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ICJ के परामर्शी-मत का, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र पर स्वतंत्र जाँच आयोग ने किया स्वागत

शान्ति स्थल के सामने, यूएन ध्वज फहराता हुआ. द हेग स्थित यह स्थल, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का मुख्यालय है.
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शान्ति स्थल के सामने, यूएन ध्वज फहराता हुआ. द हेग स्थित यह स्थल, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का मुख्यालय है.

ICJ के परामर्शी-मत का, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र पर स्वतंत्र जाँच आयोग ने किया स्वागत

शान्ति और सुरक्षा

इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों पर संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय आयोग ने, द हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के उस परामर्श का स्वागत किया है जिसमें घोषणा की गई है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइल का निरन्तर क़ब्ज़ा ग़ैर-क़ानूनी है.

फ़लस्तीनी इलाक़ों पर संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय आयोग की अध्यक्ष नवी पिल्लई ने कहा है, “न्यायालय का यह परामर्शी-मत, स्पष्ट और त्रुटिहीन है, और इस परामर्श में अतरराष्ट्रीय क़ानूनी ज़िम्मेदारियाँ, ना केवल इसराइल के लिए, बल्कि संयुक्त राष्ट्र और सभी देशों के लिए सम्मिलित हैं.”

उन्होंने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को क़ायम रखना और इसे बढ़ावा देना, इस परामर्शी राय पर अमल करने पर निर्भर करेगा.”

फ़लस्तीनी इलाक़ों पर संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय आयोग, इसराइल, फ़लस्तीन और अन्य देशों की ज़िम्मेदारियों के लिए, ICJ के इस परामर्शी-मत के प्रभावों का आकलन करेगा.

आयोग साथ ही इस बात का भी आकलन करेगा कि जब भी प्रासंगिक हो, संयुक्त राष्ट्र और व्यावसायिक संगठन, उपयुक्त उपायों और कार्रवाई के बारे में निर्णय लेने में, यूएन महासभा और सुरक्षा परिषद की मदद करें.

अन्तरराष्ट्रीय क़ानून

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय ने गत शुक्रवार को दिए इस परामर्शी-मत में, क़ब्ज़े का प्रशासन चलाने वाले क़ानूनों की निश्चित परिभाषा दी है और क़ाबिज़ शक्तियों की ज़िम्मेदारियों को भी बयान किया है.

विश्व अदालत ने बल प्रयोग के ज़रिए ज़मीन या क्षेत्र को हथियाने पर प्रतिबन्ध, और लोगों के आत्म-निर्णय के बुनियादी अधिकार की भी पुष्टि की है.

न्यायालय ने कहा है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र में यहूदी बस्तियाँ बसाने और ज़मीन को हथियाने की वो इसराइली नीतियाँ और गतिविधियाँ, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और मानवाधिकार क़ानून सहित, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करती हैं, जिनके परिणाम, फ़लस्तीनी लोगों को उनके घरों से जबरन बेदख़ल किए जाने, फ़लस्तीनी ज़मीन और सम्पत्ति पर क़ब्ज़ा किए जाने, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किए जाने, और क़ाबिज़ फ़लस्तीनी 7त्र में भेदभावपूर्ण क़ानूनी व्यवस्था लागू करने के रूप में सामने आते हों.

न्यायालय ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सहित सभी अन्तरराष्ट्रीय संगठनों की ये ज़िम्मेदारी है कि वो फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसराइल की ग़ैर-क़ानूनी मौजूदगी से उत्पन्न स्थिति को क़ानूनी मान्यता नहीं दें.

ICJ ने आगे रेखांकित किया है कि संयुक्त राष्ट्र, विशेष, रूप में महासभा और सुरक्षा परिषद को, “क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसराइल की ग़ैर-क़ानूनी मौजूदगी को जल्द से जल्द ख़त्म करने के लिए, सटीक उपायों और आगे की ज़रूरी कार्रवाई पर विचार करे.”