लीबिया: मानवता के विरुद्ध अपराधों को दिया गया अंजाम, यूएन मिशन की रिपोर्ट

लीबिया के लिए गठित संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र तथ्य-खोज मिशन ने अपनी अन्तिम रिपोर्ट में चिन्ता जताई है कि देश में मानवाधिकारों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, और सरकारी सुरक्षा बलों व सशस्त्र गुटों द्वारा विविध प्रकार के युद्धापराधों व मानवता के विरुद्ध अपराधों को अंजाम दिए जाने की आशंका है.
सोमवार को यूएन मिशन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में लोगो को मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने, हत्या, बलात्कार, दास बनाए जाने, न्यायेतर हत्याओं और जबरन गुमशुदगी के अनेक मामलों में जानकारी जुटाई गई है.
रिपोर्ट बताती है कि प्रशासनिक एजेंसियों द्वारा नागरिक समाज से उठने वाले असहमति के स्वरों को दबाया गया है, और अधिकाँश पीड़ित बदले की भावना से की जाने वाले कार्रवाई, गिरफ़्तारी, फ़िरौती और न्याय व्यवस्था में भरोसे के अभाव की वजह से आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है.
🇱🇾 The #HumanRights situation in #Libya is deteriorating and State authorities & security apparatuses are strengthening their grip over civic space through crackdowns on civil society organizations and women activists, the Libya Fact-Finding Mission said👉 https://t.co/EceEzhd7Un https://t.co/UljOyJDcWh
UN_HRC
पूर्व शासक मुआम्मर ग़द्दाफ़ी को सत्ता से बेदख़ल किए जाने के बाद से ही लीबिया, अस्थिरता के दौर से गुज़र रहा है. फ़िलहाल, देश दो परस्पर विरोधी प्रशासनिक व्यवस्थाओं और युद्धरत पक्षों में बँटा हुआ है.
राजधानी त्रिपोली में यूएन का समर्थन प्राप्त राष्ट्रीय समझौता सरकार और देश के पूर्व व दक्षिणी क्षेत्र में जनरल ख़लीफ़ा हफ़्तार के वफ़ादार सुरक्षा बलों की लीबियाई नेशनल आर्मी का दबदबा है.
रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासियों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया है और साक्ष्य दर्शाते हैं कि उन्हें व्यवस्थागत ढंग से यातनाएँ दी गई हैं, और ये मानने के तार्किक आधार हैं कि प्रवासियों के विरुद्ध यौन दासता मामलों को भी अंजाम दिया गया, जोकि मानवता के विरुद्ध एक अपराध है.
तथ्य-खोज मिशन के प्रमुख मोहम्मद अउआज्जर ने कहा कि हर जगह फैली दंडमुक्ति की इस भावना का अन्त करने के लिए जवाबदेही की तत्काल आवश्यकता है.
“हम लीबियाई प्रशासन से मानवाधिकार कार्ययोजना और संक्रमणकालीन न्याय के लिए बिना देरी एक व्यापक, पीड़ित-केन्द्रित रोडमैडप विकसित करने, और मानवाधिकार हनन के लिए ज़िम्मेदारों की जवाबदेही तय किए जाने का आग्रह करते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने लीबिया में वर्ष 2016 की शुरुआत से सभी पक्षों द्वारा मानवाधिकार हनन व दुर्व्यवहार के मामलौं की जाँच के लिए जून 2020 में, तथ्य-खोज मिशन का गठन किया था, ताकि देश में मानवाधिकारों की स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके.
उसके बाद से अब तक, यूएन टीम ने जाँच कार्य को आगे बढ़ाने के लिए 13 दौरे किए, 400 से अधिक इंटरव्यू किए गए और दो हज़ार 800 से अधिक जानकारी जुटाई गई, जिनमें तस्वीर और दृश्य-श्रव्य (audio-visual) रिकॉर्ड भी हैं.
मिशन ने अपनी अन्तिम रिपोर्ट जारी करते हुए सचेत किया है कि टीम के शासनादेश (mandate) की अवधि एक ऐसे समय में पूरी हो रही है जब लीबिया में मानवाधिकारों की स्थिति ख़राब हो रही है, समानान्तर राज्यसत्ता तंत्र उभर रहा है और क़ानून का राज सर्वोपरि रखने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और सुरक्षा सैक्टर में सुधारों की आवश्यकता है.
बताया गया है कि ध्रुवीकरण के इस माहौल में, जिन सशस्त्र गुटों पर यातना, मनमाने ढंग से हिरासत में रखे जाने, तस्करी और यौन हिंसा के आरोप लगे हैं, वे जवाबदेही से दूर हैं.”
रिपोर्ट बताती है कि मानवाधिकार रक्षकों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नागरिक समाज संगठनों के विरुद्ध हमलों से भय का माहौल पनपा है और लोग अपनी बात खुलकर कहने में डर महसूस कर रहे हैं.
तस्करी, दासकरण, जबरन मज़दूरी, बन्दीकरण, फ़िरौती और निर्बल प्रवासियों की तस्करी से व्यक्तियों, समूहों और राज्यसत्ता संस्थाओं के लिए धन की उगाही हो रही है, जिससे मानवाधिकार उल्लंघन के मामले जारी हैं और उन्हें प्रोत्साहन मिल रहा है.
जाँच टीम के अनुसार, यह मानने का तार्किक आधार है कि आधिकारिक हिरासत केन्द्रों व गोपनीय बन्दीहों में प्रवासियों को दास बनाकर रखा गया और मानवता के विरुद्ध अपराध के तौर पर बलात्कार को अंजाम दिया गया.
बन्दियों को नियमित रूप से यातना दिए जाने, अकेले रहने पर मजबूर किए जाने, किसी से सम्पर्क करने की अनुमति ना देने और जल, भोजन, शौचालय, साफ़-सफ़ाई, प्रकाश, चिकित्सा देखभाल, क़ानूनी परामर्श समेत अन्य अधिकारों से वंचित किए जाने के मामलों में जानकारी जुटाई गई है.
रिपोर्ट बताती है कि लीबिया में महिलाओं के साथ व्यवस्थागत ढंग से भेदभाव किया जाता है और यह कहा जा सकता है कि पिछले तीन वर्षों में हालात बद से बदतर हुए हैं.
तथ्य-खोज मिशन ने यूएन मानवाधिकार परिषद से एक स्वतंत्र, अन्तरराष्ट्रीय जाँच तंत्र के गठन और यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय से एक स्वायत्त तंत्र स्थापित किए जाने की मांग की है, जिसका दायित्व देश में मानवाधिकार हनन के मामलों की निरन्तर निगरानी करने और सम्बन्धित जानकारी प्रदान करना होगा.