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'वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए तेज़ गति से प्रयास करने होंगे'

2019 के लिए अपनी योजना को साझा करते महासचिव गुटेरेश.
UN Photo/Eskinder Debebe
2019 के लिए अपनी योजना को साझा करते महासचिव गुटेरेश.

'वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए तेज़ गति से प्रयास करने होंगे'

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासभा में सदस्य देशों को अपने संबोधन में महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने  21वीं शताब्दी की तीन मुख्य चुनौतियों - जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ विकास, और नई तकनीक का प्रसार - से निपटने के लिए नई ऊर्जा के साथ प्रयास करने पर बल देते हुए कहा कि यूएन बेहतर तरीक़ों से लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अनौपचारिक सत्र को संबोधित करते हुए महासचिव गुटेरेश ने बताया कि 2019 में वह किन क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं.  मुंह बाए खड़ी समस्याओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, "हिंसक संघर्ष से लाखों जानों को ख़तरा है और रिकॉर्ड संख्या में लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.  ग़रीबी ख़त्म करने से हम अभी बहुत दूर हैं और भुखमरी फिर बढ़ रही है. असमानता बढ़ती जाती है. जलवायु संकट कहर बरपा रहा है."

गुटेरेश ने याद दिलाया कि व्यापार से जुड़े मुद्दों पर विवाद हो रहे हैं, कर्ज़ आसमान छू रहे हैं और मानवाधिकारों और क़ानून के राज को चुनौती मिल रही है. मीडिया की आज़ादी पर हमले हुए हैं जबकि नागरिक समाज के लिए जगह सिकुड़ रही है. इन मुश्किलों ने लोगों की आम ज़िंदगी पर व्यापक रूप से असर डाला है.

"इस संदर्भ में यह समझना मुश्किल नहीं है कि राजनीति ढांचे में लोगों का भरोसा कम क्यों हो रहा है. उनके मन में संदेह उपजा है कि क्या सरकारें वाकई उनकी फ़िक्र करती हैं.  वे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के महत्व पर भी उंगली उठा रहे हैं." गुटेरेश ने माना कि संस्थानों के प्रति इस अविश्वास से संयुक्त राष्ट्र भी अछूता नहीं है और ऐसे में हताशा और लाचारी की भावना पनप सकती है.

लेकिन उन्होंने स्पष्ट शब्दों मे ंकहा कि जब अपनी ज़िम्मेदारी समझ  कर साथ मिल कर काम करते हैं तो सफलता मिलती हैं.  यूएन के कामकाज के लिए सदस्य देशों से समर्थन मिलने पर उन्होंने आभार जताया. "मुश्किलों के बावजूद हमने अपने महत्व को दिखाया है. आपकी प्रतिबद्धता के चलते हम बदलाव लाने में सफल रहे हैं. हमने नतीजों पर ध्यान केंद्रित किया है और संयुक्त राष्ट्र को अधिक उत्तरदायी और सम्मानित बनाया है."

2018 की सफलताएं

पिछले साल में अपनी सफलताओं को गिनाते हुए गुटेरेश ने बताया कि शांति स्थापना के लिए कूटनीतिक प्रयासों को यमन और दक्षिण सूडान में कामयाबी मिली है.  कोरिया प्रायद्वीप में भी शांति के लिए नया संवाद शुरू हुआ है. ईथियोपिया और एरीट्रिया में भी ऐतिहासिक शांति समझौता हुआ है.

साथ ही उन्होंने कैटोविच जलवायु सम्मेलन में पेरिस समझौते के प्रभावी अमलीकरण के लिए रूपरेखा तैयार करने में कामयाबी का ज़िक्र किया. साथ ही टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पाने में हुई प्रगति को साझा करते हुए बताया कि 102 सदस्य देश 2030 एजेंडा की दिशा में हुई प्रगति संबंधी रिपोर्ट पहले ही सौंप चुके हैं और आने वाले दिनों में 51 और देश रिपोर्ट पेश करने वाले हैं जो अन्य को प्रेरित करेगा.

तमाम दिक्कतों के बाद भी प्रवासियों और शरणार्थियों की सुरक्षा और सलामती के लिए पारित हुए समझौतों और मानवीय राहत के लिए 15 अरब डॉलर की धनराशि जुटाने में सदस्य देशों के योगदान को गुटेरेश ने रेखांकित किया. इन प्रयासों से हर साल लाखों लोगों का जीवन बचाया जा रहा है.

भविष्य की चुनौतियां

तेज़ी से बदलती दुनिया में रूके रहने का मतलब पीछे छूट जाना होता है. इसी विचार को केंद्र में रखकर गुटेरेश ने 21वीं सदी की तीन मुख्य चुनौतियों ेसे निपटने के लिए तेज़ गति से आगे बढ़ने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया: जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ विकास लक्ष्य, और नई तकनीक का प्रसार. 

नए शोध संकेत दे रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन कितना बड़ा ख़तरा है. "पिछले हफ़्ते एक रिपोर्ट में सामने आया कि समुद्र का तापमान पांच साल पहले के अनुमान से 40 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रहा है. अगले दशक में वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री तक रखने के लिए अर्थव्यवस्थाओं में बड़े बदलाव करने होंगे."

गुटेरेश ने सदस्य देशों को पर्यावरण मुद्दे पर हुई प्रगति की समीक्षा करने और पेरिस समझौते के अंतर्गत नए लक्ष्यों को पाने के लिए संकल्प लेने पर ज़ोर दिया. इसी सिलसिले में 23 सितम्बर को जलवायु सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें जलवायु कार्रवाई के प्रयासों को बढ़ावा दिया जाएगा. 

नई तकनीक के ज़रिए शिक्षा, स्वास्थ्य और मानवीय राहत के काम में मदद मिलने की उम्मीद के साथ साथ उन्होंने आगाह किया कि तकनीकी आधुनिकीकरण से रोज़गार के अवसरों से जुड़ी और श्रमिकों के सामने खड़ी हो रही चुनौतियों से निपटा जाना चाहिए. इसके अलावा तकनीक के ग़लत इस्तेमाल से निपटा जाना चाहिए. उनके मुताबिक़ डिजिटल सहयोग के लिए गठित एक पैनल दुनिया में डिजिटल खाई को पाटने के सुझावों पर एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है. 

संयुक्त राष्ट्र की अहम भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, "असुरक्षा भरे माहौल में जब लोग भविष्य के प्रति अनिश्चितता से घिरे हों, जब बेचैनी और भय को बढ़ावा दिया जाए और कट्टरपंथी और संकीर्ण सोच वाली ताकतें उसका राजनीतिक फ़ायदा उठाने की कोशिश करें, ऐसे समय में यूएन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सफलता साझा मूल्यों के लिए हमारी वचनबद्धता में ही निहित है."