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ताप लहर गहराने से, योरोप और मध्य एशिया में आधे बच्चे जोखिम में

ताप लहर के दौरान ठंडा रहना बच्चों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वयस्कों की तुलना में, उनके शरीर का तापमान नियंत्रित करना कठिन होता है.
© Unsplash/Andrew Seaman
ताप लहर के दौरान ठंडा रहना बच्चों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वयस्कों की तुलना में, उनके शरीर का तापमान नियंत्रित करना कठिन होता है.

ताप लहर गहराने से, योरोप और मध्य एशिया में आधे बच्चे जोखिम में

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने गुरूवार को एक नए नीति-पत्र में कहा है कि योरोप और मध्य एशिया में रहने वाले सभी बच्चों में से आधे, यानि 9 करोड़ 20 लाख बच्चे, बारम्बार आती सघन ताप लहरों के सम्पर्क में हैंजोकि वैश्विक औसत से दोगुनी है.

यूनीसेफ़ में योरोप और मध्य एशिया की क्षेत्रीय निदेशक, रेजिना डोमिनिसिस के अनुसार, 2050 तक इससे सभी बच्चों के प्रभावित होने की सम्भावना है.

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के देश, जलवायु संकट की तपिश महसूस कर रहे हैं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं कल्याण को भारी क्षति पहुँच रही है.

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उन्होंने कहा, "इतने महत्वपूर्ण अनुपात में, क्षेत्र के बच्चों के वर्तमान और भविष्य के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक परिणामों के मद्देनज़र, सरकारों को शमन एवं अनुकूलन उपायों में तत्काल निवेश करने के लिए प्रेरित होना चाहिए."

जोखिम में बच्चे

रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चे विशेष रूप से ताप लहरों के प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनका मूल तापमान वयस्कों की तुलना में अधिक तेज़ी से बढ़ता है, जिससे उन्हें ताप आघात (heatstroke) जैसी गम्भीर बीमारियों का ख़तरा रहता है.

इसके अलावा, ताप लहरों के प्रभाव से, बच्चों की ध्यान केन्द्रित करने और सीखने की क्षमता बाधित होती है, जिससे उनकी शिक्षा पर असर पड़ता है.

यूनीसेफ़ के अनुसार, जहाँ बच्चे, ताप लहर के प्रभाव के प्रति विशिष्ट रूप से संवेदनशील होते हैं, अधिकांश वयस्कों को गर्मी का अनुभव अलग तरह से होता है. इससे माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए, बच्चों में ख़तरनाक स्थिति या गर्मी से सम्बन्धित बीमारी के लक्षणों की पहचान करना कठिन हो जाता है.

हाल के वर्षों में, योरोप और मध्य एशिया में, ताप लहरों की बारम्बारता और सघनता लगातार बढ़ती जा रही है और उनके कम होने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं. 

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक तापमान के 1.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के सबसे उदार अनुमानों से भी, क्षेत्र में लड़कों और लड़कियों का भविष्य चिन्ताजनक नज़र आ रहा है. 2050 तक, प्रत्येक बच्चे को बारम्बार उच्च ताप लहरों का अनुभव होने का अनुमान है.

लगभग 81 प्रतिशत बच्चों को सघन ताप लहरों की लम्बी अवधि का सामना करना पड़ेगा, जबकि 28 प्रतिशत, इससे भी गम्भीर उच्च तापमान स्थितियों का सामना करेंगे.

ताप लहर से निपटने के उपाय

यूनीसेफ़ ने बच्चों की सुरक्षा के लिए, योरोप और मध्य एशिया की सरकारों के लिए छह सिफ़ारिशें तैयार की है. इनमें, जलवायु सम्बन्धी प्रतिबद्धताओं और आपदा जोखिम न्यूनीकरण व आपदा जोखिम प्रबन्धन नीतियों में, बच्चों को सभी योजनाओं के केन्द्र में रखते हुए, ताप लहर शमन एवं अनुकूलन शामिल करना अहम है.

सरकारों को, बच्चों में झुलसती गर्मी से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम, त्वरित उपचार, निदान व उपचार में सहायता के लिए, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में भी निवेश करना चाहिए, जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना भी ज़रूरी होगा.

साथ ही, वे जलवायु पूर्व-चेतावनी की राष्ट्रीय प्रणालियों में अधिक निवेश कर सकते हैं, स्थानीय पर्यावरण का आकलन कर सकते हैं, और आपातकालीन तैयारियों एवं सहनक्षमता निर्माण योजनाओं को समर्थन दे सकते हैं.