सूडान: गम्भीर मानवीय परिस्थितियों के बीच, यूएन सहायता अभियान जारी
संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहतकर्मियों ने सूडान में हिंसक टकराव के कारण उपजी मानवीय राहत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने प्रयास जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है. देश में परस्पर विरोधी सैन्य गुटों के बीच जारी लड़ाई का स्थानीय आबादी पर भीषण असर हुआ है, अति-आवश्यक सामग्री की क़िल्लत है और क़ीमतों में बड़ा उछाल दर्ज किया गया है.
मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय ने मंगलवार को आगाह किया है कि भोजन, जल, दवाओं और ईंधन की क़िल्लत हो गई है, बिजली आपूर्ति सीमित है और अति-आवश्यय सामानों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं.
यूएन एजेंसी प्रवक्ता येन्स लार्क ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि सूडान, पहले से ही मानवीय सहायता आवश्यकताओं से जूझ रहा था और अब हालात बद से बदतर हो रहे हैं.
उन्होंने चिन्ता जताई कि देश में मानवीय सहायता अभियानों पर भी गहरा असर हुआ है और मानवीय राहत आपूर्ति व भंडारों में लूटपाट होने की भी ख़बरें हैं.
इससे पहले, सूडान में यूएन मिशन ने सोमवार को जारी अपने एक वक्तव्य में बताया था कि सूडान में यूएन कर्मचारियों और उनके परिजनों को राजधानी ख़ारतूम से अस्थाई तौर पर सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है.
हालांकि देश में, यूएन नेतृत्व मौजूद है और मानवीय सहायता अभियान जारी रखा जाएगा. इस क्रम में, यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने बताया कि लाल सागर स्थित तटीय शहर, पोर्ट सूडान में एक मानवीय राहत केन्द्र भी स्थापित किया जा रहा है.
येन्स लार्क ने कहा कि नागरिक समाज नैटवर्क भी स्थानीय समुदायों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं और चिकित्सा सहायता प्रदान किए जाने के अलावा, भोजन व जल की भी आपूर्ति की गई है.
सूडान में लड़ाई भड़कने से पहले, एक करोड़ 58 लाख लोगों, यानि देश की लगभग एक तिहाई आबादी को सहायता की आवश्यकता थी.
हताहतों की बढ़ती संख्या
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि देश में जारी लड़ाई में अब तक 459 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और चार हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मृतकों व घायलों का वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका जताई है.
सूडान में स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर अब तक 14 हमलों की पुष्टि की जा चुकी है, जिनमें आठ लोगों की मौत हुई है और दो घायल हुए हैं. ख़ारतूम में कम से कम एक चौथाई स्वास्थ्य केन्द्रों पर कामकाज ठप है.
संगठन के अनुसार, इन हमलों को तत्काल रोका जाना होगा, चूँकि इनकी वजह से ज़रूरतमन्द लोगों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुँचना मुश्किल साबित हो रहा है.
इसके साथ-साथ, देश में डेंगू और मलेरिया बुखार के प्रकोप औऱ जल सम्बन्धी बुनियादी ढाँचे के क्षतिग्रस्त होने से हैज़ा बीमारी फैलने की आशंका पर भी चिन्ता व्यक्त की गई है.
हज़ारों विस्थापित
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के प्रवक्ता पॉल डिलन ने बताया कि लड़ाई की वजह से हज़ारों लोग विस्थापन के लिए मजबूर हुए हैं.
इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने पड़ोसी देशों में 16 प्रवेश बिन्दुओं पर विस्थापन पर निगरानी रखने वाली व्यवस्था को सक्रिय कर दिया गया है, ताकि वहाँ पहुँचने वाले लोगों का आकलन किया जा सके.
इस ट्रैकर के ज़रिये आयु, लिंग, और स्वास्थ्य ज़रूरतों के आधार पर आँकड़ों को जुटाया जाता है और फिर उपयुक्त कार्रवाई के लिए मानवीय राहत संगठनों को मुहैया कराया जाता है.
यूएन प्रवासन एजेंसी ने आगाह किया है निगरानी और राहत टीमों के लिए समय बीता जा रहा है, चूँकि मई और जून महीनों में बारिश के मौसम में सूडान और चाड के बीच का सीमावर्ती इलाक़ा कट जाने की आशंका है.
सीमापार आवाजाही
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग सूडान से चाड पहुँच रहे हैं, और दक्षिण सूडान के शरणार्थी वापिस अपने देश लौट रहे हैं.
यूएन एजेंसी के अनुसार, सूडान से लोगों के मिस्र में पहुँचने की ख़बरें मिली हैं लेकिन फ़िलहाल अभी संख्या उपलब्ध नहीं है.
शरणार्थी संगठन ने कहा है कि क्षेत्र में साझेदार संगठनों और सरकारों के साथ मिलकर नज़दीकी प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि नए आगन्तुकों की ज़रूरतों का ध्यान रखा जा सके.
संगठन ने सूडान छोड़कर शरण पाने के इच्छुक लोगों के लिए अपनी सीमाओं को खुला रखने के लिए पड़ोसी देशों का आभार प्रकट किया है.