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एसडीजी हासिल करने के लिए, विशाल निवेश व वित्तीय व्यवस्था में सुधार की अपील

मेडागास्कर, अफ़्रीका में सबसे कम विकसित देशों में से है. यहाँ कुछ कामगार चारकोल को बाज़ार तक पहुँचा रहे हैं.
UN News/Daniel Dickinson
मेडागास्कर, अफ़्रीका में सबसे कम विकसित देशों में से है. यहाँ कुछ कामगार चारकोल को बाज़ार तक पहुँचा रहे हैं.

एसडीजी हासिल करने के लिए, विशाल निवेश व वित्तीय व्यवस्था में सुधार की अपील

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को साकार करने के रास्ते में दुनिया को, फ़िलहाल संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी एक बड़ी वजह वित्त पोषण से जुड़ी चुनौतियाँ हैं. कर्ज़ के बढ़ते दबाव और उधार लेने की आसमान छूती क़ीमतों के कारण, विकासशील देशों के लिए विकास पथ पर आगे बढ़ना चुनौतीपूर्ण है, जिससे निपटने के लिए वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में सुधार पर बल दिया गया है.

2024 Financing for Sustainable Development Report: Financing for Development at a Crossroads’ नामक यह रिपोर्ट मंगलवार को प्रकाशित हुई है, जिसके अनुसार टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए निवेश का स्तर बढ़ाना भी अहम होगा.

यूएन विशेषज्ञों का कहना है कि विकास के लिए वार्षिक 4,200 अरब डॉलर की वित्तीय खाई है जिसे पाटने के लिए वित्तीय संसाधनों की लामबन्दी और तत्काल निडर क़दम उठाए जाने ज़रूरी हैं.

कोविड-19 महामारी से पहले टिकाऊ विकास के लिए ज़रूरी और उपलब्ध धनराशि के बीच की खाई 2,500 अरब डॉलर थी.

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भूराजनैतिक तनावों, जलवायु आपदाओं, जीवन-व्यापन की क़ीमतों के संकट से अरबों लोग प्रभावित हुए हैं, और स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा व अन्य विकास लक्ष्यों पर प्रगति को धक्का पहुँचा है. 

यदि मौजूदा रुझान जारी रहे तो अनुमान है कि लगभग 60 करोड़ लोग, 2030 तक और उसके बाद भी निर्धनता के गर्त में धँसे रहेंगे, जिनमें से 50 फ़ीसदी से अधिक महिलाएँ होंगी.

यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने कहा कि यह रिपोर्ट एक और साक्ष्य है कि हमें अभी कितनी लम्बी दूर तय करनी है और टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा को हासिल करने के लिए कितनी जल्दी कार्रवाई करनी होगी.

उनके अनुसार समय बीता जा रहा है और नेताओं को बयानबाज़ियों से आगे बढ़कर अपने वादों को साकार करना होगा. “पर्याप्त वित्त पोषण के अभाव में, 2030 लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जा सकता है.”

कर्ज़ की क़िस्तों का बोझ

रिपोर्ट बताती है कि ऋण के बोझ और उधार लेने की क़ीमतों में हो रही वृद्धि, मौजूदा संकट की एक बड़ी वजह हैं.

सबसे कम विकसित देशों को 2023 से 2025 के दौरान, वार्षिक 40 अरब डॉलर कर्ज़ चुकाना होगा, जबकि 2022 में यह आँकड़ा 26 अरब डॉलर था.

जलवायु सम्बन्धी आपदाओं के गहन रूप धारण करने और उनकी आवृत्ति बढ़ने की वजह से, कई देशों में कर्ज़ में उछाल आया है.

निर्धनतम देश अब अपने कुल राजस्व का 12 फ़ीसदी, ब्याज़ चुकाने में ख़र्च करते हैं, और पिछले एक दशक में यह व्यय चार गुना बढ़ चुका है.

विश्व की क़रीब 40 प्रतिशत आबादी उन देशों में रहती है, जहाँ सरकारों को शिक्षा या स्वास्थ्य से अधिक ब्याज़ भुगतान पर ख़र्च करना पड़ता है.

बांग्लादेश के तटीय इलाक़ों में वनों की बहाली के लिए पहल के तहत वृक्षारोपण किया जा रहा है.
© Global Commission on Adaptation (GCA)
बांग्लादेश के तटीय इलाक़ों में वनों की बहाली के लिए पहल के तहत वृक्षारोपण किया जा रहा है.

वित्त पोषण की चुनौती

रिपोर्ट के अनुसार, टिकाऊ विकास लक्ष्यों क लिए निवेश में वर्ष 2000 के बाद से बढ़ोत्तरी हुई है, मगर विकास के लिए वित्त पोषण के स्रोतों में कमी आ रही है. 

उदाहरणस्वरूप, घरेलू राजस्व में वृद्धि, 2010 के बाद से ही अवरुद्ध है, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों और निम्न आय वाले देशों में, जिसकी वजह कर चोरी (tax) व उसे ना दिया जाना बताई गई है.

कॉरपोरेट आय पर टैक्स की दर में गिरावट आई है – और विश्व में टैक्स की औसत दर, वर्ष 2000 में 28.2 प्रतिशत से घटकर 2023 में 21.1 प्रतिशत तक पहुँच गई, जिसकी वजह वैश्वीकरण और कर प्रतिस्पर्धा मानी गई है.

वहीं, सम्पन्न देशों से प्राप्त होने वाली विकास सहायता और जलवायु वित्त पोषण संकल्पों को भी पूरा नहीं किया जा रहा है.

इसके मद्देनज़र, रिपोर्ट बताती है कि 1944 में ब्रैटन वुड्स में आयोजित सम्मेलन के बाद स्थापित अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था, मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम नहीं है. 

इसके स्थान पर, एक नई, सुसंगत प्रणाली के गठन पर बल दिया गया है, ताकि संकटों से बेहतर ढंग से निपटा जा सके, टिकाऊ विकास लक्ष्यों में निवेश का स्तर बढ़ाया जाए और सभी देशों के लिए वैश्विक संरक्षा दायरे में बेहतरी लाई जा सके.