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सूडान: जातीय हिंसा की गहराती आशंका, हज़ारों लोग शरण की तलाश में

यूएन शरणार्थी एजेंसी ने सूडान में टकराव से जान बचाकर आ रहे लोगों के लिए, दक्षिण सूडान के रेन्क में एक आवागमन केन्द्र स्थापित किया है.
© UNHCR/Charlotte Hallqvist
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने सूडान में टकराव से जान बचाकर आ रहे लोगों के लिए, दक्षिण सूडान के रेन्क में एक आवागमन केन्द्र स्थापित किया है.

सूडान: जातीय हिंसा की गहराती आशंका, हज़ारों लोग शरण की तलाश में

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहतकर्मियों ने शुक्रवार को चिन्ता जताई है कि सूडान में आम नागरिकों, शरणार्थियों और घरेलू विस्थापितों को देश में हिंसक टकराव के गम्भीर नतीजों से जूझना पड़ रहा है और वे अपनी सुरक्षा व सलामती के लिए शरण की तलाश कर रहे हैं. 

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने बताया है कि देश में रह रहे दक्षिण सूडान, ऐरीट्रिया, और इथियोपिया के हज़ारों शरणार्थी, सूडानी सशस्त्र बलों और त्वरित समर्थन बल के बीच जारी लड़ाई की वजह से, जान बचाने के लिए राजधानी ख़ारतूम छोड़ कर चले गए हैं.

नए विस्थापितों ने देश के पूर्व और दक्षिण में पहले से स्थापित शरणार्थी शिविरों में शरण ली है, जिससे नई मानवीय सहायता चुनौतियाँ पनपी हैं.

यूएन शरणार्थी एजेंसी ने दारफ़ूर क्षेत्र में परिस्थितियों पर विशेष रूप से चिन्ता जताई है, जहाँ जातीय तनाव के फिर से उभरने की आशंका गहरा रही है.

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सूडान में यूएन एजेंसी के प्रतिनिधि ऐक्सेल बिस्सचॉप ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि मानवीय सहायता दृष्टि से, दारफ़ूर सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती है, चूँकि वहाँ अन्तर-सामुदायिक हिंसा बढ़ने की आशंका प्रबल है.

यह क्षेत्र पहले से ही गम्भीर हिंसक टकराव और विस्थापन के दौर से गुज़र चुका है, और घरेलू विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविरों को जलाकर बर्बाद कर दिया गया है. वहीं नागरिकों के घरों और मानवीय राहत एजेंसियों के परिसरों पर गोलियाँ बरसाई गई हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने भी पश्चिम दारफ़ूर में हिंसा बढ़ने के गम्भीर जोखिम पर चेतावनी जारी की है.

यूएन कार्यालय प्रवक्ता रवीना शमदासी ने बताया कि पश्चिम दारफ़ूर के ऐल जिनिइना में घातक जातीय झड़पें हुई हैं और 24 अप्रैल के बाद से अब तक 96 लोग मारे जा चुके हैं.

यूएन स्टाफ़ की सहायता के लिए आभार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ख़ारतूम और अन्य स्थानों पर, यूएन कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकालने में सहायता प्रदान करने के लिए फ़्राँस और अन्य देशों का आभार प्रकट किया है.

यूएन महासचिव के प्रवक्ता द्वारा जारी एक वक्तव्य के अनुसार, फ्राँस की मदद के ज़रिये, 400 से अधिक यूएन कर्मचारियों और उनके परिजनों को सूडान से बाहर ले जाया गया है.

“फ्राँस की नौसेना ने मंगलवार रात को 350 से अधिक हमारे सहकर्मियों और उनके परिवारों को पोर्ट सूडान से सऊदी अरब के जेद्दाह में पहुँचाया है.”

वहीं गुरूवार को, 70 से अधिक यूएन स्टाफ़ और अन्य सम्बद्ध कर्मचारियों को फ्राँस की वायुसेना के एक विमान के ज़रिये, सूडान के ऐल फ़शर से चाड भेजा गया है.

वक्तव्य में सऊदी अरब, चाड, केनया और युगांडा का आभार प्रकट किया गया है, जिनके प्रयासों के फलस्वरूप, यूएन कर्मचारियों और उनके परिजनों को सुरक्षित निकाल पाना सम्भव हुआ.

इसके साथ-साथ, यूएन प्रमुख ने सुरक्षित परिवहन के लिए अमेरिका, जॉर्डन, स्वीडन, जर्मनी, ब्रिटेन, कैनेडा समेत अन्य सदस्य देशों को भी धन्यवाद प्रेषित किया है.

मानवाधिकार हनन के मामले

सूडान में हिंसक टकराव में अब तक कम से कम 512 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हताहतों का वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है.

देश में नाज़ुक संघर्षविराम के कारण कुछ क्षेत्रों में लड़ाई में कमी आई है, और स्थानीय लोगों के लिए अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थान पर शरण ले पाना सम्भव हुआ है.

मगर, जान बचाकर भाग रहे लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, और उनसे फ़िरौती वसूले जाने समेत अन्य हनन मामलों का पता चला है.

दक्षिण सूडान के रेन्क में स्थापित किए गए एक आवागमन केन्द्र पर सूडान से वहाँ पहुँचने वाले विस्थापित.
© UNHCR/Charlotte Hallqvist

विस्थापितों की बढ़ती संख्या

सूडान में यूएन एजेंसी के प्रतिनिधि ऐक्सेल बिस्सचॉप ने बताया कि देश में लगभग 10 लाख शरणार्थी रहते हैं, जिनमें से अधिकाँश दक्षिण सूडान, इथियोपिया और ऐरीट्रिया से हैं.

यूएन शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, दो सप्ताह पहले शुरू हुए इस संकट के बाद से अब तक, राजधानी ख़ारतूम से अब तक 33 हज़ार से अधिक शरणार्थी, व्हाइट नाइल स्टेट में स्थित शरणार्थी शिविरों में पहुँचे हैं.

वहीं, गेडारेफ़ में स्थित शिविरो में दो हज़ार और कस्साला में पाँच हज़ार से अधिक लोगों ने शरण ली है.

इसके अलावा, हज़ारों सूडानी नागरिकों, घरेलू विस्थापितों और वहाँ रह रहे शरणार्थियों ने देश छोड़कर चाड, मिस्र, दक्षिण सूडान समेत अन्य देशों में शरण ली है.

यूएन एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा परिस्थितियों के कारण ख़ारतूम, दारफ़ूर और उत्तरी कोरदोफ़ान में अधिकाँश सहायता प्रयासों को अस्थाई तौर पर रोक दिया गया है.