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सीरिया में तनाव बढ़ने की आशंका के बारे में चेतावनी

सीरिया के लिए विशेष दूत गेयर पैडरसन, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
सीरिया के लिए विशेष दूत गेयर पैडरसन, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

सीरिया में तनाव बढ़ने की आशंका के बारे में चेतावनी

शान्ति और सुरक्षा

मध्य पूर्व में सीरिया को भी चपेट में लेने वाले क्षेत्रीय तनाव के भड़कने का जोखिम अभी टला नहीं, विशेष रूप से इस युद्धग्रस्त देश में, हाल ही में इसराइली हमलों के मद्देनज़र तो यह जोखिम बहुत प्रपल नज़र आता है.

सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गेयर पैडरसन ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए याद दिलाया कि “सीरिया अब भी टकराव, जटिलता और विभाजन की स्थिति की जकड़ में बना हुआ है.”

उन्होंने राजदूतों से मुख़ातिब होते हुए, सीरियाई शरणार्थियों की तकलीफ़ों, एक राजनैतिक समाधान की आवश्यकता, और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 2254 (2015) की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया, जिसमें शान्ति प्रक्रिया के लिए रोडमैप को स्वीकृति दी गई है.

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तनाव घटाने की सख़्त ज़रूरत

गेयर पैडरसन ने बताया कि इसराइल ने सीरिया में गत सप्ताह हमले किए थे जिनके बारे में सीरियाई सरकार ने कहा कि उन हमलों में दक्षिणी इलाक़े में कुछ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया. साथ ही राजधानी दमिश्क में भी एक रिहायशी इमारत, इस हमले की चपेट में आई.

उन्होंने बताया कि इसराइल के अनुसार उसने ये हमले, सीरिया से इसराइली क्षेत्र की तरफ़ छोड़े गए दो ड्रोन की प्रतिक्रिया स्वरूप ये हमले किए गए.

उनके अलावा, दारताउस, दमिश्क, ग्रामीण दमिश्कि और लेबनान से मिलने वाली सीमा के इलाक़ों में भी हमले होने की ख़बरें हैं.

गेयर पैडरसने ने आगाह करते हुए कहा, “इस स्थिति के भड़ककर और भी बदतर हालात में तब्दील होने का बहुत जोखिम है – ख़ासतौर से अगर लेबनान में स्थिति बदतर होती है.”

इनके अलावा सीरिया के भीतर भी तनाव और टकराव बढ़ने का जोखिम अब भी बरक़रार है. सीरिया के पूरे उत्तरी इलाक़े में युद्धक गतिविधियाँ तेज़ बुई हैं और दक्षिण में भी झड़पें होने की ख़बरें हैं.

सीरियाई शरणार्थियों के लिए चिन्ता

यूएन सीरिया दूत ने, सीरियाई शरणार्थियों की स्थिति के बारे में ध्यान दिलाया कि इस महीने, मेज़बान देशों में तनाव नए उच्च स्तर पर पहुँच गया, जहाँ हमलों और गम्भीर स्तर की हिंसा भड़कने की चिन्ताजनक ख़बरें मिली हैं.

उन्होंने कहा कि मेज़बान देशों में रहने वाले सीरियाई शरणार्थी जबरन स्वदेश भेजे जाने, या फिर बढ़ते प्रतिबन्ध उपायों के कारण स्वदेश लौटने की सम्भावनाओं पर चिन्तित हैं.

गेयर पैडरसन ने कहा, “मेज़बान देशों में उत्पन्न गम्भीर स्थिति को हम भली-भाँति समझते हैं, और उन देशों को और अधिक समर्थन दिए जाने की ज़ोरदार हिमायत करते हैं. हम उन सीरियाई शरणार्थियों को भी समर्थन दिए जाने की हिमायत करते हैं, जो स्वैच्छिक रूप से सीरिया लौटना चाहते हैं.”

राजनैतिक समाधान ही है कुंजी

सीरिया दूत गेयर पैडरसन ने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित और सीरिया के नेतृत्व में, सीरियाई राजनैतिक समाधान ही, एक दशक से भी अधिक पुराने इस युद्ध के एकमात्र रास्ता है, और यही अन्तरराष्ट्रीय रूप से सहमत मार्ग भी है.

उन्होंने कहा कि सीरियाई लोग राजनैतिक व क्षेत्रीय नज़रिए से, बहुत गहन रूप से विभाजित हैं, जहाँ लाखों लोग अब भी सरकारी नियंत्रण से बाहर रह रहे हैं. ऐसे हालात में बातचीत पर आधारित राजनैतिक समाधान बहुत ज़रूरी हो जाता है.

लाखों लोगों को है सहायता ज़रूरत

सयुक्त राष्ट्र की मानवीय आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA के एक वरिष्ठ अधिकारी रमेश राजसिंघम ने, सुरक्षा परिषद में राजदूतों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सीरिया, 13 वर्ष पहले युद्ध भड़कने के समय के बाद अब बहुत भयानक स्तर के मानवीय संकट से गुज़र रहा है.

एजेंसी के समन्वय विभाग के निदेशक रमेश राजसिंघम ने कहा कि सीरिया के लगभग एक करोड़ 60 लाख लोगों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है, जिनमें अधिकतर महिलाएँ और बच्चे हैं. इनके अलावा क़रीब 72 लाख लोग विस्थापित हैं.

उन्होंने याद दिलाया कि मानवीय सहायता अभियानों के लिए, धन की क़िल्लत हो रही है और आगाह करते हुए कहा कि पश्चिमोत्तर इलाक़े में साझीदार एजेंसियों ख़बर दी है कि लगभग 9 लाख लोगों को, पानी स्वच्छता और अन्य सहायता नहीं मिल पा रही है जिसकी उन्हें ज़रूरत है.

“चूँकि जलवायु परिवर्तन ने ताप लहरों की संख्या बहुत बढ़ा दी है, इन चुनौतियों में अब वृद्धि ही होगी.”

रमेश राजसिंघम ने दानदाताओं से दान सहायता बढ़ाने का भी आग्रह किया.