वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

फ़िलिपीन्स: जेलों में बेतहाशा भीड़ को कम करने के लिए इनसानी तरीक़ा

फ़िलिपीन्स की राजधानी में मनीला सिटी जेल में पुरुषों के शयनकक्ष में, लोग एक दूसरे को तकिया बनाकर सोने पर मजबूर हैं.
UNODC/Laura Gil
फ़िलिपीन्स की राजधानी में मनीला सिटी जेल में पुरुषों के शयनकक्ष में, लोग एक दूसरे को तकिया बनाकर सोने पर मजबूर हैं.

फ़िलिपीन्स: जेलों में बेतहाशा भीड़ को कम करने के लिए इनसानी तरीक़ा

क़ानून और अपराध रोकथाम

फ़िलिपीन्स में क़ानूनी आरोपों का सामना कर रहे लोगों के प्रति एक मानवीय नज़रिया अपनाने से, यहाँ की जेलों में मछलियों जैसी बेतहाशा भीड़भाड़ वाली को कम करने के प्रयास कुछ बेहतर हो रहे हैं. यहाँ की जेलों को दुनिया में सबसे अधिक भीड़भाड़ वाली जेलों में गिना जाता है, मगर अब जेलों की भीड़ को कम करने के प्रयास फल देते नज़र आ रहे हैं.

फ़िलिपीन्स की राजधानी में स्थित मनीला सिटी जेल में, क़ैदी साफ-सुथरी पंक्तियों में लेटे हुए नज़र हैं जिससे मालूम होता है कि वे हर रात किस तरह सोते हैं.

पुरुषों को सामूहिक शयन स्थल नम्बर 4 में अधिकांश क़ैदियों के पास बिस्तर या गद्दा नहीं है; वे अपने लिए, पीठ के बल लेटने की जगह भी नहीं बना सकते.

पीले रंग की जेल टीशर्ट पहने हुए यहाँ के क़ैदी, उसके बजाय अपने बगल के क़ैदी को तकिया बना कर, उमस और तंग परिस्थितियों में करवटें बदल कर, रात की उचित नींद पाने के लिए संघर्ष करते हैं.

क़ैदियों में से एक कार्लो, पिछले छह साल से अपने मुक़दमे की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने इस जेल का दौरा करने वाले यूएन न्यूज़ सहयोगियों को बताया कि "डॉर्मिटरी के अन्त तक पंक्तियों में लगभग 200 लोग सोते हैं, और हिलना-डुलना मुश्किल हो जाता है.”

“यह आरामदेह नहीं है, लेकिन समय बीतने के साथ मैंने एक ही करवट के साथ सोने की आदत डाल ली है. बाहरी लोग इसे निराशाजनक पा सकते हैं, लेकिन आराम एक सापेक्षिक शब्द है."

मनीला सिटी जेल 1847 में, स्पेनी औपनिवेशिक दौर में बनाई गई थी.
UNODC/Laura Gil

मनीला में हाल ही में आई एक अभूतपूर्व लू ने इस डॉर्मिटरी में तापमान, रात में 40 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक कर दिया था, जिससे क़ैदियों के लिए स्थिति और भी अधिक अमानवीय हो गई,और कार्लो "लगातार अनिद्रा" का सामना कर रहे हैं.

जेल अधीक्षक की भूमिका

मनीला सिटी जेल,मूल रूप में स्पेनी औपनिवेशिक काल में, 1847 में बनाई गई थी जो घनी आबादी वाली सैंट क्रूज़ बस्ती में है और ये फ़िलिपीन्स की सबसे पुरानी जेलों में से एक है.

मनीला सिटी जेल के अधीक्षक वॉर्डन लीना मोंटानो पर जेल में मौजूद क़ैदियों की संख्या कम करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.
© UNODC/Laura Gil

वर्तमान में, इस जेल की आधिकारिक क्षमता लगभग 1,200 क़ैदियों की है, जबकि इस समय वहाँ लगभग 3200 पुरुष क़ैद हैं, जो क्षमता से 168 प्रतिशत अधिक भीड़ को दर्शाता है.

जेल अधीक्षक वार्डन लीनो मोंटानो सोरियानो को उनकी ज़िम्मेदारियों के तहत जेल की जनसंख्या को कम करने का कार्य सौंपा गया है.

उन्होंने जेल का नेतृत्व संभालने के बाद, अपने डिप्टी को निर्देश दिया, "सभी क़ैदियों के रिकॉर्ड की जाँच करें, क्योंकि मैंने यह अनुमान लगाया था कि उनमें से अनेक क़ैदियों की अपेक्षित रिहाई की तारीख़ निकट आ चुकी है."

वार्डन लीनो मोंटानो सोरियानो के नेतृत्व में, मार्च 2024 में 288 क़ैदियों ने जेल में प्रवेश किया, जबकि 354 को रिहा किया गया.

मनीला सिटी जेल में क़ैदियों से सम्बन्धित रिकॉर्ड प्रशासनिक कक्ष में रखा जाता है.
UNODC/Laura Gil

नीतियों में बदलाव की ज़रूरत

फिलीपीन्स में हिरासत केन्द्रों व जेलों में अत्यधिक भीड़भाड़ का मुख्य कारण लाल फ़ीताशाही नहीं है. फ़िलिपीन्स की न्याय प्रणाली में कुछ विवादास्पद नीतियों के कारण जेलों में अत्यधिक भीड़ बढ़ी है.

विशेष रूप से ड्रग व्यापारियों और नशीली दवाओं के उपभोक्ताओं को लक्षित करने वाली विवादास्पद न्याय नीतियों के कारण, पूरे देश की जेलों में क़ैदियों की आबादी बढ़ी. जेलों में वर्ष 2015 क़ैदियों की संख्या लगभग 95 हज़ार थी जो वर्ष 2021 में बढ़कर एक लाख 65 हज़ार हो गई.

फ़िलिपीन्स अब दुनिया में सबसे अधिक भीड़भाड़ वाली जेल प्रणालियों में से एक देश बन चुका है. जेलों में भीड़भाड़ के मामले में यह देश काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, हेती और युगांडा के क़रीब है.

फ़िलिपीन्स में अधिकारियों ने भी बदलाव की ज़रूरत को पहचाना है.

न्यायाधीश मारिया फ़िलोमेना सिंग, सुप्रीम कोर्ट में जज हैं और जेलों में मानवीय नज़रिए के साथ किए जा रहे सुधारों की प्रबल हिमायती हैं.
© UNODC/Laura Gil

न्यायाधीश मारिया फ़िलोमेना सिंह, फ़िलिपीन्स के सुप्रीम कोर्ट में एक जज हैं जो जेलों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं. इन सुधारों में जेलों में अत्यधिक भीड़ को कम किया जाना भी शामिल है.

उन्होंने महिला जेलों का भी दौरा किया है.

न्यायाधीश मारिया फ़िलोमेना सिंह ने यूएन न्यूज़ को  बताया कि "ये माताएँ हैं, ये बेटियाँ हैं, ये पत्नियाँ हैं,और मैं इनसे जुड़ाव महसूस करती हूँ.”

"यदि लोगों को हमारे बीच इस तरह से रहना पड़ रहा है तो हम एक न्यायपूर्ण और मानवतावादी समाज नहीं कहला सकते."

फ़िलिपीन्स में जेल की आबादी को कम करने के लिए अनेक क़दम उठाए जा रहे हैं. 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के क़ैदियों की रिहाई को प्राथमिकता दी जा रही है, और अन्य क़ैदी अच्छे व्यवहार से अपनी सज़ा कम कर सकते हैं.

ग़ौरतलब है कि मुक़दमा चलने की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की संख्या को कम करके और केवल सबसे गम्भीर अपराधों के लिए ही लोगों को क़ैद में रखने के अलावा, अन्य लोगों को जेल से बाहर रखने का प्रयास किया जा रहा है.

साथ-साथ पढाई-लिखाई की गतिविधियों को रिहाई से जोड़ने के लिए 'रीड योर वे आउट’ (Read Your Way Out) जैसे कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं.

UNODC का समर्थन

फ़िलिपीन्स की कुछ जेलों में क़ैदियों को, क़ानूनी रूप से बाध्य पीली टी-शर्ट पहननी पड़ती है. कुछ ऐसी ही टी-शर्ट पहने हुए कुछ महिला क़ैदी.
© UNODC/Laura Gil

फ़िलिपीन्स में सभी क़ैदियों में से लगभग 70 प्रतिशत जन, नशीली दवाओं के मामूली अपराधों के कारण हिरासत में हैं.

मादक पदार्थों एवं अपराध पर यूएन कार्यालय (UNODC) ने ज़मानत में कटौती, वृद्ध क़ैदियों की प्राथमिकता वाली रिहाई और 'रीड योर वे आउट' कार्यक्रम को समर्थन दिया है.

फ़िलिपीन्स में UNODC के देश प्रमुख डेनियल मार्चेसी का कहना है, "ड्रग्स केवल कानून प्रवर्तन का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक स्वास्थ्य मुद्दा भी है जिसे रोकथाम और पुनर्वास के चश्मे से देखा जाना चाहिए.”

“यह एक जटिल समस्या है, जो न्यायपालिका, पुलिस और अन्य क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों को स्वास्थ्य, नशीली दवाओं की नीति और मानवाधिकार जैसे मुद्दों से जोड़ती है."

इस जटिलता के लिए सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश फिलोमेना सिंह के अनुसार "एक समग्र क्षेत्रीय दृष्टिकोण" की आवश्यकता है.

न्यायाधीश सिंह के अनुसार, पिछले वर्ष में लगभग 8 हज़ार क़ैदियों की रिहाई के साथ नया दृष्टिकोण लाभकारी सिद्ध हो रहा है.

मनीला सिटी जेल के कार्लो उन लोगों में से एक हैं जो जल्द ही रिहाई की उम्मीद कर रहे हैं.

कार्लो कहते हैं, "मुझे बाहर की अपनी ज़िन्दगी से प्यार है; मुझे अपनी महिला मित्रों के साथ प्रलय मुलाक़ातें और फ़िल्में देखना बहुत याद आ रहा है."