बांग्लादेश: संवाद के लिए अनुकूल माहौल बनाने का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुूटेरेश ने बांग्लादेश सरकार से देश में संवाद के लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया है और विश्वविद्यालयों में प्रदर्शनकारियों से भी, गतिरोध को हल करने के लिए बातचीत में शिरकत करने के लिए प्रोत्साहित किया है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने बांग्लादेश में छात्र प्रदर्शनों के दौरान कुछ लोगों के हताहत होने की ख़बरें पर चिन्ता व्यक्त की है.
उन्होंने हिंसा के सभी कृत्यों की एक व्यापक सरकारी जाँच कराए जाने का भी आहवान किया है.
बांग्लादेश में क़रीब दो सप्ताह पहले राजधानी ढाका और कुछ अन्य स्थानों पर, विश्वविद्यालय परिसरों में इन मांगों के साथ छात्रों के विरोध प्रदर्शन भड़क उठे, कि सरकारी रोज़गारों में आरक्षण कोटा समाप्त किया जाए.
मीडिया ख़बरों में कहा गया है कि इन प्रदर्शनों के दौरान अब तक 12 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने गुरूवार को मुख्यालय में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राजधानी ढाका और अन्य स्थानों पर हाल के घटनाक्रम को देखते हुए, स्थिति पर नज़दीकी नज़र रखी जा रही है.
प्रवक्ता के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने बांग्लादेश में इस मुद्दे के सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा है, "हिंसा से कोई भी रास्ता नहीं निकलने वाला है."
प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा, “हिंसा कभी भी कोई समाधान नहीं है. महासचिव, एक बेहतर दुनिया के निर्माण के प्रयासों में युवाओं की सार्थक और रचनात्मक शिरकत की हिमायत करते हैं.”
युवा आबादी को साथ लेकर चलें
प्रवक्ता ने बांग्लादेश सरकार से, देश में मौजूदा चुनौतियों के समाधान तलाश करने के लिए, युवा आबादी के साथ मिलकर काम करने की पुकार लगाई.
उन्होंने साथ ही, युवा आबादी की ऊर्जा का सदुपयोग, देश के विकास के लिए करने का आग्रह भी किया.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने भी बुधवार को जारी एक वक्तव्य में बांग्लादेश सरकार से, प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ बातचीत करने का आग्रह किया था.
बांग्लादेश सरकार ने मंगलवार को इन प्रदर्शनों के हिंसक हो जाने के बाद, तमाम सार्वजनिक व निजी विश्वविद्यालय बन्द कर दिए हैं.
मीडिया ख़बरों के अनुसार, इस हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और अनेक अन्य घायल हो गए.
वोल्कर टर्क ने कहा है, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शान्तिपूर्ण ढंग से सभाएँ करना, बुनियादी मानवाधिकार हैं.”
ये छात्र उस आरक्षण कोटा का विरोध कर रहे हैं जिसके तहत सरकारी रोज़गारों की एक तिहाई संख्या, 1971 के युद्ध में शहीद हुए लोगों के बच्चों के लिए आरक्षित हैं.
उसे पाकिस्तान से आज़ादी हासिल करने के लिए लड़ा गया युद्ध क़रार दिया जाता है.
वो आरक्षण कोटा वर्ष 2018 में ख़त्म कर दिया गया था, मगर जुलाई 2024 में फिर से लागू कर दिया गया था, जिसके विरोध में ये छात्र प्रदर्शन भड़क उठे हैं.