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ग़ाज़ा: इसराइली सैन्य कार्रवाई में, एआई टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल की निन्दा

ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस में बर्बाद हो चुके एक इलाक़े से गुज़रता एक वाहन.
© UNOCHA/Themba Linden
ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस में बर्बाद हो चुके एक इलाक़े से गुज़रता एक वाहन.

ग़ाज़ा: इसराइली सैन्य कार्रवाई में, एआई टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल की निन्दा

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने क्षोभ व्यक्त किया है कि ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सेना द्वारा सैन्य कार्रवाई के दौरान कथित रूप से कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किए जाने का आम नागरिकों, घरों और सेवाओं पर अभूतपूर्व असर हुआ है. 

विशेष रैपोर्टेयर के समूह ने सोमवार को अपना एक वक्तव्य जारी किया है, जिसमें उन्होंने आगाह किया है कि पिछले छह महीनों से जारी सैन्य अभियान के दौरान, ग़ाज़ा में घरों और नागरिक प्रतिष्ठानों को जितना नुक़सान पहुँचा है, प्रतिशत के तौर पर वैसा नुक़सान, सम्भवत: कभी किसी अन्य टकराव में नहीं हुआ.

एक अनुमान के अनुसार, ग़ाज़ा में 60 से 70 फ़ीसदी घर या तो पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गए हैं या फिर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. उत्तरी ग़ाज़ा के घरों के लिए यह आँकड़ा 84 फ़ीसदी तक है.

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यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया कि व्यवस्थागत ढंग से विशाल पैमाने पर यह विध्वंस, मानवता के विरुद्ध अपराध है, और अनेक अन्य युद्ध अपराध व जनसंहार कृत्यों को अंजाम दिए जाने की भी आशंका है.

बताया गया है कि ग़ाज़ा पट्टी में अब तक 18.5 अरब डॉलर की बर्बादी हो चुकी है, जोकि ग़ाज़ा और पश्चिमी तट की कुल अर्थव्यवस्था का 97.5 प्रतिशत है.

इसमें से 70 प्रतिशत, घरों को पहुँचा नुक़सान है जबकि क़रीब 19 प्रतिशत नागरिक बुनियादी ढाँचे की क़ीमत है, जिसमें जल व साफ़-सफ़ाई, बिजली और सड़क समेत अन्य सेवाएँ हैं. 

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि घरों की बर्बादी के साथ ही यादें, आशाएँ, आकाँक्षाएँ और मानवाधिकार भी ख़त्म हो चुके हैं, जिनमें भूमि, जल, भोजन, साफ़-सफ़ाई, स्वास्थ्य, सुरक्षा व निजता, शिक्षा, विकास, स्वच्छ पर्यावरण और स्व-निर्धारण के अधिकार हैं.

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं. ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.

घर वापिस लौटने की कोशिश

पिछले सप्ताहांत, ग़ाज़ा में हज़ारों लोगों ने उत्तरी इलाक़ों में अपने घरों की ओर वापिस जाने के प्रयास किए, और सभी आयु वर्ग के लोग तटीय सड़क मार्ग के ज़रिये, पैदल या फिर अन्य ज़रियों से वहाँ की ओर बढ़े.

समाचार माध्यमों के अनुसार, इसराइली टैंकों ने सड़क मार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिससे फ़लस्तीनियों को वापिस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा.

इसराइली सैन्य बलों की बमबारी सोमवार को भी जारी रही, और मध्य ग़ाज़ा में नुसेइरात शरणार्थी शिविर के इसकी चपेट में आने से कम से कम पाँच लोगों की मौत हुई है और अनेक अन्य घायल हुए हैं.

ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार, 7 अक्टूबर के बाद से अब तक 33 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें अधिकाँश बच्चे व महिलाएँ हैं. 

हमास व अन्य गुटों द्वारा इसराइल पर किए गए हमलों में 1,250 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक को बंधक बना लिया गया था.

बेकरी, एक जीवनरेखा 

इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने रविवार को ग़ाज़ा सिटी में ब्रैड का उत्पादन फिर से शुरू किए जाने की घोषणा की है. यूएन एजेंसी ने इस सिलसिले में ईंधन और मशीनों में मरम्मत के लिए ज़रूरी पुर्ज़े मुहैया कराने में मदद दी है. 

7 अक्टूबर को हमास द्वारा इसराइल पर किए गए हमलों और उसके बाद इसराइल की जवाबी कार्रवाई से पहले, ग़ाज़ा पट्टी में 140 औद्योगिक बेकरी में ब्रैड उत्पादन हो रहा था.

यूएन खाद्य कार्यक्रम ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने सन्देश में बताया कि एक ऐसी बेकरी में ईंधन पहुँचाया गया है, जोकि पिछले कई महीनों से बन्द पड़ी हुई थी.

ग़ाज़ा पट्टी, विशेष रूप से उत्तरी हिस्से में ज़रूरतमन्द बेहद विकट हालात में गुज़र-बसर कर रहे हैं और उन तक पर्याप्त मात्रा में मानवीय सहायता नहीं पहुँच रही है.

WFP ने बेकरी के लिए आटा और अन्य सामान मुहैया कराने की बात कही है, मगर अकाल की रोकथाम के लिए जल्द से जल्द, विशाल स्तर पर बेरोकटोक सहायता सुनिश्चित किए जाने की अपील की है.