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जलवायु परिवर्तन के प्रति समझ की कमी से, उष्णकटिबन्धीय बीमारियों के फैलाव में तेज़ी

पाकिस्तान में बाढ़ की चपेट में आए एक गांव में एक महिला अपने बच्चे के साथ सचल स्वास्थ्य केंद्र तक जा रही है.
© UNICEF/Shehzad Noorani
पाकिस्तान में बाढ़ की चपेट में आए एक गांव में एक महिला अपने बच्चे के साथ सचल स्वास्थ्य केंद्र तक जा रही है.

जलवायु परिवर्तन के प्रति समझ की कमी से, उष्णकटिबन्धीय बीमारियों के फैलाव में तेज़ी

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक नए विश्लेषण में मलेरिया, डेंगू, ट्रैकोमा समेत उष्णकटिबन्धीय देशों में उपेक्षा का शिकार बीमारियों (Neglected Tropical Diseases) के प्रति समझ में गम्भीर कमी पर चिन्ता व्यक्त की गई है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने यह अध्ययन, Reaching the Last Mile नामक एक वैश्विक स्वास्थ्य पहल के साथ मिलकर किया है, जोकि उपेक्षित उष्णकटिबन्धीय बीमारियों (Neglected Tropical Diseases / NTD) के उन्मूलन पर केन्द्रित है.  

यह दर्शाता है कि बढ़ते तापमान और मौसमी रुझानों में बदलावों की वजह से वेक्टर-जनित बीमारियों के फैलाव में भी परिवर्तन आ रहा है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़े हैं.

वेक्टर-जनित बीमारियाँ ऐसे रोग हैं, जोकि उन परजीवों, विषाणुओ और जीवाणुओं से फैलते हैं, जिनका संचारण वेक्टर से होता है, जैसेकि मच्छर, पिस्सू समेत रक्त चूसने वाले ऐसे जीव, जिनसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या फिर मनुष्यों से पशुओं में संक्रमण फैलता है.

जैसे-जैसे रोगवाहक वेक्टर, जैसेकि मच्छरों का भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तार हो रहा है, उनसे नए इलाक़ों में नई बीमारियाँ उभरने या फिर पुरानी बीमारियों के फिर सिर उठाने का जोखिम बढ़ जाता है.

इन बदलावों का सबसे अधिक असर उन समुदायों पर होने की आशंका है, जोकि पहले से ही ग़ैर-आनुपातिक ढंग से प्रभावित हैं. 

इस अध्ययन के लिए जनवरी 2010 से अक्टूबर 2023 के दौरान अनेक शोध पत्रों का विश्लेषण किया गया, और राष्ट्रीय स्तर पर बीमारियों के बोझ, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की सुलभता और जलवायु सम्वेदनशीलता के नज़रिये से जानकारी जुटाई गई.  

अधिकाँश मामलों में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनया बीमारियों पर ध्यान केन्द्रित किया गया और अन्य उपेक्षित उष्णकटिबन्धीय बीमारियों पर डेटासेट कम थे.

साक्ष्यों का अभाव

जिन अध्ययनों का विश्लेषण किया गया, उनमें से केवल 34 प्रतिशत (174) में ही रोकथाम उपायों का उल्लेख है, जबकि केवल पाँच फ़ीसदी (24) में अनुकूलन समाधानों की बात की गई है. 

यूएन एजेंसी के विशेषज्ञों के अनुसार ये दर्शाता है कि मलेरिया और अन्य उपेक्षित कटिबन्धीय बीमारियों के विरुद्ध लड़ाई में साक्ष्यों की कमी है.

इसके मद्देनज़र, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने व्यापक स्तर पर सहयोग करने का आग्रह किया है ताकि स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का पूर्वानुमान लगाना और उसके दंश को कम करना सम्भव हो सके.

उपेक्षित उष्णकटिबन्धीय बीमारियाँ, ऐसी स्वास्थ्य अवस्था हैं जिनके लिए कई प्रकार के वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी, फ़ंगस और विषैले तत्व ज़िम्मेदार हैं.

इन बीमारियों में डेंगू, चिकनगुनया, रेबीज़, ट्रैकोमा, चगास समेत अन्य बीमारियाँ हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, विश्व भर में इन रोगों से एक अरब लोग प्रभावित हैं.