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महामारी की चपेट में एशिया-प्रशान्त - 'तत्काल, मज़बूत समर्थन की दरकार'

भारत की राजधानी नई दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में एक मरीज़ को भर्ती किया जा रहा है.
© UNICEF/Amerjeet Singh
भारत की राजधानी नई दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में एक मरीज़ को भर्ती किया जा रहा है.

महामारी की चपेट में एशिया-प्रशान्त - 'तत्काल, मज़बूत समर्थन की दरकार'

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने सचेत किया है कि एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में कोविड-19 महामारी के फैलाव के बीच कोरोनावायरस वैक्सीन की क़िल्लत है, जिसके लिये आपूर्ति को बेहतर बनाया जाना होगा. इसके मद्देनज़र, कोविड-19 वैक्सीन की न्यायसंगत सुलभता के लिये स्थापित की गई, 'कोवैक्स' पहल को तत्काल, मज़बूत समर्थन प्रदान किये जाने का आहवान किया गया है. साथ ही, टीकाकरण मुहिम के दौरान, शरणार्थियों व शरण की तलाश कर रहे लोगों का ख़याल रखने की बात कही गई है.

यूएन एजेंसी के प्रवक्ता आन्द्रेज माहेचिच ने जिनीवा में मंगलवार को एक नियमित प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि, "ज़िन्दगियों की रक्षा करने और वायरस के असर को कम करने के लिये यह अहम है, विशेष रूप से विकासशील देशों में."

विश्व में जबरन विस्थापन का शिकार आठ करोड़ लोगों की एक बड़ी संख्या, एशिया-प्रशान्त के देशों में रहती है.

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यूएन शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक कोविड-19 टीकाकरण मुहिम के दौरान, बेहद कम संख्या में ही शरणार्थियों को टीके मिल पाए हैं.

एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि न्यायोचित ढँग से, हर स्थान पर टीकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर ही महामारी को हराया जा सकता है.

इस क्षेत्र में स्थित देशों में, पिछले दो महीनों में संक्रमण के मामलों में तेज़ उछाल आया है, जोकि विश्व में सबसे अधिक है, जिसके कारण मौजूदा हालात पर चिन्ता जताई गई है.

इस अवधि में कुल तीन करोड 80 लाख मामलों की पुष्टि हुई है और पाँच लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है, और पहले से ही नाज़ुक स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी बोझ है.

"अस्पताल में बिस्तरों, ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी, सीमित गहन देखभाल इकाई (ICU) क्षमता और अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं व सेवाओं के कारण कोविड-19 संक्रमितों के लिये ख़राब नतीजे रहे हैं, विशेष रूप से भारत व नेपाल में."

शरणार्थी आबादी पर जोखिम

सबसे पहले भारत में सामने आए कोरोनावायरस के बेहद संक्रामक प्रकार के क्षेत्र में तेज़ी से फैलने का ख़तरा है.

भीड़-भाड़ भरे शिविरों में रहने के लिये मजबूर, सीमित जल आपूर्ति व साफ़-सफ़ाई सुविधाओं के अभाव के कारण, शरणार्थी आबादी के लिये कोविड-19 का जोखिम अधिक है.

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में नौ लाख रोहिंज्या शरणार्थी, एक बेहद विशाल, घनी आबादी वाले शिविर में रह रहे हैं, जहाँ पिछले दो महीनों में संक्रमण के मामलों में तेज़ उछाल आया है.

बताया गया है कि 31 मई तक शरणार्थी आबादी में एक हज़ार 188 मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें से आधे मामले, मई महीने में ही सामने आए हैं.

इसके अलावा, नेपाल, ईरान, पाकिस्तान, थाईलैण्ड, मलेशिया और इण्डोनेशिया की शरणार्थी व शरण की तलाश कर रही आबादी में कोविड-19 मामलों का चिन्ताजनक रूझान देखा गया है.

यूएन एजेंसी के मुताबिक कोरोनावायरस की रोकथाम के लिये सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय अहम हैं, मगर तेज़ी से टीकाकरण को भी आगे बढ़ाया जाना होगा.

इस क्रम में, शरणार्थी एजेंसी ने देशों से वैक्सीन की अतिरिक्त ख़ुराकों को कोवैक्स सुविधा में दान दिये जाने और वैक्सीन विनिर्माताओं से आपूर्ति को बढ़ाने का आग्रह किया है.