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यमन: युद्ध की समाप्ति के लिए प्रयासों में, देश एक 'अहम पड़ाव' पर

यमन में विस्थापित परिवारों ने अस्थाई शिविरों में शरण ली है.
© WFP/Mohammed Awadh
यमन में विस्थापित परिवारों ने अस्थाई शिविरों में शरण ली है.

यमन: युद्ध की समाप्ति के लिए प्रयासों में, देश एक 'अहम पड़ाव' पर

शान्ति और सुरक्षा

यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ड ने सोमवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को जानकारी देते हुए बताया कि देश में संघर्षविराम की अवधि समाप्त हो जाने के बावजूद, उसके सकारात्मक नतीजे अब भी मिल रहे हैं. उनके अनुसार, हाल ही में सामूहिक स्तर पर क़ैदियों की अदला-बदली, आशा का संकेत है, मगर सऊदी अरब के गठबन्धन द्वारा समर्थित सरकार और हूथी लड़ाकों के बीच युद्ध का अन्त करने के लिए अभी और प्रयास किए जाने की ज़रूरत है.

उन्होंने वीडियो लिंक के ज़रिए सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में सभी पक्षों द्वारा संघर्षविराम पर सहमति के एक वर्ष बाद देश फिर से एक अहम पड़ाव पर है.

“मेरा विश्वास है कि हिंसक संघर्ष का अन्त करने की दिशा में प्रगति का ऐसा गम्भीर अवसर, हमें पिछले आठ वर्षों में नहीं मिला है.”

“मगर, यदि पक्षों ने शान्ति की दिशा में निडर क़दम नहीं उठाए, तो हालात अब भी बदल सकते हैं.”

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विशेष दूत ग्रुंडबर्ग के अनुसार, संघर्षविराम की अवधि छह महीने पहले ही समाप्त हो गई थी, मगर इसके नतीजे अब भी मिल रहे हैं और सम्बद्ध पक्ष अगले क़दमों के लिए सम्पर्क में हैं.

यह स्थिति दर्शाती है कि वार्ता, कारगर हो सकती है. पिछले सप्ताहान्त, सभी पक्षों द्वारा हिंसक टकराव में हिरासत में लिए गए लगभग 900 लोगों को जेल से रिहा कर दिया गया था.

यह पिछले महीने, स्विट्ज़रलैंड में यूएन के तत्वाधान में आयोजित हुई बैठकों के परिणामस्वरूप सम्भव हो पाया. इस बीच, संघर्षविराम के अनेक पहलुओं को अब भी अमल में लाया जा रहा है, जिसे एक उत्साहजनक संकेत बताया गया है.

विशेष दूत ने बताया कि देश को बर्बाद कर देने वाले इस युद्ध के दौरान, यमन में पहली बार, इतनी लम्बी अवधि तक शान्ति क़ायम रही है.

टकराव के बीच शान्ति प्रयास

“भोजन, ईंधन व अन्य वाणिज्यिक जहाज़ों का हुदायदाह में पहुँचना जारी है. और व्यावसायिक उड़ानें, राजधानी सना के अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और अम्मान के बीच जारी हैं.”

उन्होंने हालाँकि स्पष्ट किया कि यह पर्याप्त नहीं है और स्थानीय लोगों को अकल्पनीय मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

हाल के दिनों में अनेक इलाक़ों में सैन्य गतिविधियों से तनाव भड़कने का जोखिम है, जिससे बड़ी कठिनाई से दर्ज की गई प्रगति पर असर हो सकता है.

विशेष दूत ने कहा कि संघर्षविराम एक अहम उपलब्धि है, लेकिन युद्ध के अन्त पर केन्द्रित बातचीत के लिए यह एक अस्थाई उपाय थी.

उन्होंने बताया कि स्थाई संघर्षविराम और राजनैतिक प्रक्रिया को फिर से सक्रिय करने की दिशा में सम्पर्क व बातचीत जारी है और देश को विकट आर्थिक व मानवीय हालात से उबारने के लिए कोशिशें भी रही हैं.

हैंस ग्रुंडबर्ग का कहना है कि यमन और सऊदी अरब व ओमान समेत क्षेत्रीय हितधारकों के बीच बातचीत हुई है.

प्रगति का अवसर

उन्होंने सऊदी अरब और ईरान के विदेश मंत्रियों द्वारा क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए सहयोग बढ़ाने पर केन्द्रित वक्तव्य का स्वागत किया, जिसे चीन की राजधानी बीजिंग में हुई एक बैठक के बाद जारी किया गया था.

विशेष दूत ने ज़ोर देकर कहा कि यमन में किसी भी समझौते के ज़रिए यमनी-नेतृत्व में राजनैतिक प्रक्रिया की ओर स्पष्टता से बढ़ा जाना होगा, जिसके लिए सभी पक्षों द्वारा सदभाव के साथ मिलने और बातचीत करने के लिए मज़बूत संकल्प की आवश्यकता होगी.

मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) में अभियान संचालन व पैरोकारी के लिए उपनिदेशक ग़ादा ऐलताहिर मुदावी ने कहा कि यमन में शान्ति की दिशा में प्रगति के लिए यह एक अभूतपूर्व अवसर है.

उन्होंने कहा कि तीन अहम बिन्दुओं पर तत्काल, सुस्पष्ट कार्रवाई की आवश्यकता है: सहायता धनराशि में वृद्धि, निर्बाध पहुँच और देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता के लिए निवेश.

“मगर, इससे कहीं अधिक, यमनी लोगों को स्थाई शान्ति की दरकार है. यह समय उस वादे को पूरा करने का है.”

यमन के अदन में विस्थापितों के लिए बनाए गए एक शिविर में एक महिला भोजन पकाते हुए. ये महिला ख़ुद भी कुपोषण की शिकार हैं.
© UNICEF/Saleh Bin Hayan YPN

कठिन परिस्थितियाँ

यमन में दो करोड़ से अधिक लोगों को आपात सहायता की आवश्यकता है, और हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश के कारण एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.

मलेरिया, पोलियो समेत ऐसी बीमारियाँ ख़तरनाक गति से फैल रही हैं, जिनकी रोकथाम की जा सकती है. हूथी-नियंत्रण वाले इलाक़ों में परिस्थितियाँ विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हैं, जहाँ प्रतिरक्षण के रास्ते में रुकावटें हैं और भ्रामक जानकारी के कारण लोग टीकाकरण को सन्देह की नज़र से देखते हैं.

ऐलताहिर मुदावी के अनुसार, राहत एजेंसियाँ लोगों तक मदद पहुँचाने के लिए हरसम्भव प्रयास कर रही हैं. पिछले वर्ष, हालात को बद से बदतर होने से रोकने में कुछ सफलता मिली थी.

अब देश में गम्भीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित लोगों की संख्या एक करोड़ 90 लाख से घटकर एक करोड़ 70 लाख हो गई है.

मगर, उन्होंने आशंका जताई कि बड़ी कठिनाई से दर्ज की गई यह प्रगति, सहायता धनराशि की क़िल्लत और राहत अभियान संचालन में पेश आने वाली मुश्किलों के कारण धूमिल हो सकती है.