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कांगो में सामुदायिक हिंसा में 800 से ज़्यादा की मौत

कांगो के चार गांवों में हुई हिंसा से हज़ारों लोग विस्थापित.
UNHCR/Ley Uwera
कांगो के चार गांवों में हुई हिंसा से हज़ारों लोग विस्थापित.

कांगो में सामुदायिक हिंसा में 800 से ज़्यादा की मौत

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के अनुसार कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पश्चिमी इलाक़े में पिछले महीने हुई सामुदायिक हिंसा में 890 लोगों के मारे जाने की आशंका है.  रिपोर्टों के मुताबिक़ ये हिंसा 16 से 18 दिसंबर के दौरान माई-न्दोम्बे प्रांत के चार गांवों में बनुनु और बातेन्दे समुदायों के बीच हुई.

हिंसा प्रभावित क्षेत्र में अधिकतर लोग विस्थापन के लिए मजबूर हो गए हैं. इसी वजह से 30 दिसंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान को हिंसा और असुरक्षा के चलते टाल दिया गया था. 

एक बयान में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशलेट ने स्तब्ध कर देने वाली हिंसा की निंदा करते हुए घटना की जांच कराने और दोषियों को सज़ा दिलाने की ज़रूरत पर बल दिया. "इन हमलों के पीड़ितों को न्याय दिलाना आवश्यक है लेकिन साथ ही भविष्य में सामुदायिक संघर्ष को फिर से होने से रोका जाना चाहिए नहीं तो गु़स्से और अन्याय की भावना समुदायों में बार बार हिंसा भड़काती रहेगी."

हमलों में 82 लोगों के घायल होने का भी समाचार है जबकि 465 घरों और इमारतों को जला दिया गया और लूटपाट भी हुई. इनमें प्राथमिक स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, बाज़ार और स्थानीय चुनाव आयोग का कार्यालय शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय और कांगो के राष्ट्रीय न्यायिक प्रशासन ने इन कथित हमलों की जांच के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है. इस साल की शुरुआत में यूएन की शरणार्थी मामलों की एजेंसी ने बताया था कि सामुदायिक हिंसा की आग से बचने के लिए 16 हज़ार से ज़्यादा लोग कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य से पड़ोसी देश पहुंचे हैं. 

एजेंसी के मुताबिक़ पिछले दस साल सालों में हुआ यह सबसे बड़ा विस्थापन है. इससे पहले 2009 में कांगो के पूर्व इक्वेटर प्रांत में जातीय हिंसा के चलते सवा लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी थी.