टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में, विफलता से जूझ रही है दुनिया
टिकाऊ विकास लक्ष्यों को साकार करने के लिए दुनिया के पास केवल छह वर्ष का ही समय बचा है, मगर इस दिशा में वैश्विक प्रगति की रफ़्तार चिन्ताजनक ढंग से अपर्याप्त है. संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को जारी अपनी एक नई रिपोर्ट में आगाह किया है कि केवल 17 फ़ीसदी मामलों में ही यह प्रगति सही मार्ग पर बढ़ रही है.
‘2024 सतत विकास लक्ष्य’ रिपोर्ट के अनुसार, 2030 एजेंडा के तहत स्थापित 17 लक्ष्यों में से क़रीब आधे लक्ष्यों पर बहुत कम या मामूली प्रगति हुई है.
एक-तिहाई से अधिक लक्ष्यों पर प्रगति ठप है या उसकी दिशा ही उलट गई है. संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2015 में सर्वजन व पृथ्वी के लिए एक शान्तिमय, समृद्ध भविष्य को आकार देने के इरादे से 2030 एजेंडा पर सहमति जताई थी, जिसे एक बेहतर दुनिया को आकार देने का ब्लू प्रिन्ट माना जाता है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक पत्रकार वार्ता में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि ये वार्षिक एसडीजी रिपोर्ट दर्शाती है कि दुनिया अपनी परीक्षा में विफल हो रही है.
उनके अनुसार, इसका निष्कर्ष सरल है. “शान्ति को हासिल करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषण को मज़बूती देने में हमारी विफलता से विकास कमज़ोर हो रहा है.”
“हमें सतत विकास लक्ष्यों के लिए त्वरित ढंग से कार्रवाई करनी होगी, और हमारे खोने के लिए एक क्षण नहीं बचा है.”
विशाल अवरोध
रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव अब भी मौजूद हैं, हिंसक टकरावों में तेज़ी आई है, भूराजनैतिक तनाव बढ़े हैं और जलवायु अराजकता स्थिति बद से बदतर हो रही है. इन सभी कारणों से टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा पर प्रगति प्रभावित हो रही है.
एक अनुमान के अनुसार, 2019 की तुलना में 2022 के दौरान अतिरिक्त 2.3 करोड़ लोग अत्यधिक निर्धनता के गर्त में धँस गए, जबकि 10 करोड़ से अधिक लोग भूख से पीड़ित थे.
पिछले वर्ष, सशस्त्र टकरावों में अपनी जान गँवाने वाले आम नागरिकों की संख्या में तेज़ उछाल आया है. 2023, तापमान की दृष्टि से एक बेहद गर्म साल साबित हुआ और वैश्विक तापमान, 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के नज़दीक पहुँचते दिखाई दिए.
मुख्य निष्कर्ष
एसडीजी रिपोर्ट में आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है, जिसके अनुसार, विश्व के 50 फ़ीसदी सबसे निर्बल देशों में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर, अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सुस्त है.
क़रीब 60 फ़ीसदी देशों में असामान्य रूप से भोजन की ऊँची क़ीमतों का सामना करना पड़ा है, जिससे भुख व खाद्य असुरक्षा की स्थिति और गहरी हुई है.
लैंगिक असमानता के क्षेत्र में भी चुनौतियाँ व्याप्त हैं. सर्वेक्षण वाले 120 देशों में से लगभग 55 प्रतिशत देशों में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर पाबन्दी लगाने वाले क़ानून नहीं हैं. बच्चों के लिए शिक्षा एक बड़ी चिन्ता है. केवल 58 फ़ीसदी स्कूली बच्चे ही प्राथमिक स्कूल की पढ़ाई पूरी होने पर पढ़ने में न्यूनतम अहर्ता पूरी कर पा रहे हैं.
पिछले वर्ष वैश्विक बेरोज़गारी दर ऐतिहासिक रूप से अपने निम्नतम स्तर, 5 प्रतिशत तक पहुँच गई थी, मगर सभी समाजों व देशों में लोगों के लिए उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार सुनिश्चित करने में अवरोध हैं.
मगर, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आए हैं, और पिछले पाँच वर्षों में इस क्षेत्र में 8.1 प्रतिशत की रफ़्तार से प्रगति हुई है.
टैक्नॉलॉजी के क्षेत्र में भी क़दम आगे बढ़े हैं – मोबाइल ब्रॉडबैंड की सुलभता (3जी और उससे ऊपर) विश्व आबादी के लिए 95 प्रतिशत तक पहुँच गई है, जबकि 2015 में यह आँकड़ा 78 प्रतिशत था.
प्रमुख प्राथमिकताएँ
यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा है कि जल्द से जल्द अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना होगा, और निर्धनता के अन्त, पृथ्वी संरक्षण और किसी को भी पीछे ना छूटने देने के वादे से पीछे नहीं हटा जा सकता है.
रिपोर्ट में लक्ष्यों और मौजूदा प्रगति के बीच विशाल खाई को दूर करने के उपायों और अहम प्राथमिकताओं को साझा किया गया है. इसके लिए यह ज़रूरी है कि विकास प्रक्रिया के लिए वित्त पोषण मुहैया कराने पर बल दिया जाए. विकासशील देशों में एसडीजी निवेश की कमी, प्रति वर्ष चार हज़ार अरब डॉलर है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि वित्तीय संसाधनों में तेज़ी से वृद्धि करनी होगी और मौजूदा वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भी सुधार लाए जाने की दरकार है.
हिंसक टकरावों का सम्वाद व कूटनीति से समाधान ढूंढा जाना भी उतना ही अहम है. मई 2024 तक, विश्व भर में जबरन विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 12 करोड़ तक पहुँच गई है. 2022 और 2023 के दौरान हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या में 72 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है, जिसके मद्देनज़र, शान्ति के लिए मज़बूत प्रयास और महत्वपूर्ण हो गए हैं.
इसके समानान्तर, खाद्य, ऊर्जा, सामाजिक संरक्षण और डिजिटल कनेक्टिविटी समेत अन्य क्षेत्रों में बेहतरी के लिए व्यापक स्तर पर निवेश और कारगर साझेदारियों की ज़रूरत होगी.
अहम क्षण
इस वर्ष, 8-17 जुलाई तक न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में टिकाऊ विकास के मुद्दे पर उच्चस्तरीय राजनैतिक फ़ोरम आयोजित होनी है, जिससे पहले यह रिपोर्ट जारी की गई है.
आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) के तत्वाधान में यह फ़ोरम, एसडीजी 1 (निर्धनता का अन्त), एसडीजी 2 (शून्य भुख), एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई), एसडीजी 16 (शान्तिपूर्ण व समावेशी समाज), और एडीजी 17 (अमल करने के साधन) पर हुई वैश्विक प्रगति की समीक्षा करेगी.
इसके अलावा, सितम्बर में भविष्य की शिखर बैठक, सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रयासों में ज़रूरी बदलाव लाने के नज़रिये से अहम होगी.
इस बैठक का उद्देश्य, विकासशील देशों के लिए एक बड़ी चुनौती, कर्ज़ संकट से निजात पाने के उपाय ढूंढना और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्र में सुधार लाने की कोशिशें करना है.