'फ़लस्तीनी मानवाधिकार पैरोकारों की गिरफ़्तारियाँ, व्यापक दमन का हिस्सा'
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की स्थित पर, संयुक्त राष्ट्र की विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉलोर ने बुधवार को कहा है कि इसराइल को, अपने क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्रों और अपनी सीमाओं के भीतर, मानवाधिकार पैरोकारों की सुरक्षा का पुख़्ता इन्तज़ाम करना होगा.
मैरी लॉलोर ने मानवाधिकार पैरोकारों की गिरफ़्तारियों, उनका उत्पीड़न व आपराधिकरण किये जाने और धमकियाँ दिये जाने पर चिन्ता व्यक्त की है.
#Israel must protect all Palestinian human rights defenders within its borders and in the Occupied Palestinian Territory – UN expert @MaryLawlorhrds says, calling for the immediate release of 3 #HumanRightsDefenders.Learn more: https://t.co/4T5393lk7e pic.twitter.com/FFliDjMnjV
UN_SPExperts
उन्होंने कहा, “फ़लस्तीनी मानवाधिकार पैरोकारों के घरों पर हमले और उन्हें गिरफ़्तार किया जाना, दरअसल, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में, फ़लस्तीनियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने वालों के ख़िलाफ़ व्यापक दमन का ही एक हिस्सा है.”
गिरफ़्तारियाँ, जबरन विस्थापन
विशेष रैपोर्टेयर ने स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग (आईसीएचआर) के साथ काम करने वाले एक वकील और मानवाधिकार पैरोकार फ़रीद अल अतराश की, मनमाने तरीक़े से गिरफ़्तारी और उन्हें बन्दी बनाए जाने पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है.
फ़रीद अल अतराश को इसराइली सैन्य बलों ने उस समय गिरफ़्तार कर लिया था जब उन्होंने 15 जून को, बेथलेहेम में एक शान्तिपूर्ण प्रदर्शन में शिरकत की थी. उन्हें आठ दिन बाद रिहा किया गया था.
मानवाधिकार विशेषज्ञ ने येरूशेलम की शेख़ जर्राह और सिलवान बस्तियों में रहने वाले फ़लस्तीनियों को जबरन अन्य स्थानों पर भेजे जाने पर भी चिन्ता जताई है.
उन्होंने कहा, “मूना अल कुर्द, मोहम्मद अल कुर्द और ज़ुहैल अल रजबी, जैसे मानवाधिकार पैरोकार, जबरन विस्थापन के ख़िलाफ़ अपने समुदायों की हिफ़ाज़त करने के लिये अग्रिम मोर्चों पर सक्रिय रहे हैं, उन्हें गिरफ़्तार किया गया है और उनसे गहन पूछताछ की गई है.”
एक अन्य मानवाधिकार पैरोकार सलाह हम्मौरी, फ़लस्तीनी-फ्रेंच पृष्ठभूमि के हैं, और एक वकील भी हैं. उन पर भी येरूशेलम में रहने की इजाज़त देने वाला उनका स्थाई आवास प्रमाण-पत्र रद्द किये जाने का ख़तरा मण्डरा रहा है.
जेल में रखे गए कार्यकर्ताओं की स्थिति
सुश्री मैरी लॉलोर ने कहा, “मैं ये देखकर स्तब्ध हूँ कि पश्चिमी तट के दूर-दराज़ के इलाक़ों में रहने वाले फ़लस्तीनियों को स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराने वाली स्वास्थ्य कमेटी के सदस्यों को गिरफ़्तार किया गया है, उनसे सघन पूछताछ की गई है और मानवाधिकार कार्यों के लिये उनका आपराधिकरण किये जाने की भी आशंका है.”
इस कमेटी के तीन सदस्य इस समय जेल में बन्द हैं.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने इसराइल से, मानवाधिकार पैरोकारों को तुरन्त रिहा कर दिये जाने की पुकार लगाई है. साथ ही, दो महिला मानवाधिकार पैरोकारों के ख़िलाफ़ दुर्व्यवहार किये जाने के आरोपों की जाँच कराए जाने का भी आहवान किया है.
विशेष रैपोर्टेयर ने इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में, फ़लस्तीनी मानवाधिकार पैरोकारों की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की अहमियत को रेखांकित किया है.
उन्होंने कहा, “मैं अधिकारियों से, इन मानवाधिकार पैरोकारों को निशाना बनाना बन्द किये जाने, और उन्हें अपने वैध व शान्तिपूर्ण कार्य, निर्बाध तरीक़े से करने की इजाज़त दिये जाने का आहवान करती हूँ.”
मैरी लॉलोर की ये अपील एक वक्तव्य में जारी की गई है जिस पर 10 अन्य स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों का भी समर्थन व्यक्त किया गया है.
ये मानवाधिकार विशेषज्ञ, जिनीवा स्थित संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद के शासनादेश पर कार्य करते हैं. ये संयुक्त राष्ट्र के स्टाफ़ नहीं होते हैं और ना ही उन्हें, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन दिया जाता है.