यमन: क़ैदियों की रिहाई का स्वागत, युद्ध के राजनैतिक समाधान का आग्रह
यमन में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने, देश में अनेक वर्षों से जारी युद्ध से सम्बन्धित क़ैदियों का एक बड़ा आदान-प्रदान, शुक्रवार को शुरू होने के मौक़े पर, युद्धरत पक्षों से एक शान्तिपूर्ण भविष्य की तलाश जारी रखने का आग्रह किया है.
विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग के कार्यालय ने एक वक्तव्य में कहा है, “यमन में सभी पक्ष, युद्ध सम्बन्धी लगभग 900 बन्दियों की रिहाई शुक्रवार को शुरू कर रहे हैं जो तीन दिन तक जारी रहेगी.”
हैंस ग्रुंडबर्ग के कार्यालय का कहना है कि क़ैदियों की ये रिहाई यमन के लिए उम्मीद के दौर में एक अनुस्मरण के रूप में आई है कि महान परिणाम हासिल करने के लिए, रचनात्मक संवाद और आपसी समझौते, शक्तिशाली उपाय हैं.
स्विस सम्बन्ध
क़ैदियों की रिहाई का ये घटनाक्रम, बन्दियों के आदान-प्रदान समझौते की निगरानी कमेटी के उस समझौते के अनुरूप हो रहा है, जिसकी घोषणा, मार्च में यूएन जिनीवा में की गई थी.
इस समझौते में विशेष दूत ग्रुंडबर्ग और अन्तरराष्ट्रीय रैडक्रॉस कमेटी का भी समर्थन रहा है और इसमें युद्ध सम्बन्धी 887 बन्दियों की रिहाई होनी है.
इन लोगों को यमन सरकार और हूथी विद्रोहियों के दरम्यान आठ वर्षों से जारी युद्ध के दौरान बन्दी बनाया गया है. इस युद्ध के दौरान हज़ारों लोग मारे जा चुके हैं और संयुक्त राष्ट्र ने यमन की इस स्थिति को, दुनिया की बदतरीन मानवीय आपदा क़रार दिया है.
रमदान उत्साह
विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने कहा है कि आज बहुत से यमनी परिवार अपने प्रियजनों के साथ ईद की ख़ुशियाँ मनाने की तैयारी में हैं, और ये पक्षों के बीच समझौते की बदौलत सम्भव हो रहा है.
उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि यही भावना, एक वृहद राजनैतिक समाधान को आगे बढ़ाने के प्रयासों में भी नज़र आएगी.
विशेष दूत ने ख़ास ध्यान दिलाया कि हज़ारों अन्य परिवार अब भी अपने प्रियजनों के साथ घुलने-मिलने का इन्तेज़ार कर रहे हैं.
उन्होंने साथ ही आशा व्यक्त की कि युद्धरत पक्ष इस अभियान की सफलता को बुनियाद बनाकर, अपने वो संकल्प पूरे करेंगे जो उन्होंने स्वीडन में 2018 में हुई बातचीत में, यमनी लोगों के साथ किए थे – “युद्ध सम्बन्धी तमाम बन्दियों की रिहाई और तकलीफ़ों का ख़ात्मा.”
विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने एक वक्तव्य में सभी पक्षों से उन सभी लोगों को तत्काल रिहा करने का आग्रह किया जिन्हें मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाया गया है.
साथ ही ये भी कहा कि जब तक वो लोग बन्दी हैं, उनके बन्दीकरण की परिस्थितियों और निष्पक्ष मुक़दमों के सम्बन्ध में अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनी मानकों का पालन किया जाए.