वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सर्वजन के लिए मानवाधिकार वादों को यथार्थ में साकार करने का आहवान

यूक्रेन के इरपिन में आठ वर्षीय बच्ची, उस इमारत के सामने खड़ी है, जहाँ एक छोटे कमरे में वह अपनी माँ और बहन के साथ रहती है.
© UNICEF/Olena Hrom
यूक्रेन के इरपिन में आठ वर्षीय बच्ची, उस इमारत के सामने खड़ी है, जहाँ एक छोटे कमरे में वह अपनी माँ और बहन के साथ रहती है.

सर्वजन के लिए मानवाधिकार वादों को यथार्थ में साकार करने का आहवान

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि मानवाधिकार, विलास की वस्तु नहीं हैं जिन्हें विश्व की अन्य समस्याओं के समाधान तलाश किए जाने तक छोड़ दिया जाए. उन्होंने सोमवार को परिषद के 52वें सत्र के उदघाटन दिवस पर कहा कि मानवाधिकारों में अनेक वैश्विक समस्याओं के समाधान निहित हैं, और इन्हें हर स्थान पर आम लोगों के जीवन में वास्तविकता बनाया जाना होगा.

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यूएन प्रमुख ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की सोमवार को फिर निन्दा करते हुए सचेत किया कि इस युद्ध से मानवाधिकारों के व्यापक उल्लंघन के मामलों में तेज़ी आई है.

यूएन महासभा ने कुछ ही दिन पहले, यूक्रेन युद्ध के एक वर्ष पूरा होने पर एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें रूसी सेनाओं की तत्काल वापसी की मांग की गई है.

महासचिव गुटेरेश ने क्षोभ प्रकट किया कि अपने ही पड़ोसी के विरुद्ध, 24 फ़रवरी 2022 को, रूस द्वारा युद्ध छेड़ने के निर्णय से व्यापक मौतें, विध्वंस और विस्थापन हुआ है.  

यूएन महासभा के 77वें सत्र के लिए अध्यक्ष, कसाबा कोरोसी ने उदघाटन सत्र के दौरान अपने सम्बोधन में करते हुए आगाह किया कि रूस द्वारा उठाए गए क़दमों से, न्यूयॉर्क में सुरक्षा परिषद लगभग पूरी तरह शिथिल हो गई है.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद पर, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा का दायित्व है, और महासभा की तरह यह भी अब एक दोराहे पर खड़ी है.

महासभा प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि अनेक देश अब भी वैश्विक महामारी कोविड-19 से उबरने के लिए जूझ रहे हैं, 70 से अधिक देशों पर क़र्ज़ का बोझ है और जीवन-व्यापन की क़ीमतों का संकट बढ़ा है.

अनेक देशों में महिलाओं व लड़कियों को व्यवस्थागत ढंग से हाशिए पर धकेला जा रहा है.

कसाबा कोरोसी के अनुसार, इन अभूतपूर्व, आपस में गुँथे हुए संकटों के बीच, वैश्विक जवाबी कार्रवाई में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता है, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, जोकि अभी से अनेक समुदायों के अस्तित्व के लिए एक ख़तरा है.

यूक्रेन में मानवाधिकार हनन मामले

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि यूक्रेन के अनेक शहरों व बुनियादी ढाँचे पर लगातार जारी बमबारी के कारण भयावह पीड़ा उपजी है. 2022 में बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसक संघर्ष सम्बन्धी यौन हिंसा के मामलों के सिलसिले में जानकारी जुटाई गई.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि युद्धबन्दियों के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण और मानवाधिकार क़ानूनों का गम्भीर हनन हुआ है, जबरन गुमशुदगी और आम लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने के सैकड़ों मामले सामने आए हैं.

जिनीवा में सदस्य देश लगभग छह सप्ताह तक चलने वाले सत्र के लिए एकत्र हुए हैं. मानवाधिकार परिषद के निर्धारित कार्यक्रम के तहत, 47 सदस्य देश, 20 मार्च को यूक्रेन पर स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय जाँच आयोग से नई जानकारी भी प्राप्त करेंगे.

इस जाँच आयोग को पिछले वर्ष गठित किया गया था, जब सदस्य देशों ने यूक्रेन में रूसी आक्रामकता से उपजी मानवाधिकारों की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया था.

जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद का 52वाँ नियमित सत्र 27 फ़रवरी 2023 को आरम्भ हुआ है.
UN Photo/Violaine Martin

सार्वभौम घोषणापत्र

यूएन प्रमुख ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के चिरकालीन मूल्य को रेखांकित करते हुए कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने फिर इस विभीषिका को नहीं दोहरने के लिए 75 वर्ष पहले यह पारित किया.

उन्होंने कहा कि यह मानवता का साझा ब्लू प्रिंट होना चाहिए, मगर कुछ सरकारें इस विध्वंस करने वाले औज़ार के रूप में इस्तेमाल करती हैं.

यूएन प्रमुख ने इतिहास की सही दिशा में खड़े होने की पुकार लगाते हुए कहा कि यह समय हर स्थान पर, हर एक के मानवाधिकारों के लिए खड़े होने का है.

“हम सभी को सार्वभौम घोषणापत्र में फिर से स्फूर्ति भरनी चाहिए, जिसमें हर किसी के लिए जीवन, स्वतंत्रता व सुरक्षा, क़ानून के समक्ष समानता, अभिव्यक्ति की आज़ादी, शरण पाने, काम करने, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के अधिकार सुनिश्चित किए गए हैं.

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि मानवाधिकारों पर एक सदी में हुई प्रगति से, मानव विकास में असाधारण छलांग लगाई गई हैं.

वर्ष 1900 में, विश्व की 80 प्रतिशत आबादी निर्धन थी, लेकिन 2015 में यह 10 आँकड़ा फ़ीसदी से भी कम है. 100 वर्ष पहले, औसत जीवन अवधि 32 वर्ष थी, जोकि अब बढ़कर 70 वर्ष से भी अधिक हो गई है.

अफ़ग़ानिस्तान की आधी से ज़्यादा आबादी, जीवित रहने के लिये, मानवीय सहायता पर निर्भर है, और उनके मानवाधिकारों पर भी जोखिम है.
IOM 2021/Paula Bonstein

इसके बावजूद, उन्होंने सचेत किया कि 21वीं सदी की अनेकानेक चुनौतियाँ हमारे समक्ष मौजूद हैं.

“अत्यधिक निर्धनता व भूख, पिछले अनेक दशकों में पहली बार बढ़ रही है. विश्व की लगभग आधी आबादी, साढ़े तीन अरब लोग, जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से संवेदनशील इलाक़ों में रहते हैं.”

उन्होंने कहा कि यहूदीवाद-विरोध, मुस्लिम-विरोधी कट्टरता, ईसाइयों के उत्पीड़न, नस्लवाद और श्वेत वर्चस्ववादी विचारधारा जैसी चुनौतियाँ उभार पर हैं.

एकजुटता की अपील

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, यूएन महासचिव की अपील को दोहराते हुए कहा कि मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणापत्र के समर्थन में सभी देशों को एकजुट होना होगा.

उनके अनुसार, आम लोगों के बुनियादी अधिकारों के प्रति, अतीत के किसी दौर से कहीं अधिक समझ विकसित हुई है.

इसके बावजूद, दमन, अनेक रुपों में वापसी कर सकता है. इस क्रम में, उन्होंने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को अतीत के आक्रामक, विध्वंसकारी युद्धों का परिचायक बताया है, जिसके विश्वव्यापी दुष्परिणाम हुए हैं.

उन्होंने कहा कि आधुनिक जगत में डिजिटल नवाचार द्वारा प्रदान किए गए अवसरों को सँवारा जाना होगा ताकि  मौजूदा दौर की निर्धनता, जलवायु परिवर्तन, असमानता जैसि विशाल चुनौतियों पर पार पाई जा सके.   

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने वैश्विक एकजुटता की अपील जारी करते हुए ध्यान दिलाया कि मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, प्राचीन ग्रंथों में व्यक्त की गई बुद्धिमता, सभी संस्कृतियों से प्राप्त समझ को परिलक्षित करती है, और यह हमारे फलने-फूलने में मदद कर सकती है.