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एशिया में जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम का सर्वाधिक प्रकोप: WMO रिपोर्ट

तूफान, चक्रवात व अन्य समुद्री आपदाओं से, एशिया के कई देशों में व्यापक क्षति पहुँचती है. (फ़ाइल)
© UNICEF/David Hogsholt
तूफान, चक्रवात व अन्य समुद्री आपदाओं से, एशिया के कई देशों में व्यापक क्षति पहुँचती है. (फ़ाइल)

एशिया में जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम का सर्वाधिक प्रकोप: WMO रिपोर्ट

जलवायु और पर्यावरण

साल 2023 के दौरान मौसम, जलवायु व जल सम्बन्धी संकटों के कारण एशिया, विश्व का सर्वाधिक आपदा-प्रभावित क्षेत्र रहा. विश्व मौसम संगठन (WMO) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में सबसे ज़्यादा तबाही, तूफ़ान और बाढ़ ने मचाई. 

सोमवार को, 2023 में योरोप में जलवायु परिवर्तन स्थिति पर प्रकाशित WMO की रिपोर्ट के बाद,  एशिया की जलवायु स्थिति पर प्रकाशित 2023 की रिपोर्ट में, सतही तापमान, हिमनदों के सिकुड़ने, समुद्री स्तर में वृद्धि जैसे कई संकेतकों के ज़रिए, जलवायु परिवर्तन की तेज़ी से बढ़ती दर पर प्रकाश डाला गया है.

डब्लूएमओ की महासचिव सैलेस्टे साउलो ने बताया, “रिपोर्ट के निष्कर्ष बेहद गम्भीर हैं. इस क्षेत्र में कई देशों में 2023 साल का सबसे गर्म वर्ष रहा और सूखे व तापलहर से लेकर बाढ़ एवं तूफ़ान जैसी अनगिनत चरम मौसम घटनाएँ देखने को मिलीं.”

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाओं की आवृत्ति और गम्भीरता बढ़ी है, जिनसे समाज, अर्थव्यवस्था और सबसे महत्वपूर्ण रूप से मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

औसत से तेज़

1960-1990 के बाद से तापमान वृद्धि का रुझान लगभग दोगुना होने कारण, एशिया में वैश्विक औसत की तुलना में अधिक तेज़ी से तापमान वृद्धि हुई है. बाढ़, तूफ़ान और तीव्र तापलहरों से हताहतों की संख्या एवं आर्थिक हानि बढ़ रही है.

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2023 में, उत्तर पश्चिमी प्रशान्त महासागर में समुद्र की सतह का तापमान रिकॉर्ड पर सबसे अधिक दर्ज हुआ. यहाँ तक ​​कि आर्कटिक महासागर को भी समुद्री तापलहरों का सामना करना पड़ा. 

रिपोर्ट में बैरेंट्स सागर को "जलवायु परिवर्तन का केन्द्र" बताया गया है.

थर्मल विस्तार और हिमनदों, बर्फ़ की चोटियों व बर्फ़ की चादरों के पिघलने से विश्व स्तर पर समुद्री स्तर बढ़ना जारी रहा. हालाँकि, 1993 से 2023 के बीच एशिया में इस बढ़ोत्तरी की दरें वैश्विक औसत से अधिक रहीं.

आपात स्थिति की घटनाओं पर प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, साल 2023 में एशियाई महाद्वीप में 79 जल सम्बन्धित आपदाएँ देखी गईं, जिनमें से 80 प्रतिशत से अधिक बाढ़ और तूफ़ान से सम्बन्धित थीं. इसके परिणामस्वरूप 2,000 से अधिक लोगों की मौतें हुईं और 90 लाख लोगों पर सीधा असर पड़ा.

तापमान वृद्धि, वर्षा में कमी

क्षेत्र के कई हिस्सों में 2023 में अत्यधिक गर्मी का अनुभव हुआ एशिया में वार्षिक औसत सतही तापमान, 1991-2020 के औसत से 0.91 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज हुआ, जो रिकॉर्ड में दूसरा सबसे अधिक था. 

पश्चिमी साइबेरिया से मध्य एशिया और पूर्वी चीन से जापान तक, विशेष रूप से उच्च तापमान देखा गया. जापान और कज़ाख़स्तान में रिकॉर्ड गर्म वर्ष का अनुभव हुआ.

इस बीच, तुरान तराई क्षेत्र (तुर्क़मेनिस्तान, उज़बेकिस्तान, कज़ाख़स्तान), हिंदुकुश (अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान) और हिमालय के बड़े हिस्सों के साथ-साथ, गंगा के आसपास तथा ब्रह्मपुत्र नदियों (भारत व बांग्लादेश) के निचले हिस्से में वर्षा का स्तर सामान्य से नीचे रहा. 

म्याँमार में अराकान पर्वत और मेकाँग नदी के निचले इलाक़ों में भी सामान्य से कम वर्षा देखी गई है, जबकि दक्षिण-पश्चिम चीन में, 2023 के लगभग हर एक महीने में वर्षा का स्तर सामान्य से नीचे रहने के कारण, सूखे का कहर देखने को मिला.

लेकिन वर्षा का स्तर कम होने के बावजूद, कई चरम मौसम घटनाएँ हुईं, जैसेकि मई में म्याँमार में भारी वर्षा; जून व जुलाई में भारत, पाकिस्तान और नेपाल में बाढ़ व तूफ़ान, तथा सितम्बर में हाँगकाँग में प्रति घंटा रिकॉर्ड वर्षा.

सिकुड़ते हिमनद 

उच्च-पर्वतीय एशिया क्षेत्र, जिसके केन्द्र में तिब्बती पठार है, ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद सबसे अधिक बर्फ़ का घर है. यहाँ लगभग एक लाख वर्ग किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में हिमनद स्थित हैं. पिछले कई दशकों में, उनमें से अधिकाँश तेज़ गति से पीछे हटते जा रहे हैं. अध्ययन किए गए 22 में से 20 हिमनदों का पिंड लगातार कम हो रहा है, जिससे रिकॉर्ड तोड़ उच्च तापमान एवं सूखे के हालात पैदा हो रहे हैं.

एवरेस्ट क्षेत्र में हिमनद तेज़ी से पिघल रहे हैं.
UN Nepal/Narendra Shrestha

पर्माफ्रॉस्ट यानि वो मिट्टी जो लगातार दो या उससे ज़्यादा वर्षों तक 0 डिग्री सेल्सियस तापमान से नीचे रहती है, उसमें भी आर्कटिक के बढ़ते वायु तापमान के कारण कमी आ रही है. एशिया में पर्माफ्रॉस्ट का सबसे तीव्र विगलन, ध्रुवीय उराल और पश्चिमी साइबेरिया के पश्चिमी क्षेत्रों में देखा जा रहा है.

धूल भरी भयंकर आँधी, बिजली की गड़गड़ाहट, ठंड की तीव्र लहरें और घना कोहरा भी उन चरम घटनाओं में से हैं, जिन्होंने पूरे एशिया में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है.

सर्वजन के लिए प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1970 से 2021 तक, मौसम, जलवायु और जल सम्बन्धी चरम मौसम घटनाओं के कारण 3 हज़ार 612 आपदाएँ हुईं, जिनमें 9 लाख 84 हज़ार 263 मौतें हुईं और 1.4 खरब डॉलर का आर्थिक नुक़सान हुआ. 

दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली कुल मौतों में से 47 प्रतिशत इसी क्षेत्र में हुई हैं, जिनमें उष्णकटिबंधीय चक्रवात सर्वाधिक मौतों का कारण बनें.

इन प्रभावों को कम करने के लिए, WMO और साझीदारों ने, जीवन बचाने और जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य के आर्थिक संकटों की रोकथाम के लिए एक मज़बूत प्रारम्भिक चेतावनी एवं आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रणाली स्थापित करने की सिफ़ारिश की है.

रिपोर्ट तैयार करने में भागीदार, यूएन आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCAP)  की कार्यकारी सचिव, अर्मिदा साल्सिया अलिसजाबाना ने कहा, "प्रारम्भिक चेतावनी और बेहतर तैयारियों ने हज़ारों लोगों की जान बचाई है."

उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा, “एक साथ काम करते हुए, ESCAP और WMO, जलवायु महत्वाकाँक्षा में वृद्धि और ठोस नीति के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने हेतु निवेश जारी रखेंगे. इसमें क्षेत्र में सर्वजन को प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली उपलब्ध करवाना शामिल होगा, ताकि लगातार बढ़ते जलवायु परिवर्तन संकट के बीच, कोई भी पीछे न छूट जाए.”