एसडीजी प्राप्ति के अवसर को, हाथ से फिसल जाने से रोकना होगा – यूएन महासचिव
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को 'विकास के लिए वित्त पोषण फ़ोरम' को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि दुनिया, एक बहुआयामी संकट से जूझ रही है, जिसके सर्वाधिक निर्धनों व निर्बलों के लिए विनाशकारी नतीजे हुए हैं. उन्होंने कहा कि 2030 एजेंडा मानो एक मरीचिका में तब्दील होता जा रहा है, मगर लक्ष्यों को हासिल करने के इस अवसर को गँवाने नहीं देना होगा.
यूएन महासचिव ने ध्यान दिलाया कि वैश्विक महामारी के बाद से अब तक, विश्व में एक फ़ीसदी सबसे धनी लोगों ने, शेष दुनिया की तुलना में कुल दोगुना सम्पदा अर्जित की है.
उनके अनुसार, कुछ देशों के भीतर पसरी विषमताएँ, उन्हें 20वीं सदी के शुरुआती सालों के स्तर की दिशा में धकेल रही हैं. वो एक ऐसा दौर था जब महिलाओं के पास मताधिकार नहीं था, और सामाजिक संरक्षा के सिद्धान्त की वृहद स्वीकार्यता नहीं थी.
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यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर प्रगति के लिए स्फूर्ति योजना (Stimulus Plan) का उल्लेख किया, जोकि एसजीडी प्राप्ति के लिए निवेश बढ़ाने पर केन्द्रित है.
साथ ही, इससे विकासशील देशों पर क़र्ज़ का बोझ कम किए जाने और वित्तीय संसाधनों की सुलभता में बेहतरी आने की सम्भावना है.
यूएन प्रमुख ने विश्व बैंर और एशियाई विकास बैंक समेत अन्य बहुपक्षीय विकास बैंकों से आग्रह किया है कि उन्हें अपनी धनराशि के उपयोग के ऐसे उपाय अपनाने होंगे, जिनसे विकासशील देशों के लिए अधिक मात्रा में निजी वित्त पोषण आकर्षित किया जा सके, और सदस्य देशों के लिए अपने सरकारी सहायता संकल्पों को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त हो.
महासचिव ने क्षोभ प्रकट किया कि वैश्विक वित्तीय तंत्र, देशों के लिए आवश्यकता की विशालतम घड़ी में विफल साबित हुआ है, और इसलिए उसमें व्यापक फेरबदल की ज़रूरत है.
उन्होंने दीर्घकाल में एक ऐसी व्यवस्था पर बल दिया है, जोकि सुसंगत व समन्वित हो और मौजूदा समय की आर्थिक वास्तविकताओं को परिलक्षित करती हो.
बदलाव की दिशा में बड़ा क़दम
यूएन महासभा के 77वें सत्र के लिए अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने कहा कि वैश्विक आर्थिक प्रगति में आई गिरावट, बढ़ती महंगाई और क़र्ज़ संकट के मंडराते बादल की एक बड़ी वजह, समन्वित अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई का अभाव है.
“यह अनिवार्य है कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हम इन सभी क्षेत्रों में एक वैश्विक समुदाय के रूप में एक साथ आकर काम करें.”
इस क्रम में, उन्होंने सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों द्वारा समन्वित प्रयासों का आग्रह किया है ताकि क़र्ज़ सम्बन्धी ढाँचागत मुश्किलों के समाधान तलाश किए जा सकें.
महासभा प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषण व्यवस्था में रूपान्तरकारी बदलावों के लिए यूएन महासचिव द्वारा जारी की गई अपील को दोहराया, जिसके ज़रिए टिकाऊ विकास के लिए एक नए मॉडल की पैरवी की गई है, ताकि विकासशील देशों को उनकी पहुँच के भीतर शर्तों पर वित्तीय संसाधन मुहैया कराना सम्भव हो.
उन्होंने कहा कि विकास केवल टिकाऊ ही हो सकता है, अन्यथा, अन्तत: कोई विकास नहीं होगा.
दशकों की प्रगति को झटका
यूएन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की अध्यक्ष लाचेज़ारा स्टोएवा ने अपने आरम्भिक सम्बोधन में चिन्ता जताई कि पिछले एक वर्ष में हुई घटनाओं की वजह से निर्धनता उन्मूलन में पिछले तीन दशकों की प्रगति को झटका लगा है.
उन्होंने क़र्ज़ राहत, निवेश, जलवायु वित्त पोषण और अन्तरराष्ट्रीय कर सहयोग पर तत्काल उपायों की पुकार लगाई और कहा कि यह फ़ोरम वित्तीय चुनौतियों के स्तर का मज़बूती से सामना करने के लिए निडर समाधान ढूंढने का एक अवसर है.
“हम पीछे रह जाने का जोखिम मोल नहीं ले सकते हैं. बहुत कुछ दाँव पर लगा है.”
“2030 एजेंडा को लागू किए जाने के ज़रिए अपनी पकड़ बनाए बिना, यह पहुँच से बाहर होता जाएगा, जिसके लोगों और पृथ्वी के लिए कठोर नतीजे होंगे.”
विकास के लिए वित्त पोषण फ़ोरम
- यह फ़ोरम 17 से 23 अप्रैल तक न्यूयॉर्क में आयोजित हो रहा है.
- इस आयोजन का लक्ष्य उन नीतियों को बढ़ावा देना है, जिनसे क़र्ज़ से लेकर अल्प-विकास और खाद्य असुरक्षा समेत वैश्विक विकास चुनौतियों से निपटा जा सके.
- फ़ोरम का एजेंडा मुख्यत: 2023 टिकाऊ विकास के लिए वित्त पोषण रिपोर्ट के निष्कर्षों पर आधारित है, जिसे 5 अप्रैल को प्रकाशित किया गया था.
- इस रिपोर्ट में मज़बूत कर प्रणाली, टिकाऊ विकास के लिए अधिक मात्रा में निजी व सार्वजनिक निवेश और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्र में सुधार की पैरवी की गई है.