AI for Good Summit: डिजिटल और टैक्नॉलॉजी खाई, अब और स्वीकार्य नहीं
वर्ष 2024 का कृत्रिम बुद्धिमत्ता-अच्छाई के लिए वैश्विक सम्मेलन (AI for Good Global Summit), रोबोट मशीनों की सलामी और स्वागत के बीच, जिनीवा में गुरूवार को शुरू हुआ है. इसमें दुनिया भर से हज़ारों प्रतिभागी, AI यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास के बारे में उम्मीदों और चिन्ताओं पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए हैं.
इस सम्मेलन का आयोजन अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने किया है. यह एक ऐसा वार्षिक मंच है जहाँ इनसानों की मुलाक़ात, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ होती है.
यह सम्मेलन इस हद तक लोकप्रिय है कि इसमें शिरकत करने के लिए, क्षमता से कहीं भीड़ ने रुचि दिखाई और जिनीवा के सबसे बड़े सम्मेलन स्थलों में से एक में आयोजित इस सम्मेलन में दाख़िल होने के लिए लोगों की सैकड़ों मीटर लम्बी क़तार नज़र आई.
सम्मेलन स्थल अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन का केन्द्र बन गया है जिसमें AI से चलने वाले रोबोट, मस्तिष्क नियंत्रित उपकरण, सृजनात्मक AI समाधानों के साथ-साथ, वैश्विक AI प्रणाली की रीढ़ की हड्डी समझी जाने वाली मशीनें भी देखने के लिए उपलब्ध हैं.
अलबत्ता, ये मशीनें देखने में तो आँखों को बहुत अच्छी लगती हैं और वो देखने वालों का दिल भी बहलाती हैं, मगर वो इस सम्मेलन का मुख्य आकर्षण नहीं हैं.
इनसान ही हैं केन्द्र में
चाहें सम्मेलन का मंच हो या ध्यान, दोनों के केन्द्र में दरअसल इनसानों को ही रखा गया है.
दो दिन के इस सम्मेलन में ऐसी अनेक चर्चाएँ होंगी जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ, इनसानों के संवाद और सम्पर्क के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत होगी, उसके लाभ और हानियों पर भी विभिन्न नज़रिए सामने रखे जाएंगे.
ITU की महासचिव डोरीन बोगडैन-मार्टिन ने, इस सम्मेलन का आरम्भ करते हुए AI की रूपान्तरकारी क्षमता को रेखांकित किया और एक समावेशी व सुरक्षित AI प्रशासन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.
टिकाऊ विकास में जान फूँकना
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने वीडियो सन्देश के ज़रिए, इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए, दुनिया भर में टिकाऊ विकास को आगे बढ़ाने में, AI की रूपान्तरकारी सम्भावना पर ज़ोर दिया.
एंतोनियो गुटेरेश ने AI की दोहरी प्रकृति की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए, इसकी अपार सम्भावना को रेखांकित किया और इसके ज़िम्मेदार और समावेशी प्रशासन की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया.
यूएन प्रमुख ने कहा, “कृत्रिम बुद्धिमत्ता, हमारी दुनिया और ज़िन्दगियों को बदल रही है. और यह टिकाऊ विकास में नई जान फूँक सकती है.”