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समृद्ध विरासत और सम्भावनाओं से परिपूर्ण, बाजरा के गुणों पर प्रदर्शनी

यूएन में भारत के स्थाई मिशन द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी बाजरे में निहित गुणों के प्रति जागरूकता प्रसार पर केन्द्रित है.
UN News/Sachin Gaur
यूएन में भारत के स्थाई मिशन द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी बाजरे में निहित गुणों के प्रति जागरूकता प्रसार पर केन्द्रित है.

समृद्ध विरासत और सम्भावनाओं से परिपूर्ण, बाजरा के गुणों पर प्रदर्शनी

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में बाजरा परिवार के विविध अनाजों (Millets) के गुणों पर आधारित एक प्रदर्शनी आरम्भ हुई है, जिसके ज़रिए खाद्य व पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने, जलवायु जोखिमों के कारण कृषि के लिए उपजे ख़तरों पर पार पाने और टिकाऊ विकास एजेंडा पर प्रगति को मज़बूत करने में इन मोटे अनाजों की भूमिका को रेखांकित किया गया है.

मोटे अनाजों में आमतौर पर ज्वार, बाजरा, रागी, कोदों समेत अन्य पौष्टिक अनाज शामिल हैं.

वर्ष 2023 को ‘अन्तरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत कार्यक्रमों की कड़ी में, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने यह प्रदर्शनी आयोजित की है.

मंगलवार को आयोजित इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों के लिए, बाजरे से बनाए गए व्यंजन भी परोसे गए.

यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने इस अवसर पर अपने वीडियो सन्देश में कहा कि बाजरा, फ़सलों की एक समृद्ध विरासत है और वो सम्भावनाओं से परिपूर्ण है.

“ये अनाज हज़ारों वर्षों से, विश्व भर में लाखों-करोड़ों लोगों के लिए खाद्य व पोषण का एक प्रमुख स्रोत रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “यह विशेष प्रदर्शनी खाद्य असुरक्षा से निपटने में, बाजरे में निहित गुणों के प्रति जागरूकता फैलाने और विश्व भर में हमारी खाद्य प्रणालियों की काया पलट कर देने को समर्थन प्रदान कर सकती है.”

प्रदर्शनी के उदघाटन कार्यक्रम में यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद का वीडियो सन्देश प्रसारित किया गया.
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प्राचीन परम्पराओं में है बुनियाद

मोटा अनाज, फ़सलों का एक विविध समूह है, जिसे सदियों से अफ़्रीका और एशिया के शुष्क इलाक़ों में लाखों-करोड़ों किसानों पारम्परिक फ़सल के रूप में उगाते आए हैं.

भारत इन पौष्टिक अनाजों का मुख्य उत्पादक देश है, जिसके बाद नाइजीरिया, निजेर और चीन का स्थान है.

इनमें ज्वार (sorghum), बाजरा (pearl millet), रागी (finger millet), कंगनी (foxtail millet), चेना (proso millet), संवत के चावल (barnyard millet) और कोडों (kodo millet) समेत अन्य प्रकार शामिल हैं.

बाजरा सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों से परिपूर्ण है. ये फ़सलें जलवायु सुदृढ़ हैं जो शुष्क परिस्थितियों, कम उपजाऊ भूमि व कठिन परिस्थितियों में भी उगाए जा सकते हैं, और इनके उत्पादन में अधिक उर्वरकों या कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती. 

प्रदर्शनी में इन मोटे अनाजों के विविध प्रकारों को देखा जा सकता है.
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‘स्मार्ट भोजन’

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा काम्बोज ने अपने सम्बोधन में, इन पौष्टिक, मोटे अनाज की अहमियत को रेखांकित किया.

“बाजरा केवल भोजन से कहीं बढ़कर है. वे स्मार्ट भोजन हैं.”

उन्होंने कहा कि बाजरा अविश्वसनीय रूप से बहु-उपयोगी और सुदृढ़ फ़सले हैं, जो विविध प्रकार की जलवायु व मृदा परिस्थितियों में उगाई जा सकती हैं. यह स्थिति इन्हें विकासशील देशों में लघु किसानों के लिए आदर्श बनाती है.”

राजदूत रुचिरा काम्बोज ने कहा कि दुनिया फ़िलहाल अनेक प्रकार की जटिल चुनौतियों का सामना कर रही है: जैसेकि निरन्तर बढ़ती आबादी जिसके लिए पर्याप्त व स्वस्थ भोजन की आवश्यकता होगी; बढ़ते जलवायु जोखिम; और घटते प्राकृतिक संसाधन.

भारतीय राजदूत ने खाद्य व पोषण सुरक्षा से जुड़े मौजूदा संकटों व चुनौतियों की पृष्ठभूमि में कहा कि ये पौष्टिक अनाज, इनसे निपटने में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं.

बाजरा एवं टिकाऊ विकास लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाजरा व इसी परिवार के अन्य पौष्टिक अनाजों के अनेकानेक लाभों को ध्यान में रखते हुए, मार्च 2021 में अपने 75वें सत्र के दौरान, 2023 को ‘अन्तरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी. 

यूएन उपप्रमुख आमिना जे मोहम्मद ने अन्तरराष्ट्रीय वर्ष को एक ऐसा अवसर बताया है, जिससे यह रेखांकित करना सम्भव होगा कि बाजरे के सतत उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन और खपत से, खाद्य अभाव की चुनौती पर पार पाने में किस तरह मदद मिल सकती है.

अन्तरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के तहत आयोजित कार्यक्रमों की कड़ी में न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में यह प्रदर्शनी आयोजित की गई है.
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आमिना मोहम्मद ने ज़ोर देकर कहा कि इससे टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.

“बाजरे की सम्भावनाएँ निखारने और उनकी उपज को बढ़ावा देने से, अनेक लघु किसानों व मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनाने के साथ-साथ, अन्य पक्षों की आजीविकाओं को बेहतर बनाया जा सकता है.”

एक स्वादिष्ट समाधान

ग्रामीण विकास पर केन्द्रित सामाजिक उद्यम, मृदा समूह के निदेशक अरुण नागपाल ने कार्यक्रम के दौरान, इन पौष्टिक फ़सलों को खेतों से भोजन की थाली तक लाने के अपने अनुभव साझा किए.

उन्होंने कहा कि अक्सर ऐसा महसूस किया जाता है कि स्वास्थ्य के लिए अच्छे खाद्य उत्पादों में अक्सर स्वाद से समझौता करना पड़ता है.

“मगर, सावधानीपूर्वक तैयार किए गए बाजरा-आधारित उत्पादों को, अन्य सामग्रियों के साथ मिलाकर, विश्व की किसी भी पाक-शैली में स्वाद और मूल्य प्राप्त किए जा सकते हैं.”

अरुण नागपाल ने कहा, “आटे से लेकर बिस्किट, पिज़्ज़ा, पास्ता, मफ़िन, केक, नाश्ते में खाए जाने वाले अनाजों, फल पेय और अन्य में.”

अरुण नागपाल ने बताया कि बाजरे को हमारे आहार में ज़बरदस्ती शामिल किए जाने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि इन्हें मौजूदा तौर-तरीक़ों में आसानी से एकीकृत किया जा सकता है और इसके प्रयोग का दायरा आयु, संस्कृति, पाक-शैली, देशों और आहार सम्बन्धी वरीयताओं से भी विशाल है.