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वित्त मन्त्रियों से जलवायु परिवर्तन पर 'निर्णायक नेतृत्व' का आहवान 

भूटान में किसान जलवायु अनुकूलन के लिये कड़ी मशक्कत कर रहे हैं.
UNDP Bhutan
भूटान में किसान जलवायु अनुकूलन के लिये कड़ी मशक्कत कर रहे हैं.

वित्त मन्त्रियों से जलवायु परिवर्तन पर 'निर्णायक नेतृत्व' का आहवान 

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा है कि एक ऐसे दौर में जब देश विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 और उसके विनाशकारी प्रभावों से उबर रहे हैं, कार्बन पर विश्व अर्थव्यवस्था की निर्भरता घटाने और एक ज़्यादा समावेशी व सहनशील भविष्य के निर्माण के लिये प्रयासों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना होगा. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने सोमवार को जलवायु कार्रवाई पर आयोजित एक बैठक में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती लाने, जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी यानि अनुदान घटाने और जलवायु जोखिमों व अवसरों को वित्तीय नीतियों में समाहित किये जाने का आग्रह किया है.

 यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु कार्रवाई पर वित्त मन्त्रियों के एक समूह की चौथी बैठक को वीडियो के ज़रिये सम्बोधित करते हुए नेतृत्व और दूरदृष्टि दर्शाए जाने का आग्रह किया.

“आपकी पुनर्बहाली योजनाएँ अगले 30 वर्षों की दिशा निर्धारित करेंगी.”

“हमें गति, पैमाने और निर्णायक नेतृत्व की आवश्यकता है. मैं इस चुनौती का बख़ूबी सामना करने के लिये इस समूह पर भरोसा करता हूँ.”

इस बैठक में जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी वित्तीय नीतियों पर कोविड-19 के असर पर चर्चा के लिये दुनिया भर के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.

महासचिव गुटेरेश ने मन्त्रियों का आहवान करते हुए कहा कि उन्हें हरित पुनर्बहाली की पैरवी करनी होगी और सरकारों को कोविड-19 से उबरते समय अपनी आर्थिक स्फूर्ति प्रदान करने वाली योजनाओं को जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप बनाना होगा. 

“इसका अर्थ हरित और अच्छे व उपयुक्त रोज़गारों में निवेश से है. प्रदूषित करने वाले उद्योगों की मदद ना करें. जीवाश्म ईंधनों पर सब्सिडी को ख़त्म करें.”

यूएन प्रमुख ने पुनर्बहाली के लिये लागू किये जाने वाले अपने सभी वित्तीय व नीतिगत निर्णयों में जलवायु जोखिमों को समाहित करने की पुकार लगाई है.

महासचिव ने इसके समानान्तर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में तेज़ और स्थायी कटौती का भी आग्रह किया है.

“कोयले को किसी भी प्रकार की पुनर्बहाली योजना से दूर रखा जाना चाहिये.” 

2050 से पहले कार्बन तटस्थता

महासचिव गुटेरेश ने वित्त मन्त्रियों से वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता (नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का आग्रह किया है.

इसके लिये जलवायु परिवर्तन मामलों पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था (UNFCCC) की 26वीं वार्षिक बैठक/कॉप-26 (COP26) से पहले ज़्यादा महत्वाकाँक्षी राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को अन्तिम रूप दिया जाना होगा.

यह सम्मेलन स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो में नवम्बर 2021 में होना है – यह बैठक वर्ष 2020 में होनी थी लेकिन कोरोनावायरस के कारण इस वर्ष यह बैठक स्थगित कर दी गई थी. 

महासचिव गुटेरेश ने देशों को ध्यान दिलाया कि राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं के ज़रिये बाज़ारों तक यह सन्देश मज़बूती से भेजा जाना होगा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को कार्बन से मुक्त कराए जाने को अब और टाला नहीं जा सकता. 

सामाका, कोलम्बिया के बाहर स्थित कोयला खदानें.
World Bank
सामाका, कोलम्बिया के बाहर स्थित कोयला खदानें.

इन योजनाओं में हर देश राष्ट्रीय उत्सर्जन की मात्रा घटाने और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने की अपनी कार्रवाई का ख़ाका पेश करना है. 

बताया गया है कि मन्त्रियों, केन्द्रीय बैंकों और वित्तीय नियामक संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर वित्तीय निर्णय में जलवायु जोखिमों व अवसरों का ध्यान रखा जाये. 

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इसके तहत जलवायु सम्बन्धी वित्तीय प्रकटीकरण (Disclosures) की गुणवत्ता व संख्या को बेहतर बनाया जाना होगा. 

इससे वित्तीय सैक्टर को जलवायु सम्बन्धी वित्तीय जोखिमों का आकलन व प्रबन्ध करने, नए अवसर सृजित करने और नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य करने की दिशा में आगे बढ़ना सम्भव होगा. 

आवाज़ व वोट का इस्तेमाल

यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में पुनर्बहाली योजनाओं में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व एकजुटता की अहमियत को रेखांकित किया है. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि वित्त मन्त्रियों की राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास वित्तीय संस्थाओं और उनकी रणनैतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका है.

इसके मद्देनज़र वित्त मन्त्रियों को अपनी आवाज़ व वोट शक्ति का इस्तेमाल करते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉप-26 बैठक तक ये संस्थाएँ अपनी नीतियों व निवेश सूचियों को पेरिस समझौते में तय हुए 1.5 डिग्री सैल्सियस के लक्ष्य के अनुरूप बनाएँ.  

इसका अर्थ नए कोयला संयन्त्रों पर रोक लगाना, जीवाश्म ईंधनों में निवेश को चरणबद्ध ढँग से घटाना, महत्वाकाँक्षी जलवायु लक्ष्य निर्धारित करना, सबसे निर्बलों के लिये अनुकूलन योजनाओं का इन्तज़ाम करना व उनकी सहनक्षमता बढ़ाना, और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश में बढ़ोत्तरी करना है.