केन्द्रीय भूमध्यसागर में बढ़ते प्रवासी संकट पर, मानवाधिकार प्रमुख की चिन्ता
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने केन्द्रीय भूमध्यसागर को पार करने की कोशिश करने वाले प्रवासियों और पनाह चाहने वालों की अनिश्चितता भरी स्थिति पर गुरूवार को चिन्ता व्यक्त की है. उन्होंने साथ ही इन लोगों का त्वरित बचाव सुनिश्चित करने और किसी सुरक्षित स्थान पर उनकी सम्मानजनक, प्रभावकारी व सम्पूर्ण दस्तावेज़ी प्रक्रिया सुनिश्चित करने का भी आहवान किया है.
वर्ष 2014 से लेकर अब तक भूमध्य सागर को पार करने की कोशिश के दौरान, 26 हज़ार से अधिक लोगों की या तो मौत हो गई है या वो लापता हो गए हैं. इनमें 20 हज़ार से अधिक ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने केन्द्रीय भूमध्यसागर का रास्ता अपनाया, जिसे दुनिया भर में सबसे ख़तरनाक जानलेवा प्रवासन मार्ग समझा जाता है.
UN Rights Chief @volker_turk is alarmed by precarious situation for asylum-seekers/migrants trying to cross the Mediterranean. Sharp rise in numbers demands enhanced responsibility sharing. He calls for swift rescues &thorough processing at safe locations: https://t.co/P5SZL5m5rl https://t.co/1fCr7SLjPQ
UNHumanRights
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने गुरूवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया, “हम हताशा से भरे ऐसे लोगों की संख्या में तेज़ वृद्धि देख रहे हैं जो अपनी ज़िन्दगियों को भारी जोखिम में डाल रहे हैं.”
“हम ये तड़प नहीं देख सकते, और इस बहस में नहीं उलझे रह सकते कि इस सबके लिए कौन ज़िम्मेदार है, इनसानी ज़िन्दगियाँ दाँव पर है.”
एकजुटता की पुकार
मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने देशों से नियमित प्रवासन के लिए और ज़्यादा सुरक्षित व क़ानूनी मार्ग खोलने का आग्रह किया.
उन्होंने साथ ही, ज़िम्मेदारी-वहन को बेहतर बनाने और समुद्र से बचाए गए तमाम लोगों को सुरक्षित तरीक़े से व समय पर, किनारों पर उतारे जाने के लिए समुचित प्रबन्ध सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया.
वोल्कर टर्क ने प्रवासन सम्बन्धी नीतियों और गतिविधियों व परम्पराओं की स्वतंत्रत निगरानी और पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने की भी पुकार लगाई.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने इतालवी तट बल के प्रयासों की सराहना भी की, जिन्होंने शुक्रवार से लेकर अभी तक, लगभग दो हज़ार लोगों को बचाया है.
अब भी क़रीब 400 लोग कथित तौर पर समुद्र में ही हैं और मदद की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
शनिवार को ट्यूनीशिया के तट पर दो प्रवासी नौकाएँ डूबने के हादसे में, कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लापता बताए जा रहे हैं.
ख़बरों के अनुसार, इटली में वर्ष 2023 में अब तक लगभग 31 हज़ार 300 प्रवासी वहाँ आ चुके हैं, जबकि वर्ष 2022 के दौरान, इसी अवधि में इटली में पहुँचने वाले प्रवासियों की संख्या क़रीब सात हज़ार 900 थी.
बचाव दलों का कहना है कि ज़्यादातर प्रवासियों ने लीबिया और ट्यूनीशिया से ये सफ़र शुरू किया, मगर वो मूल रूप से कोटे डी आइवॉयर, गिनी, बांग्लादेश, ट्यूनीशिया और पाकिस्तान से आए.
मानवाधिकार संरक्षण अत्यावश्यक
वोल्कर टर्क ने कहा कि अब इटली के साथ एकजुटता दिखाने, और इस तरह की यात्राओं पर निकले तमाम लोगों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, सहयोग बढ़ाने का समय है.
उन्होंने साथ ही, योरोपीय संघ के तमाम सदस्य देशों से, प्रवासन प्रशासन में तालमेल का भी आहवान किया.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा है कि इटली ने, मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए, मंगलवार को आपातकाल लगाने का निर्णय लिया. “आपातकाल के तहत किसी भी नई नीति को, इटली के मानवाधिकार दायित्वों के अनुरूप होना होगा.”
उन्होंने कहा, “जीवन के अधिकार और प्रवासियों व पनाह चाहने वालों को उनके मूल स्थानों को वापिस भेजने की निषिद्धता के मानवाधिकारों के संरक्षण को, इन परिस्थितियों में भी कम नहीं किया जा सकता.”
वोल्कर टर्क ने कहा “अनुभव हमें बताता है कि हम अनियमित प्रवासन को रोकने के लिए कड़े नियम लागू करने से, प्रवासन यात्राओं को रोक नहीं सकते, बल्कि इनके परिणाम, समुद्र में अधिक मानवीय पीड़ा व मौतों के रूप में होंगे. इसके बजाय, देशों के लिए ये बेहतर होगा कि वो प्रवासन के लिए सुरक्षित व नियमित मार्ग उपलब्ध कराएँ और अनावश्यक मौतें रोकें."
उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इटली से इस वर्ष अपनाए गए उस नए कड़े क़ानून को रद्द करने का भी आग्रह किया, जो आम लोगों व संगठनों द्वारा चलाए जाने वाले, तलाश और बचाव अभियानों को निषिद्ध बनाता है.
उन्होंने इटली से साथ ही, जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराने में सक्रिय लोगों का अपराधीकरण करने से बचने का भी आग्रह किया.