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यूएन महासभा की आपात बैठक में, ग़ाज़ा में मानवीय युद्धविराम का प्रस्ताव पारित

यूएन महासभा की 10वीं विशेष आपात बैठक का एक विहंगम दृश्य. (12 दिसम्बर 2023).
UN Photo/Loey Felipe
यूएन महासभा की 10वीं विशेष आपात बैठक का एक विहंगम दृश्य. (12 दिसम्बर 2023).

यूएन महासभा की आपात बैठक में, ग़ाज़ा में मानवीय युद्धविराम का प्रस्ताव पारित

शान्ति और सुरक्षा

दशकों से चले आ रहे इसराइल-फ़लस्तीन टकराव पर, यूएन महासभा का आपात सत्र मंगलवार को पुनः आरम्भ हुआ है, जिसमें ग़ाज़ा में एक मानवीय युद्धविराम लागू करने की मांग करने वाला प्रस्ताव, भारी बहुमत से पारित हुआ है. ग़ौरतलब है कि ग़ाज़ा में मौजूदा युद्ध रुकने के कोई संकेत नज़र नहीं आ रहे हैं और सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर, आगे की किसी कार्रवाई के बारे में गतिरोध बना हुआ है. 

यूएन महासभा की इस बैठक में, सदस्य देशों ने ग़ाज़ा में तत्काल एक मानवीय युद्धविराम लागू करने, तमाम बन्धकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई और मानवीय सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग करने वाला एक प्रस्ताव भारी बहुमत से पारित किया है.

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मंगलवार को इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में, 153 देशों ने इसका समर्थन किया, 10 देशों ने विरोध में मतदान किया और 23 देश मतदान से बाहर रहे.

इस तरह ये प्रस्ताव भारी बहुमत से पारित हुआ है. इस तरह के किसी प्रस्ताव को पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती.

प्रस्ताव में महासभा की ये मांग भी दोहराई गई है कि सभी पक्ष, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपनी ज़िम्मेदारियों का पालन करें, जिनमें अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून भी शामिल है. ये ज़िम्मेदारियाँ आम आबादी का संरक्षण सुनिश्चित किए जाने के बारे में हैं.

इस प्रस्ताव से पहले दो संशोधन प्रस्तावित किए गए थे जिनमें चरमपंथी गुट हमास का विशिष्ट सन्दर्भ था, उन संशोधनों को पारित होने लायक मत प्राप्त नहीं हुए.

इस विशेष आपात बैठक का ये सत्र शुक्रवार, 15 दिसम्बर तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

महासभा की ये आपात बैठक इस पृष्ठभूमि में हो रही है कि जब शुक्रवार को, यूएन सुरक्षा परिषद में, ग़ाज़ा में तत्काल एक मानवीय युद्धविराम लागू करने, हमास के क़ब्ज़े में सभी बन्धकों को बिना शर्त व तत्काल रिहा किए जाने और मानवीय सहायता की पहुँच सुलभ बनाए जाने की मांग करने वाला एक मसौदा प्रस्ताव, अमेरिका द्वारा वीटो किए जाने के कारण, पारित नहीं हुआ था.

उस प्रस्ताव के समर्थन में 13 सदस्यों ने मतदान किया, ब्रिटेन मतदान से बाहर रहा और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने वीटो अधिकार का प्रयोग किया.

सुरक्षा परिषद का वो सत्र, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश द्वारा यूएन चार्टर के अनुच्छेद-99 को लागू किए जाने पर बुलाया गया था.

अनुच्छेद-99 को, विश्व शान्ति व सुरक्षा के लिए ख़तरा दरपेश होने के सन्दर्भ में कार्रवाई करने के मामले में, यूएन महासचिव के पास सबसे शक्तिशाली औज़ार समझा जाता है.

महासचिव एंतोनियो गुटेेरश ने, अनुच्छेद-99 का सहारा लेते हुए, सुरक्षा परिषद से, युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में, मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए कार्रवाई करने की पुकार लगाई थी.

महासभा के आपात सत्र की महत्ता

यूएन महासभा में, ग़ाज़ा संकट पर, आपात बैठक के दौरान, मानवीय युद्धविराम की मांग करने वाले प्रस्ताव पर मतदान. (12 दिसम्बर 2023).
UN Photo/Loey Felipe

यूएन महासभा अपने 193 सदस्य देशों के साथ, संयुक्त राष्ट्र में विचार-विमर्श का सबसे बड़ा अंग है. इसके प्रस्ताव और निर्णय, मौजूद रहने वाले सदस्यों के बहुमत से पारित किए जाते हैं और ऐसा एक निर्धारित मतदान प्रक्रिया के ज़रिए होता है.

यूएन महासभा के प्रस्ताव, अलबत्ता सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों की तरह बाध्यकारी नहीं है, मगर विश्व जनमत में उनका अपना ख़ास वज़न है.

यूएन महासभा के प्रस्तावों का अति महत्वपूर्ण राजनैतिक प्रभाव, सदस्य देशों के बर्ताव को प्रभावित करने, और उनके कुछ निश्चित कार्यकलापों या गतिविधियों को, ख़ास तरह से परिभाषित करने में निर्णायक साबित हो सकता है. जैसाकि दक्षिण अफ़्रीका में, रंगभेद की नीति - Apartheid के मामले में हुआ था. इस प्रक्रिया में ज़मीनी स्थितियों में बदलाव सम्भव बनाने वाली अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाइयों का रास्ता खुल सकता है.

'एक मात्र प्राथमिकता'

यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने, 10वें आपातकालीन विशेष सत्र को एक बार फिर से शुरू करने की घोषणा करते हुए, ग़ाज़ा में बिगड़ते मानवीय संकट के मद्देनजर, एक बार फिर से बैठक किए जाने के अनुरोध को रेखांकित किया.

डेनिस फ्रांसिस ने अपनी आरम्भिक टिप्पणी में कहा कि युद्धरत पक्ष, "नागरिकों पर जानलेवा हमलों व मानवीय प्रणालियों का विध्वंस करने के साथ-साथ, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का खुला अनादर" कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि युद्ध के भी नियम होते हैं और हम मूल सिद्धान्तों और मूल्यों से नहीं हट सकते.

उन्होंने बताया कि मृतकों में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएँ और बच्चे हैं.

उन्होंने कहा कि दुनिया "वास्तविक समय में" मानवीय व्यवस्था का "अभूतपूर्व पतन" देख रही है.

महासभा अध्यक्ष ने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को नागरिकों की पीड़ा को तत्काल समाप्त करना होगा.

उन्होंने कहा कि यह तत्काल मानवीय युद्धविराम लागू होने का बिल्कुल सही समय है.

डेनिस फ्रांसिस ने निर्दोष नागरिकों की पीड़ा को समाप्त करने की तात्कालिकता पर ज़ोर दिया, और तत्काल मानवीय युद्धविराम की मांग दोहराई.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "हमारी एक ही प्राथमिकता है - केवल एक - ज़िन्दगियाँ बचाना."

उन्होंने कहा, ''अब यह हिंसा बन्द करें.''