मौजूदा जलवायु नीतियाँ, विश्व के लिए मृत्युदंड के समान, यूएन प्रमुख की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चेतावनी जारी की है कि यदि देशों की सरकारों ने अपनी मौजूदा पर्यावरणीय नीतियों को जारी रखा, तो वैश्विक तापमान में वृद्धि, इस सदी के अन्त तक 2.8 डिग्री तक पहुँच जाएगी, जोकि मृत्युदंड के समान होगा.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने गुरूवार को एक वीडियो लिन्क के ज़रिये प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की चौथी बैठक को सम्बोधित किया, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आयोजित किया.
यह बैठक, पैरिस समझौते के अनुरूप वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए लामबन्द प्रयासों में तेज़ी लाने पर लक्षित थी.
उन्होंने विश्व नेताओं को सम्बोधित करते हुए कहा, “आप मुख्य अर्थव्यवस्थाएँ हैं, लेकिन प्रमुख उत्सर्जक भी हैं. और हमारी दुनिया के सामने एक विशाल जलवायु चुनौती खड़ी है.”
“मौजूदा चुनौतियाँ, हमारी दुनिया को इस सदी के अन्त तक 2.8 डिग्री गर्म बना देंगी, और यह एक मृत्युदंड है.”
महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना सम्भव है, लेकिन इसके लिए जलवायु कार्रवाई में एक बड़ी छलांग की आवश्यकता है.
“और यह आप पर निर्भर करता है. हमें सहयोग के ज़रिए विश्व भर में तेज़ी लाने की ज़रूरत है. और इसका अर्थ है, असहमतियों, मतभेदों और तनावों से ऊपर उठना.”
एकजुटता पैक्ट
महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई को भूराजनैतिक तनावों की बलि चढ़ने से रोकना होगा.
साथ ही, उन्होंने जी20 समूह के औद्योगिक देशों के लिए एक जलवायु एकजुटता समझौते के प्रस्ताव को दोहराया.
इस ‘पैक्ट’ में बड़े उत्सर्जक देशों से उत्सर्जन में कटौती के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाने और सम्पन्न देशों द्वारा उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन प्रदान करने का आग्रह किया गया है.
यूएन प्रमुख ने तीन क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
अहम कार्रवाई क्षेत्र
पहला, उन्होंने विकसित देशों से नैट शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों को वर्ष 2040 तक, और उभरती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा 2050 तक तयशुदा अवधि में पूरा किए जाने की अपील की है.
दूसरा, उन्होंने जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाने के प्रयासों की रफ़्तार बढ़ाने का आग्रह किया है, और अर्थव्यवस्था के हर सैक्टर में कार्बन पर निर्भरता समाप्त करने पर बल दिया है.
उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत, सुलभता, किफ़ायतीपन और ऊर्जा सुरक्षा के वादों को पूरा कर सकते हैं.
तीसरा, महासचिव गुटेरेश ने जलवायु न्याय के प्रयासों में तेज़ी लाने का आहवान किया है, जिसके लिए अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार लाना आवश्यक होगा.
उन्होंने विकसित देशों से उन सभी वादों को पूरा करने की अपील की है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र की जलवायु शिखर वार्ताओं के दौरान लिया गया. इनमें, कुल जलवायु वित्त पोषण में अनुकूलन प्रयासों के लिए 50 फ़ीसदी धनराशि का प्रबन्ध किया जाना होगा.
यूएन प्रमुख ने ‘हानि व क्षति’ कोष को संचालित करने और हरित जलवायु कोष को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.