जोखिम प्रबन्धन के क्षेत्र में सततता व जलवायु जोखिम पर काम करते हैं. वह ‘इन्वेस्ट-टेक कम्पनी- CredFIC’ के संस्थापक भी हैं, और 2021 में इसके CFO के रूप में कार्य कर चुके हैं.

‘ग्लोबल शेपर्स गुवाहाटी हब’ (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक पहल) में अहम योगदान देने वाले, सिद्धार्थ अब इसके जलवायु व पर्यावरण एजेण्डा का सह-नेतृत्व करते हैं. पिछले दो वर्षों में, उन्होंने विभिन्न समुदायों को राहत और पुनर्वास के अवसर प्रदान करने और लगभग 10 हज़ार बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद करने के लिये काम किया है. 

मेधा प्रिया | हरित बुनियादी ढाँचा

मेधा एक वास्तुकार हैं, जो टिकाऊ बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये, लोगों को इमारतों और पर्यावरण के बीच सम्बन्ध समझाने का काम करती हैं. वह आईआईएम, विशाखापत्तनम के 200 एकड़ के कॉलेज परिसर का ख़ाका बनाने वाली विजेता टीम का हिस्सा रही हैं, जिसे GRIHA पर भारत में हरित भवनों की उच्चतम रेटिंग - 5-तारा रेटिंग मिली थी.

वह एक हरित भवन विशेषज्ञ भी हैं और WELL, LEED, GRIHA, और IGBC जैसे इमारत प्रमाणीकरण के माध्यम से डिज़ाइन सम्बन्धी सेवाएँ मुहैया कराती हैं. मेधा, वर्तमान में, हरित भवनों के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करने वाली एक सलाहकार कम्पनी में काम करती हैं.

अर्चना सोरेंग | स्थानीय आवाज़ें बुलन्द करने का बीड़ा

ओडिशा के सुन्दरगढ़ ज़िले की खड़िया जनजाति की अर्चना का ध्यान, आदिवासी और वनवासी समुदायों के पारम्परिक ज्ञान व प्रथाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने पर केन्द्रित रहा है. वह जनजातीय आयोग की राष्ट्रीय संयोजक रही हैं, जिसे अखिल भारतीय कैथोलिक विश्वविद्यालय संघ के आदिवासी युवा चेतना मंच के रूप में भी जाना जाता है.

उन्होंने 2018 में टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की 'वन अधिकार और शासन परियोजना' के लिये ओडिशा में एक शोध अधिकारी के रूप में काम किया है और फ़िलहाल ओडिशा के वसुन्धरा में एक नीति अनुसन्धान संस्थान में अनुसन्धान अधिकारी के रूप में काम करती हैं. अर्चना, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के जलवायु परिवर्तन पर सात सदस्यों वाले युवा सलाहकार समूह का हिस्सा हैं.